अपनी बात

मतदान के प्रथम चरण में मतदाताओं द्वारा झामुमो को मिले अभूतपूर्व समर्थन व भाजपा नेता ताला मरांडी के दोनों बेटों द्वारा झामुमो का दामन थाम लेने से भाजपाइयों के उड़े होश, दूसरी ओर झामुमो के हौसले बुलन्द

मतदान के प्रथम चरण में मतदाताओं द्वारा झामुमो गठबंधन को मिले अभूतपूर्व समर्थन व भाजपा नेता ताला मरांडी के दोनों बेटों द्वारा झामुमो का अंतिम समय में दामन थाम लेने से भाजपाइयों के होश उड़ चुके हैं। झामुमो ने तू डाल-डाल, हम पात-पात की शैली में भाजपाइयों को हर मोर्चें पर मात देना शुरु कर दिया हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रथम चरण में झामुमो की मजबूती बता रही हैं कि उसकी सत्ता दुबारा आ रही हैं। इसलिए झामुमो कार्यकर्ताओं और उनके नेताओं के हौसले बुलंद दिख रहे हैं, क्योंकि अब जो चुनाव होने हैं। उन जगहों पर चुनाव होने हैं, जहां झामुमो गठबंधन पहले से मजबूत और इनके अलावा कोई दूसरा राजनीतिक दल दिखता भी नहीं हैं।

राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि भाजपा की हालत कितनी खराब है। वो इसी से पता चल जा रहा है। बाप भाजपा में दिखाई पड़ रहा हैं और बेटा झामुमो में चला जा रहा हैं। मतलब जिसकी राजनीतिक डोर अब कमजोर होने को चली हैं, वो भाजपा में अपना घर मजबूत करने की कोशिश कर रहा हैं और जिसकी राजनीतिक डोर मजबूत हैं यानी कुछ कर गुजरने की स्थिति में हैं, वो झामुमो में अपना ठौर-ठिकाना ढूंढ रहा हैं। जो बताता है कि भाजपा की स्थिति झारखण्ड में कितनी हास्यास्पद है।

इसी बीच कल जहां-जहां हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन ने चुनावी रैलियां की। वहां की चुनावी सभा में युवाओं की उपस्थिति तथा उनका जोश-उत्साह बता दे रहा हैं कि 23 नवम्बर को चुनाव परिणाम क्या आयेंगे? राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि कल्पना सोरेन और हेमन्त सोरेन की सभा में उमड़-घुमड़ रही भीड़ ही संकेत दे, दे रहे हैं कि यहां झामुमो की पोजिशन कितनी मजबूत है। बगोदर, निरसा व बाघमारा में कल हेमन्त सोरेन की हुई सभा तथा कल्पना सोरेन की जामताड़ा, झरिया और खिजरी में हुई सभा ने भाजपाइयों की नींद उड़ा दी हैं। यहां की सभा में आम जनता द्वारा दोनों नेताओं को दिये गये समर्थन की घोषणा ने स्पष्ट कर दिया है कि इन इलाकों से भाजपा अब पूरी तरह साफ होने जा रही हैं।

आश्चर्य यह भी है कि इसी दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भी झारखण्ड के कई इलाकों में सभाएं चल रही हैं। लेकिन उन सभाओं में ऐसी भीड़ नहीं दिख रही, जो कल्पना सोरेन और हेमन्त सोरेन की सभाओं में दिख रही हैं। झामुमो के इन दो नेताओं को देखने और सुनने के लिए अब गांव-गांव से लोग निकल रहे हैं और चुनावी सभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर भाजपाइयों के दिलों की धड़कन बढ़ा दे रहे हैं।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हेमन्त सोरेन ने अपनी राजनीतिक दांव-पेंच से भाजपाइयों के शीर्ष नेताओं, उनके कुनबों, केन्द्रीय जांच एजेंसियों, चुनाव आयोग तथा भाजपा के समर्थन में खुलकर आ गई मीडिया को ऐसा उलझाया है कि इन सभी को समझ ही नहीं आ रहा कि करें तो क्या करें। कल ही रांची से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक प्रभात खबर ने प्रथम चरण के मतदान के दिन गृह मंत्री अमित शाह की दो पेजों में सोची समझी रणनीति के तहत इंटरव्यू छाप दिया, जैसे लगता है कि राज्य की जनता बेवकूफ हैं। दरअसल इन सभी की यही गलतियां अब झारखण्ड की जनता जान चुकी हैं और शायद इसीलिए इस बार यहां की जनता एक साथ सभी को सबक सिखाने को तैयार बैठी हैं।

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