अपराध

ये है झारखण्ड/धनबाद पुलिस का असली चाल-चरित्र, जिसके खौफ मात्र से छात्रा आत्महत्या कर लेती है

झारखण्ड में खासकर पुलिस पदाधिकारियों/कर्मचारियों के लिए समस्त कष्टों को हर लेनेवाला एक धनबाद शहर है, जहां पदस्थापना हो जाने से पुलिस पदाधिकारियों की सारी मनोकामनाएं स्वतः पूर्ण हो जाती है, इसलिए झारखण्ड में जिस भी किसी पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति होती हैं, उसकी एक महत्वाकांक्षा होती है कि उसे एक बार के लिए धनबाद भेज दिया जाय, ताकि उसके समस्त मनोकामनाएं बिना हाथपांव घुमाए ही पूरी हो जाये।

इस कार्य के लिए ये पुलिस पदाधिकारी किसी भी नेता के आगे जीहुजूरी कर सकते हैं, अगर सत्ताधारी दल से उनकी अच्छी ट्यूनिंग हैं, तो फिर क्या कहने, देखते ही देखते वह धनबाद में पदस्थापित हो जाता हैं, और अपने परिवार के लिए वो पल भर में सारी चीजें इकट्ठी कर लेता है, जो एक सामान्य आदमी मरतेमरते तक किसी भी जिंदगी में पूरा नहीं कर सकता।

ऐसे अधिकारी क्राइम कंट्रोल पर कम, तथा अपनी मनोकामना कैसे पूर्ण हो? इस पर ज्यादा ध्यान लगाते हैं, उसका प्रमाण आपके सामने हैं, धनबाद में कभी डाक्टरों के नर्सिंग होम में कट्टे से हमले होते हैं, तो कभी किसी पत्रकार की बेटी पर एसिड अटैक हो जाता हैं, और कल तो हद हो गया, एक के घर में पुलिस गई थी, पूछताछ करने के लिए, और उसी घर में पुलिस की पुछताछ से परेशान एक छात्रा पुलिस के रहते आत्महत्या कर लेती है, और पुलिस उसे बचाने के बजाय उसकी विडियो बनाते रहती हैं, ये हैं धनबाद पुलिस का चरित्र और ये है धनबाद में क्राइम कंट्रोल करने का पुलिसिया तरीका।

ऐसे तो पूरे झारखण्ड की पुलिस महान है, इसकी महानता के चर्चे समयसमय पर अखबारों चैनलों में कम पर सोशल साइट पर खूब देखने को मिलते हैं, हाल ही में एक झारखण्ड पुलिस का उच्चाधिकारी यानी पूर्व पुलिस महानिदेशक अपनी पत्नी के नाम पर 51 डिसमिल अवैध जमीन लिखवा लेता है, पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

एक अखबार में इसी पुलिस अधिकारी की फोटो छपी, जिसमें वह गले में सांप को माला बनाकर लटकाए हुआ था, उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, जबकि सामान्य व्यक्ति को कानून के कटघरे में खड़ाकर उसे सजा दिलाने में इनका कोई जवाब नहीं, हाल ही में जनाब सूचना भवन में इस प्रकार से प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे, जैसे लग रहा था कि ये भाजपा के प्रवक्ता हो, और लीजिये उन पर कोई कार्रवाई नहीं, इधर मोदी जी को देखिये, भ्रष्टाचार पर प्रहार की बात करते हैं, पर झारखण्ड में भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं रहता।

अगर आप भाजपाई नेता या विधायक है तो आप किसी भाजपाई महिला का यौन शोषण भी कर लें, कोई दिक्कत नहीं, आपके खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की जायेगी, ये नया चरित्र इजाद किया है, राज्य की पुलिस ने राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास की कृपापात्र होने पर। इसका जीता जागता उदाहरण है धनबाद के ही बाघमारा के भाजपा विधायक पर यौन शोषण का आरोप, भाजपा के ही धनबाद की जिला मंत्री कमला कुमारी ने लगाया, पर आज तक उसके खिलाफ कार्रवाई तो दूर प्राथमिकी तक दर्ज नहीं होने दी, इस धनबाद पुलिस ने।

अरे कितना लिखूं, एक छेद हो तो कह दूं कि यहां एक छेद हैं, यहां तो छेदेछेद है, कमाल है पन्द्रह अगस्त के दिन एक रांची के ही थाना प्रभारी को पुरस्कृत किया गया, उस थाना प्रभारी को जो न्यायालय द्वारा मिले सम्मन को संबंधित व्यक्ति के पास तब पहुंचवाता है, जब सम्मन का डेट खत्म हो चुका रहता है, कमाल है , ये हैं झारखण्ड पुलिस का चरित्र।

और अब आते हैं, धनबाद की कल की घटना पर। आठ वर्षीय आर्यन हत्याकांड में धनबाद की तेतुलमारी थाना की पुलिस ऐसा दबिश बनाती है कि सिजुआ निवासी अनिल कुमार बरनवाल की बेटी नेहा अपने घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेती है। वह भी तब जब पुलिस उस घर में मौजूद हैं, है शर्मनाक घटना।

नेहा के पिता कहते है कि पुलिस ने उस वक्त पुछताछ की, जब घर में नेहा के अलावा कोई नहीं था, उनकी पत्नी दुकान में थी, वे खुद पुलिस के बुलावे पर थाना जाने के लिए निकले थे, इसी बीच तेतुलमारी पुलिस उनके घर पहुंच गई और उनकी बेटी को टार्चर करना शुरु किया, बेटी उक्त टार्चर को बर्दाश्त नहीं कर सकी और आत्महत्या कर ली।

उनका यह भी कहना था कि उनकी बेटी की हत्या का दोषी तेतुलमारी पुलिस है। स्थानीय नागरिकों का कहना था कि कल 11 बजे तेतुलमारी पुलिस अनिल कुमार बरनवाल के घर पहुंची थी, जबकि तेतुलमारी पुलिस के बुलावे पर अनिल खुद थाने पहुंचा था, तेतुलमारी पुलिस घर पहुंच कर नजदीक के ही दुकान में गई नेहा की मां से कुछ पूछताछ की और फिर नेहा से भी पूछताछ करने के लिए नेहा को बुलाने को कहा, जैसे ही दरवाजे पर खड़ी नेहा ने सुना,  पुलिस उससे पूछताछ करेगी

वह कमरे में गई और ऐंगल के सहारे दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। नेहा के आत्महत्या की खबर जैसे ही लोगों को मिली, ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। ग्रामीणों का कहना था कि नेहा की जान बच सकती थी, जब उसने फांसी लगाई तो पुलिस बाहर थी, पुलिसकर्मी घर में भी घुसे पर वे नेहा को बचाने के बजाये, मोबाइल पर फोटो खींचने में व्यस्त रहे, यदि आननफानन में उतारा जाता, तो उसकी जान बच सकती थी।

ग्रामीणों का कहा था कि ऐसे पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। यानी ये हैं झारखण्ड पुलिस के काम करने का तरीका, चले थे एक हत्याकांड की जांच करने और एक और हत्या करवाने का श्रेय खुद ले लिया, धनबाद में हुआ ये कांड बताता है कि यहां की पुलिस कैसी है? ऐसे कई घटनाएं हैं, जिसके कारण राज्य की जनता तबाह हैं, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को लगता है कि उनके जैसा कोई शासनकर्ता राज्य में हुआ हैं और होगा?

आज पूरे राज्य में भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं/समर्थकों के इशारों पर कई संभ्रांत नागरिकों को झूठे मुकदमें में फंसाकर, उनकी इज्जत से खेला जा रहा हैं, और लोग कुछ भी डर से बोलने से चूक रहे हैं। जिनकी बहूंबेटियां हैं, आज उनके साथ गलत भी हो रहा हैं तो वे चुप्पी साध ले रहे हैं, क्योंकि वे जानते है कि पुलिस के पास जायेंगे तो न्याय तो नहीं मिलेगा, पर उनके इज्जत का फलूदा जरुर निकल जायेगा, इसलिए वे अपनी बहूंबेटियों को कुछ भी बोलने से रोक रहे हैं, ये स्थिति हैं, झारखण्ड पुलिस की और अगर झारखण्ड पुलिस के चरित्र को और बेहतर से जानना है तो बकोरिया कांड की पूरी कहानी पढ़ लीजिये, आपका सर शर्म से झूक जायेगा