फिर आ गया टाटा लीज समझौते के नवीनीकरण का समय, जवाहरलाल शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार से पूछा, क्या सबको एक समान नागरिक सुविधा की शर्त पर होगा नवीनीकरण या नहीं?
जमशेदपुर के सभी नागरिकों को उसका हक दिलाने के लिए दशकों से संघर्षरत मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने संघर्ष जारी रखा है। एक तरफ जहां उनकी याचिका पर जमशेदपुर में नगर निगम का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, वहीं टाटा लीज समझौते के नवीनीकरण का समय नजदीक आ गया है।
लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक खामोशी के बीच जवाहरलाल शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या सभी नागरिकों को समान नागरिक सुविधाओं की शर्त पर टाटा लीज समझौते का नवीनीकरण होगा या नहीं? उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या आम जनता की राय ली जाएगी?
क्या टाटा स्टील सीएसआर के तहत किए जा रहे खर्च का ब्योरा आम आदमी को देगी? इसके अलावे जवाहरलाल शर्मा ने और भी कई महत्वपूर्ण सवाल करके उनके जवाब मांगे हैं। जवाहरलाल शर्मा ने सरकार के अवर सचिव सह जन सूचना पदाधिकारी नीरज कुमार सिंह को सूचना के अधिकार के तहत पत्र लिखकर जवाब मांगा है।
जवाहरलाल शर्मा ने लिखा है कि वे जमशेदपुर के नागरिक हैं पर आजादी के 75 साल से भी अधिक बीत जाने के बाद भी जमशेदपुर में उन्हें तथा अन्य करीब 20 लाख लोगों को आज तक तीसरे मत का अधिकार नहीं मिल पाया है। उनका कहना है कि यहां के लोग स्थानीय निकाय में अपना प्रतिनिधि चुनने से वंचित हैं। जो सरासर भारतीय संविधान का उल्लंघन है।
इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने सन् 1989 में जमशेदपुर में तीसरा मताधिकार लोगों को देने का आदेश भी दिया था। इस विषय पर तत्कालीन बिहार सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी किया था। यही नहीं एक बार रघुवर दास के नगर विकास मंत्री रहते झारखंड सरकार ने भी नोटिफिकेशन जारी किया था।
लेकिन 35 वर्षों से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं हो सका है। जमशेदपुर आज भी टाटा स्टील के अधीन है तथा टाटा स्टील सारे शहर की देखभाल अपनी मर्जी तथा अपने तौर तरीके से करती है। यहां नोटिफाइड एरिया कमेटी भी है जो टाटा के इशारे पर कभी-कभी छोटा-मोटा काम करती रहती है।
जमशेदपुर की आम जनता नागरिक सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, साफ-सफाई, स्कूल, अस्पताल के लिए टाटा स्टील की मेहरबानी पर निर्भर है। यहां का सरकारी अस्पताल एम.जी.एम, टाटा स्टील की वजह से ठीक से नहीं चलता है। यहां न एयरपोर्ट आम आदमी के लिए सुलभ है और और न ही उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था है।
आम आदमी की परेशानियों को न तो टाटा स्टील और न ही सरकार आज तक समझ सकी है। जमशेदपुर के लोग बिना अधिकार के बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर हैं। पर चूंकि टाटा स्टील तथा झारखंड सरकार के बीच लीज नवीनीकरण होने जा रहा है तथा वर्तमान हेमंत सरकार भारी बहुमत से चुनी गई है। अतः वे सूचना का अधिकार कानून के तहत उनसे निम्नलिखित सूचना की मांग करते है।
1. क्या भारी बहुमत से चुनी गई झारखंड सरकार किसी जनमत संग्रह के माध्यम से लीज नवीनीकरण के बिंदुओं पर आम आदमी की राय लेगी? हां या नहीं।
2. जनता को और ज्यादा सुविधा देने के लिए टाटा कंपनी पर विशेष शर्तें लगाने के बाद ही लीज का नवीनीकरण करेगी? क्या सभी प्रकार की जनता चाहे वो कंपनी क्षेत्र में हो या बस्ती क्षेत्र में, सबको एक समान नागरिक सुविधा कंपनी देगी? हाँ या नहीं।
3. सरकारी एमजीएम अस्पताल को सरकार पीपी मोड अर्थात सरकार तथा टाटा स्टील दोनों मिलकर चलाएं या फिर टाटा स्टील पूरी तरह अपने अधीन लेकर अपने खर्चे पर चलाए, इस बात का प्रावधान लीज समझौते के नवीनीकरण में रखने की बात की जा सकती है? हां या नहीं।
4. क्या शहर में घनघोर जाम की स्थिति को दूर करने के लिए ईस्टर्न तथा वेस्टर्न कॉरिडोर बनाने की बात जो वर्षों से चल रही है और अभी भी लंबित है, क्या उसे समय सीमा के भीतर पूरा करने की शर्त सरकार टाटा स्टील से समझौते में रखेगी? हां या नहीं।
5. आम लोगों की भागीदारी तथा अधिकार की सुरक्षा लीज समझौते के अंतर्गत क्या और कैसे होगी? कृपया इसे स्पष्ट करें।
6. टाटा स्टील अरबों रुपए विदेशी संस्थानों को दे चुकी है ताकि उनका विकास हो सके। क्या टाटा स्टील को जमशेदपुर के शिक्षण संस्थानों विशेषकर स्कूलों के विकास के लिए ऐसी ही बड़ी राशि देने का प्रावधान लीज समझौते के दौरान किया जाएगा? हां या नहीं।
7. क्या सीएसआर के तहत जो पैसा टाटा स्टील खर्च करती है, उसका व्योरा आम आदमी को हर साल देने की बात लीज समझौते में रहेगी? हां या नहीं।
जवाहरलाल शर्मा ने प्रेस रिलीज के माध्यम से उपरोक्त जानकारी उपलब्ध कराई है। उन्होंने कहा कि टाटा कंपनी ने टाटा लीज समझौते का पूरा पालन नहीं किया और अधिकांश नागरिक अब भी बेहतर नागरिक सुविधाओं से वंचित हैं। जबकि टाटा लीज नवीनीकरण समझौता 2005 में पूरे जमशेदपुर के लिए सरकारी दर पर सुविधा देने का जिक्र था न कि टिस्को या गैर टिस्को क्षेत्र की कोई चर्चा थी।
यह मनमानी इसलिए चलती रही क्योंकि सरकार ने कभी ऐसी कोई एजेंसी ही नहीं बनाई। जो यह देखे कि टाटा लीज समझौते का पालन हो रहा है या नहीं। जवाहरलाल शर्मा ने कहा कि जमशेदपुर में तीसरे मताधिकार और नगर निगम की मांग को लेकर उनकी 1988 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 1989 में ही फैसला आ गया था, जिसके तहत जमशेदपुर में नगर निगम बनाने का आदेश था।
लेकिन नोटिफिकेशन के बावजूद धरातल पर उसे किसी भी सरकार ने लागू नहीं किया और टाटा कंपनी फिर सुप्रीम कोर्ट चली गई। वहां अंतिम फैसला आने से पहले ही आनन फानन में जमशेदपुर में इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। लेकिन उसे भी लटका दिया है। जाहिर है, इससे जमशेदपुर की अधिकांश जनता को उसका हक नहीं मिल पा रहा है। आज भी कुछ आबादी को 24 घंटे बिजली पानी की सुविधा है जबकि अधिकांश जनता को यह हासिल नहीं है।