यूपीए प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपा, हेमन्त सोरेन की विधायिकी खत्म होने के संशय पर विराम लगाने का किया अनुरोध
यूपीए का एक प्रतिनिधिमंडल आज राजभवन जाकर राज्यपाल से मिला और राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधायिकी जाने के मामले को लेकर चल रहे संशय पर विराम लगाने की अपील की। बताया जाता है कि राज्यपाल रमेश बैस ने इस प्रतिनिधिमंडल को एक-दो दिनों के अंदर इस संशय पर सदा के लिए विराम लगाने की बात कही है। यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान राज्यपाल रमेश बैस को एक ज्ञापन भी सौंपा, ज्ञापन में क्या लिखा हैं, नीचे दिया हुआ हैं, आप स्वयं पढ़ लें…
“महामहिम, जैसा कि आपको ज्ञात होगा, स्थानीय एवं राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा गुरुवार, 25 अगस्त 2022 से महामहिम के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से यह प्रसारित किया जा रहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री हेमन्त सोरेन जी और वर्तमान में झारखण्ड राज्य के माननीय मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत अयोग्य घोषित करने सम्बन्धी पत्र महामहिम के कार्यालय को प्राप्त हुआ है। (विभिन्न मीडिया से समाचारों में प्रकाशित समाचार की छायाप्रति संलग्न है)
हमें यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि सभी समाचारों में प्रकाशित किया जा रहा है कि झारखण्ड के माननीय राज्यपाल द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 192(1) के तहत श्री हेमन्त सोरेन जी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत अयोग्य घोषित करने का निर्णय संभावित है, इससे संबंधित जानकारी राजभवन द्वारा जल्द जारी की जायेगी। इस तरह की खबरों को स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है, जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है।
इन सभी समाचारों का महामहिम के कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत सम्मान रहता है। तथा महामहिम के कार्यालय से झूठी खबरों का निकलना भी सच माना जाता है। ऐसे में महामहिम के कार्यालय से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है।
यह मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन जी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है।यद्यपि महामहिम द्वारा चुनाव आयोग से प्राप्त गोपनीय राय को अभी सार्वजनिक किया जाना है, राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, भाजपा द्वारा मध्यावधि चुनाव, माननीय मुख्यमंत्री के इस्तीफे, आदि की मांग सार्वजनिक रूप से की जा रही है। जो कि अवांछित है।
महामहिम जैसा कि आप जानते हैं, माननीय मुख्यमंत्री की अयोग्यता अगर सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है। अतः हम महामहिम से इस तरह से प्रसारित किये जा रहे समाचारों की सत्यता उजागर करने का आग्रह करते हैं, जिससे राज्य में फैली भ्रम की स्थिति और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के असंवैधानिक प्रयास पर विराम लगे।
महामहिम से हम चुनाव आयोग से प्राप्त राय (यदि कोई हो) सार्वजनिक करने का अनुरोध करते हैं। महामहिम की ओर से त्वरित कार्रवाई लोकतंत्र के उद्देश्य को पूर्ण करेगी। चुनाव आयोग से प्राप्त राय को सार्वजानिक करने में हो रहा विलम्ब महामहिम के प्रतिष्ठित कार्यालय के संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के विपरीत होगा।”