काश मर्दों के लिए भी विश्व की सर्वाधिक बुद्धिमान रघुवर सरकार, झारखण्ड में अलग से बजट पेश करती
आज सुबह-सुबह उठा, अखबार उलटा, तो पता चला कि अपनी राज्य सरकार बच्चों के लिए अलग से बजट पेश करेगी, यानी राज्य में 2019-20 में बच्चों के लिए अलग से बजट पेश होगा। ऐसे भी रघुवर सरकार हर बजट सत्र के पूर्व कुछ नया करने का प्लान बनाती है, भले ही उस प्लान का आगे चलकर बंटाधार ही क्यों न हो जाये, ऐसे भी किसी ने ठीक ही कहा है कि ये जानकर कि आनेवाले समय में उक्त प्लान का बंटाधार हो ही जाना है, तो क्या हम नये प्लान बनाना बंद कर दें, सचमुच बात में दम भी है।
जरुर बनाइये, नये-नये प्लान बनाइये और उक्त प्लान का अपने आंखों के सामने भ्रष्ट नेताओं/अधिकारियों द्वारा श्राद्ध होता भी देखिये, जैसे हम अब तक देखते आ रहे हैं. यहीं सरकार महिलाओं के लिए पिछले दो सालों से महिलाओं के लिए अलग बजट पेश करती आ रही हैं, तो क्या महिलाओं का सशक्तिकरण हो गया, महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई, महिलाओं का विकास हो गया, कि वहीं हुआ, जो सदियों से चलता आ रहा है, महिलाओं के लिए पेश किया गया अलग बजट, भ्रष्टाचारियों के भेंट चढ़ गया।
यहीं रघुवर सरकार पिछले दो सालों से किसानों के लिए अलग बजट पेश करती आ रही है, इससे क्या हुआ, क्या कृषि और किसानों का विकास हो गया, अलबत्ता हुआ ये कि यहां के किसानों ने आत्महत्या करना प्रारम्भ कर दिया, और ये किसानों के आत्महत्या का सिलसिला रुका नहीं, आज भी कई किसानों को उनके फसल की बीमा की राशि तक नहीं मिल सकी है।
इसी सरकार ने खुब शोर मचाया था, स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जमशेदपुर में आयोजित राष्ट्रीय पंचायत दिवस के दिन अपनी पीठ थपथवाई थी कि किसानों के लिए इन्होंने झारखण्ड में कृषि सिंगल विंडो सिस्टम लागू करवाया है, तो क्या सरकार बता सकती है कि ये कृषि सिंगल विंडो सिस्टम झारखण्ड में कहां-कहां काम कर रहा है, यानी ये तो वही बात हुई कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और, और खाने के कुछ और।
कौशल विकास के लिए तो बजट में राशियों का अम्बार लगा हुआ है, पर इसका फायदा कौन उठा रहा हैं, वह बड़ी-बड़ी कंपनियां, जो जानती है कि इसमें कुछ करना नहीं है, बस सरकार और उनके विभागीय अधिकारियों को उन्हीं के द्वारा दी गई राशि से एमओयू कर, उन्हें खुश कर, सारी राशि गड़प कर जानी है, लीजिये हो गया बजट का सदुपयोग।
जैसे ही कुछ लोगों को अखबार के माध्यम से इतना सुंदर न्यूज मिला, कुछ लोग जो सही मायनों में बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं, उनके चेहरे खिल उठे, उन्होंने इस पहल की सराहना की तथा कुछ सवाल भी दागे, और सरकार से पूछा कि ये जानना महत्वपूर्ण होगा कि क्या जो समस्याएं हमेशा से निगाहों में हैं, केवल उन्हीं को एड्रेस किया जायेगा या बच्चों पर मंडराते नये खतरे, जैसे शिशु हत्या और उनकी हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराधों को भी इसमें शामिल कर उनसे बच्चों को बचाने का सार्थक प्रयास भी होगा।
हम तो इन सबसे अलग, सरकार के इस योजना का भी स्वागत करेंगे, क्योंकि हम तो जानते है कि इस प्रकार के बजट से किसको लाभ होना है, साथ ही हम विश्व की सर्वाधिक बुद्धिमान रघुवर सरकार से मांग करेंगे कि जैसे उन्होंने पूर्व में महिलाओं के लिए, किसानों के लिए और अब अलग से इस साल से बच्चों के लिए बजट पेश करने की पेशकश की है, ठीक राज्य के प्रतिभाशाली मर्दों के लिए भी अलग से बजट पेश की जाये, ताकि झारखण्ड के मर्द भी रघुवर सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ उठा सकें, भले ही ये योजना भी अन्य योजनाओं की तरह भ्रष्टाचारियों की भेंट ही क्यों न चढ़ जाये, पर कहने में तो आयेगा न, कि एक रघुवर सरकार थी, जो झारखण्ड में मर्दों के लिए भी सोचा करती थी, जिसने पहली बार मर्दों के लिए अलग से बजट पेश किया।