तब तो गिलुवा को यह बताना चाहिए कि दीनदयाल, श्यामा प्रसाद या वाजपेयी पर शशिभूषण जैसे कितने FIR दर्ज है?
लक्ष्मण गिलुवा का बयान है कि – “जो आंदोलन करता है, उस पर तो एफआइआर होता ही है, मेरे उपर भी केस है, आरोप की गंभीरता को देखनी चाहिए, कोर्ट जब तक आरोप तय नहीं करता, कोई आरोपी नहीं होता है, आरोप हम और आप तय नहीं कर सकते।” तब तो झारखण्ड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को यह भी बताना चाहिए कि उनके शीर्षस्थ नेता कभी रहे, वर्तमान में दिवंगत हैं, जैसे पं. दीन दयाल उपाध्याय, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी आदि नेताओं के उपर कितने एफआइआर हुए हैं और अगर एफआइआर हुए भी हैं तो क्या उसी प्रकार के एफआइआर हैं, जो शशिभूषण मेहता जैसे लोगों पर हुए हैं।
गिलुवा का बयान इस बात का सबूत नई भाजपा यौन-शोषकों के आरोपियों के प्रति सहानुभूति रखती है
गिलुवा को यह भी बताना चाहिए कि जब शशिभूषण उसकी नजरों में महान व्यक्तित्व हैं, तो फिर शशिभूषण एक आइपीएस को अपनी केस से बचने के लिए 25 लाख घूस की पेशकश क्यों की थी?गिलुवा को यह भी बताना चाहिए कि जब एफआइआर से कोई आरोपी नहीं हो जाता, तो फिर धनबाद भाजपा की जिला मंत्री जो पिछले एक साल से भाजपा के विधायक ढुलू महतो के खिलाफ यौन शोषण का प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए सड़क से लेकर कोर्ट तक आंदोलनरत हैं, उसकी बात क्यों नहीं सुनी जा रही।
गिलुवा को यह भी बताना चाहिए कि उसके विधायक ढुलू के आंतक के खिलाफ जब एक मुस्लिम परिवार धनबाद उपायुक्त कार्यालय में परिवार समेत आत्मदाह की कोशिश करता है, तो उसकी सुनवाई क्यों नहीं होती, ढुलू पर प्राथमिकी क्यों नहीं होता? और जब गिलुवा की नजरों में शशिभूषण मेहता जैसे लोगों के आने से पार्टी मजबूत होती हैं, तो इसका मतलब है कि इन्हें चिन्मयानन्द और कुलदीप सिंह सेंगर जैसे लोगों से भी सहानुभूति होती होगी, तो गिलुवा यह भी बताये कि चिन्मयानन्द और सेंगर जैसे लोगों को रांची वे कब बुला रहे हैं और उन्हें सम्मानित कब कर रहे हैं, क्योंकि कोर्ट तो अभी भी उन्हें सजा नहीं सुनाई हैं, इससे पार्टी को फायदा भी होगा, जो उनके जाति के लोग होंगे या उनके पद चिन्हों पर चलनेवाले लोग होंगे, बड़ी संख्या में शामिल होंगे तथा इससे भाजपा मजबूत भी होगी। क्या जरुरत हैं मोदी और शाह को, रांची बुलाने की, जब शशिभूषण जैसे लोग, चिन्मयानन्द और सेंगर जैसे लोग भाजपा में हैं।
गिलुवा का बयान, दरअसल भाजपा नेताओं की गिरती मानसिकता का परिचायक
दरअसल ये गिलुवा की सोच, आज के भाजपा नेताओं की गिरती हुई मानसिकता का परिचायक हैं, जो बता रहे हैं कि देश व राज्य किन गलत लोगों के हाथों में चला गया हैं। अखबार व चैनलों को तो इन लोगों ने कब का खरीद लिया, ये जो बोलते हैं, ये सब लिखते और दिखाते हैं, और इसकी आड़ में आम जनता इनके अत्याचारों की चक्की में पिसती जा रही हैं।
फिल्म इन्कलाब वाली ‘गरीबों की पार्टी’ बन गई हैं भाजपा, अगर झारखण्ड के लोग नहीं चेते, तो प्रदेश हाथ से निकल जायेगा
अगर झारखण्ड की जनता ऐसे लोगों को सबक नहीं सिखाई तो भारतीय जनता पार्टी, अमिताभ बच्चन वाली फिल्म ‘इन्कलाब’ की ‘गरीबों की पार्टी’ हो जायेगी, यानी नाम तो गरीबों की पार्टी था और काम गुंडों-मवालियों की सेवा करना था, अगर किसी ने यह फिल्म नहीं देखी हो, तो अभी देख लें, झारखण्ड के लोगों को तो देखना बहुत ही जरुरी हैं, क्योंकि उनके भविष्य के लिए ये खतरे बनते जा रहे हैं, अगर उन खतरों से इन्हें बचना है, तो संघर्ष के लिए तैयार रहे, नहीं तो आनेवाले समय में इनकी बहू-बेटियां भी सुरक्षित नहीं रहेंगी। सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड और शशिभूषण मेहता का इस कांड से जुड़ा रहना एक सबक है और भाजपा द्वारा शशिभूषण को अपनाना, भाजपा द्वारा ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने की मुहर।