BJP के शीर्षस्थ नेताओं ने CM रघुवर और गिलुआ को उनके पद से नहीं हटाया, तो झारखण्ड भी गया काम से
अब दिल्ली में बैठे भाजपा के नेता माने या न माने, पर इतना तो तय है कि अगर दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्षस्थ नेता झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और यहां के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ को नहीं बदला तो यह प्रदेश भी मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह भाजपा के हाथ से निकल जायेगा, क्योंकि यहां की जनता इन तीनों प्रदेशों की जनता से भी ज्यादा वर्तमान सरकार के क्रियाकलापों से नाराज ही नहीं, बल्कि गुस्से में है।
यहां की जनता तो साफ बताती है कि यहां के मुख्यमंत्री का घमंड सातवें आसमान पर है, ये किसी की नहीं सुनते, ये सुनते उनकी हैं जो इनके आस-पास मंडराते रहते हैं, जो इनकी हर बात पर जी-हुजूरी करते हैं। अगर जनता की बात करें तो जनता साफ कहती है कि सबसे ज्यादा जरुरी बात है किसी भी व्यक्ति की भाषा, अपने राज्य के मुख्यमंत्री को पहली बात बोलने ही नहीं आता, ये अपने विरोधियों तथा आंदोलनकारियों के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हैं, जो निन्दनीय है। इन्हें ये भी नहीं पता होता कि वे जिन भाषाओं का प्रयोग कर रहे हैं, उस भाषा का असर सामान्य लोगों पर कितना असर डालेगा?
झारखण्ड की जनता के अनुसार, राज्य में पहले गैर-आदिवासी बने मुख्यमंत्री रघुवर दास से लोगों को बहुत आशाएं थी, पर इन्होंने अपने विचारों-क्रियाकलापों से सभी को ठगा, अपमानित किया। पिछले साल एक दुष्कर्म की शिकार मृत बेटी के पिता के साथ मुख्यमंत्री का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार लोग आज तक नही भूले और इधर बिना जांच रिपोर्ट के यौन शोषण के आरोपी सीएम के अतिप्रिय बाघमारा विधायक ढुलू महतो को यहां के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा क्लीन चिट दे दिया जाना, बताता है कि यहां किस प्रकार अराजकता की स्थिति है, कमाल है कमला कुमारी जो भाजपा की जिला मंत्री है, वह दरबदर ठोकरे खा रही है, वह ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराती है, पर स्थानीय पुलिस उसकी प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करती, आखिर ये कैसी भाजपा है, जो अपनी ही पार्टी की महिला नेत्री को सम्मान नहीं देती और उसे कटघरे में खड़ा कर देती है।
यहीं नहीं पारा शिक्षक पिछले कई महीनों से हड़ताल पर हैं, पर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही, यहीं नहीं कई महिला पारा शिक्षकों को इस सरकार ने जेल में डलवा दिया, जिससे इन पारा शिक्षकों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा, राज्य में वित्तीय संकट इतना गहरा गया है कि लोगों के वेतन के लाले पड़ गये हैं, कई विपत्र कोषागार में धूल फांक रहे हैं, पर उसका भुगतान कब और कैसे होगा? सरकार के पास जवाब ही नहीं हैं।
बुद्धिजीवी बताते है कि जिस चाल से रघुवर सरकार चल रही है, अगर इसी तरह चलती रही और कांग्रेस ने यहां की प्रमुख विपक्षी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से अपना राजनीतिक गठबंधन बना लिया तो भाजपा को दस सीटे मिलनी भी मुश्किल हो जायेगी, और अगर विपक्ष ने महागठबंधन बना लिया तो समझ लीजिये, भाजपा कहीं की नहीं रहेगी, क्योंकि वर्तमान में झारखण्ड की जनता का जो आक्रोश है, वह धीरे-धीरे चरम पर हैं, और आज तीन राज्यों में भाजपा के खिलाफ आये चुनाव परिणाम ने, आग में घी का काम कर दिया है, इसलिए अब चुनाव झारखण्ड में जब कभी हो, रघुवर दास की विदाई शत प्रतिशत तय है, कोई नहीं इन्हें बचा सकता।
राज्य की जनता का रघुवर सरकार के प्रति जनाक्रोश को देखते हुए, झामुमो के वरिष्ठ नेता हेमन्त सोरेन को अग्रिम बधाई, क्योंकि फिलहाल इनकी राजनीतिक लोकप्रियता शिखर पर पहुंच रहा है, और ये जनता की पहली पसन्द बनते जा रहे हैं, ऐसे भी वर्तमान में झारखण्ड में एकमात्र नेता झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ही है, जो इनके आस-पास टिकते नजर आ रहे हैं, बाकी का तो कहानी ही खत्म है।