अपनी बात

बनल रहे टाटा-अडानी, जिनकी दया से रांची प्रेस क्लब की मीडिया कप की चढ़ी जवानी, इस बार मुफ्त की किट लेनेवालों को लगा घाटा, क्वालिटी ठीक नहीं, सात दिन बीते सभी को जूते तक नसीब नहीं

कल आपने धनबाद प्रेस क्लब की कहानी सुनी थी और आज रांची प्रेस क्लब की कहानी सुनिये। झारखण्ड में जितने भी प्रेस या पत्रकारों के नाम पर क्लब बने हैं। कोई किसी से कम नहीं है। सभी का काम करने का तरीका करीब-करीब एक ही है। कैसे बड़ी-बड़ी कंपनियों के यहां कार्यरत बड़े-बड़े अधिकारियों के चरण दबाकर उनसे बड़ी राशि ली जाये और उसके नाम पर क्रिकेट का आयोजन कर मस्ती लूटी जाये, बस इनका काम यही रह गया है।

कहने को तो ये सब पत्रकारों के बेहतर सेहत और स्वास्थ्य के लिये किया जाता है, पर ऐसा कही दिखता नही। ऐसे भी कही साल में एक या दो बार ऐसे आयोजन होने से सेहत व स्वास्थ्य नहीं बनते, हां इसके नाम पर पत्रकारों को जूते-मोजे, पायजामे और टी-शर्ट अवश्य मिल जाते हैं और ज्यादातर पत्रकारों का मूल उद्देश्य भी यही होता है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में ये खेलने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। रांची प्रेस क्लब में इस बार क्रिकेट खेलने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 500 रुपये रखा गया था।

चूंकि पिछली बार जिन्होंने क्रिकेट के नाम पर रजिस्ट्रेशन करवाया था। उन्हें अच्छी क्वालिटी के जूते-मोजे, टी-शर्ट और पायजामें मिले थे। इसलिए इस बार भी अच्छे क्वालिटी के जूते-मोजे, टी-शर्ट और पायजामे मिलेंगे, इस भाव से बड़ी संख्या में पूर्व की तरह इस बार भी वैसे पत्रकारों ने भी अपने नाम का रजिस्ट्रेशन करवाया, जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी बैट ही नहीं पकड़ा और न ही उन्हें इतना समय है कि वे क्रिकेट खेल सकें।

इस बार रांची प्रेस क्लब पर तीन बड़ी-बड़ी कंपनियों ने दया दिखाई हैं। चूंकि ये कंपनियां जानती है कि ज्यादातर पत्रकार गरीब व दया के पात्र होते हैं, इनके पास इतना पैसा भी नहीं होता कि वे इवेन्ट्स तक करा सकें। इसलिए इन्होंने जमकर अपनी दया को रांची प्रेस क्लब पर प्रकट किया है। ये दया लूटानेवाली कंपनियां है – टाटा, अडानी और एनटीपीसी की एक सिस्टर कंपनी।

आपको ज्ञातव्य होगा जब कोरोना हुआ था तो पूर्व के प्रेस क्लब के कई अधिकारियों ने जिन पत्रकारों को उस वक्त भोजन नहीं उपलब्ध था, उन तक भोजन के पैकेट भी कई उदार राजनीतिज्ञों के द्वारा उपलब्ध कराये थे। भगवान वैसे उदार राजनीतिज्ञों को दौलत से भर दें और इन टाटा, अडानी और एनटीपीसी की सिस्टर कंपनी को भी दौलत से भर दें, जो बड़ी उदारता से इन गरीब व दया के पात्र पत्रकारों पर समय-समय पर क्रिकेट के नाम पर दया लूटाते रहते हैं और ये प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकार लाभान्वित होते हैं।

जब विद्रोही24 ने इस क्रिकेट इवेन्ट्स की ऑपरेशन शुरु की, तब पता चला कि इस क्रिकेट इवेन्ट्स में 12-12 टीमें भाग ले रही हैं। जिसमें प्रत्येक टीम में 26-26 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि एक टीम में 11 खिलाड़ी ही भाग लेते हैं, लेकिन बहुत सारे कारणों से पन्द्रह-सोलह खिलाड़ियों को भी रखा जाता है। लेकिन यहां आवश्यकता से भी अधिक 26-26 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।

लेकिन मैदान में देखा जाये, तो ये खिलाड़ी गायब दिखाई पड़ते हैं, कई टीमों में तो खेलने के लिए खिलाड़ियों को ढूंढा जा रहा हैं, बुलाया जा रहा है, पर आ नहीं रहे। ये वो लोग हैं, जिनका मेन मकसद 500 रुपये का रजिस्ट्रेशन करवाकर घर में सो जाना और मुफ्त में टी-शर्ट, पायजामा व जूते-मोजे लेना होता है।

लेकिन ये क्या, इस बार तो इनको घाटा उठाना पड़ सकता है। जो समाचार आ रहे हैं, बताया जा रहा है कि सामान की क्वालिटी दोयम दर्जे की है। कुछ तो बता रहे हैं कि मैच 28 जनवरी से शुरु हुआ हैं और जूते आज की तारीख में सभी को नहीं मिले हैं। ऐसे में रांची प्रेस क्लब कैसे मीडिया कप करवा रहा हैं, भगवान ही जाने।

एक-दो प्रतिभागियों ने बताया कि पहले जब क्रिकेट हुआ था तो उस वक्त नाश्ता का प्रबंध या क्वालिटी ठीक था, लेकिन इस बार वैसा नहीं है। राजनीतिक पंडितों व खिलाड़ियों की मानें तो आजकल इस प्रकार की प्रतियोगिता को शुरु करवाने के दिन आजकल नेताओं को बुलाने का फैशन चल पड़ा हैं। पूर्व में होता था कि खेल का उद्घाटन चाहे वो मीडिया कप का ही क्यों न हो। नामी-गिरामी खिलाड़ी को बुलाकर करवाया जाता था।

लेकिन इनका स्थान अब नेताओं ने ले लिया है। ये भी नेता कोई लाल बहादुर शास्त्री या डा. राजेन्द्र प्रसाद स्तर का नहीं होता। अपने ढंग का होता है। आकर भाषण दिया, हाथ मिलाया और चल देता है। सभी लोग बेमतलब की हंसी चेहरे पर लाकर फोटो खिंचाते हैं और चल देते हैं। बेचारा आज का नेता भी क्या करें, उसकी भी मजबूरी होती है। इन पत्रकारों से पंगा काहे लें। चुनाव लड़ना है।

अपना इमेज जनता के बीच में रखना-रखवाना है तो ये अपनी इमेज की चिन्ता में ऐसे कार्यक्रमों में आ जाते हैं और बाकी पैसे देनेवाली कंपनियां का काम तो केवल इन पर पैसे लूटाने से ही चल जाता है। मतलब ये पत्रकार चरण भी दबाते हैं और जरुरत पड़ने पर इन्हें अपनी पालकी पर बैठाकर जय-जय भी करते हैं और इस प्रकार नेता, पत्रकार, क्लब और कंपनियों की सहजीविता से इस प्रकार का कार्यक्रम धूम-धाम से समाप्त हो जाता है। लोग बता रहे है, कि रांची प्रेस क्लब का ये धूम धड़ाका टाटा मीडिया कप क्रिकेट दस फरवरी को समाप्त हो जायेगा।