यह समय केजरीवाल, ममता बनने का नहीं, नवीन पटनायक बनने का है, PM में मीन-मेख निकालने से अच्छा है, आप स्वयं पर ध्यान दें
मैं बार-बार कह रहा हूं, यह समय किसी पर दोषोरोपण करने या मीन-मेख निकालने का नहीं हैं और न ही अरविन्द केजरीवाल या ममता बनर्जी बनने का है, अगर ज्यादा लगता है कि कुछ बनना ही हैं तो मैं कहूंगा कि नवीन पटनायक बनिये, जो बिना किसी लाग-लपेट के अपनी जनता और देश के लोगों की निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा दे रहे हैं। मैं कहता हूं कि अभी वक्त बहुत बुरा है, इसलिए वक्त को पहचानिये, क्योंकि वक्त किसी का नहीं होता, अगर वो किसी को अर्श पर पहुंचाता हैं, तो फर्श पर पहुंचाने में उसे कितना समय लगेगा?
मेरा मानना है कि यह समय है पूरी निष्ठा के साथ जनता की सेवा करने का, उनके विश्वास को जीतने का तथा उनके मन में अंदर व्याप्त भय को मिटाने का है। पूरा विश्व कोरोना से कराह रहा है, ऐसे में भारत भी नहीं बच सकता। इन दिनों पूरा देश कराह रहा है, पर इस समय में हम अपना बहुमूल्य समय बतकही या मीन-मेख निकालने में लगायेंगे तो निःसंदेह उससे नुकसान न तो राज्य के मुख्यमंत्री का है और न ही प्रधानमंत्री का, नुकसान तो राज्य की जनता का हो जायेगा, जो हो भी रहा है।
जैसे आज ही “प्रभात खबर” में छपी प्रथम पृष्ठ की रिपोर्ट यह बताने के लिए काफी है कि राज्य की स्थिति क्या है? दुसरे राज्यों में तो ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण लोग मर रहे हैं, पर यहां तो आक्सीजन होने के बावजूद सही ढंग से आपूर्ति नहीं होने की वजह से लोग मर रहे हैं, उसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं प्रभात खबर में छपे समाचार का यह हेडिंग “सदर अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित, पांच की मौत” आखिर इन मौतों की जिम्मेवारी कौन लेगा, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री? दिल पर हाथ रखकर बताइयेगा।
आखिर कौन वे लोग हैं, जो आपका टिव्टर हैंडल करते हैं? कौन लोग हैं, जो इस प्रकार का प्रधानमंत्री के प्रति टोंटिंग करने का विचार देते हैं? क्या यह समय हैं, प्रधानमंत्री पर टोंटिंग करने का, राजनीति करने का? या कदम से कदम मिलाकर चलने का। मैं कहता हूं कि दिल में जब पीएम के प्रति आदर ही नहीं हैं, दुनिया को दिखाने के लिए उनके लिए आदरणीय शब्द का प्रयोग क्यों?
आज पहली बार देख रहा हूं कि देशस्तर पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री की आलोचना हो रही हैं, आलोचना करने में केवल भाजपा के लोग ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी हैं, जिनका भाजपा से कोई रिश्ता ही नहीं। क्या देश के महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों/बंदरगाहों पर विश्व समुदाय से जो राहत सामग्रियां आ रही है, क्या वे उचित जगहों पर समय से नहीं पहुंच रही हैं, क्या पूरे देश में भारतीय सेना जो ऑक्सीजन व दवाएं जन-जन तक पहुंचा रही हैं, वो आपके कारण हुआ है? क्या ऑक्सीजन को लेकर स्पेशल ट्रेनें चलाई गई, वो आपने किया है?
अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपसे फोन कर राज्य की जनता के हित में कुछ बात कर दी तो आप उस बात को ट्विटर के माध्यम से जनता तक पहुंचायेंगे, उनकी खिल्ली उड़ायेंगे? अरे आपने तो वहीं काम कर दिया दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की तरह, पीएम मीटिंग ले रहे थे, और अरविन्द केजरीवाल ने वाहवाही लूटने के लिए अपना भाषण अपने प्रिय चैनलों से मिलकर प्रसारण करा दिया और जब पीएम ने डाटा, तो लगे माफी मांगने।
भारत में 28 राज्य व 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं, पर सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में जितना कोरोना का कहर हैं, उतना और राज्यों में नहीं, दुर्भाग्य इन सभी जगहों पर भाजपा का नहीं, बल्कि कांग्रेस व महागठबंधन का शासन है। ऐसे में, मैं फिर कहूंगा कि अभी राजनीति छोड़िये, बस सेवा भाव रखिये, बोलने का काम दुसरों को दीजिये, नहीं तो सब कुछ अच्छा करने पर भी लीपा-पोता जायेगा, यह जान लीजिये और मैं नहीं चाहता कि आप अच्छा करने के बाद भी लोगों के नजर में गिर जाये। फिलहाल ये जो आपने लिखा है, वो आपको मुबारक, क्या लिखा है, फिर से पढ़ लीजिये…