राजनीति

चम्पाई की भाजपा नेताओं के साथ की यह तस्वीर सारी पोल-पट्टी खोल दी और बाकी काम सूरज मंडल ने कर दिया, जब उन्होंने चम्पाई की तुलना कौवे से करते हुए कहा कि इस टाइगर को जनता लोमड़ी बना देगी

उपर दिये गये फोटो ध्यान से देखिये। इस फोटो को सोची समझी रणनीति के तहत भाजपावालों ने वायरल करवाया है। ये फोटो आजकल के राजनीतिज्ञों के चाल-चरित्र को परिलक्षित करती है। झारखण्ड में मात्र पांच महीने वो भी हेमन्त सोरेन की कृपा से मुख्यमंत्री बने चम्पाई सोरेन दिल्ली में भाजपा के बहुत बड़े नेता व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल रहे हैं।

उनके साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वा सरमा भी है। हिमंता बिश्वा सरमा के चेहरे पर जो मुस्कान है, उस मुस्कान में छुपी कुटिलता स्पष्ट दिख रही हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चेहरे पर तो कोई भाव ही नहीं हैं। जबकि आम तौर पर ऐसे समय में सभी नेताओं के चेहरे पर एक समान हंसी रहती है। चाहे जो पार्टी ज्वाइन करनेवाला हो या पार्टी में ज्वाइन करवानेवाला।

अब इसी फोटो में चम्पाई सोरेन के चेहरे को देखिये, जिन्हें इस बात का घमंड है कि लोग उन्हें कोल्हान टाइगर के नाम से जानते हैं। देखिये उनकी कैसी स्थिति हैं? ऐसे भी इस स्थिति के जिम्मेवार वे खुद है। झामुमो जिसने इन्हें कहां से कहां पहुंचाया। उस झामुमो पर इनका आरोप है कि झामुमो ने इन्हें अपमानित किया। लेकिन गृह मंत्री के साथ जिस प्रकार से चेहरा लेकर बैठे हैं। उससे सम्मान मिल रहा है या अपमान। इसका आकलन करने में वे चूक रहे हैं।

शायद यही कारण रहा कि भाजपा के एक बड़े नेता सूरज मंडल ने रांची प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में इनकी तुलना एक कौवे से कर दी। यही सूरज मंडल आगे ये भी कहते है कि जो लोग टाइगर समझकर इसे भाजपा में शामिल कर रहे हैं। इसी टाइगर को जनता लोमड़ी भी बना देगी। मतलब जिन चम्पाई सोरेन को एक समय सम्मान की नजरों से देखा जाता था। उनके सम्मान में कितनी भारी कमी आ गई। इसका अंदाजा उन्हें नहीं हैं।

सूरज मंडल आगे ये भी कहते है कि भाजपावालों ने उन्हें अब तक क्या दिया। सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया और दस सालों में तो मोदी के नाम पर झारखण्ड को बर्बाद कर दिया। हालांकि आज सुरज मंडल झामुमो पर भी जमकर बरसे। लेकिन भाजपा को सर्वाधिक निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण में कटौती करनेवाले बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। ये बर्दाश्त से बाहर है।

मतलब साफ है कि भाजपा जिन-जिन नेताओं को झामुमो से उठाकर अपने पार्टी में शामिल कराने के लिए आतुर हैं और उसे लगता है कि उससे उनकी पार्टी मजबूत होगी। सीट बढ़ेंगी। ऐसा दूर-दूर तक नहीं दिखता। राजनीतिक पंडितों की मानें तो चम्पाई सोरेन या लोबिन हेम्ब्रम के भाजपा ज्वाइन करने से झामुमो को कोई नुकसान नहीं हो रहा, क्योंकि उसका जो वोटर हैं।

वो झामुमो छोड़कर किसी चम्पाई या लोबिन को नहीं जानता। लेकिन इसका दुष्परिणाम भाजपा को जरुर उठाना पड़ेगा। भाजपा अपने ही लोगों के बीच अलोकप्रियता के शिखर पर जा रही है। हालांकि 30 अगस्त को रांची में चम्पाई सोरेन के ज्वाइन करने की बात हो रही हैं। लेकिन सच्चाई यही है कि उसी दिन भाजपा में एक बड़े विद्रोही की नींव भी रख दी जायेगी।

जिसका परिणाम विधानसभा चुनाव के परिणाम के दिन दिखेगा। राजनीतिक पंडित कहते है कि चम्पाई के आने से भाजपा कार्यकर्ताओं को इस बात का विश्वास हो गया कि भाजपा को न तो अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास है और न ही अपने नेताओं पर, ये उधार का सिन्दुर से अपनी मांग भरने का ठेका लेने का काम शुरु किया हैं, जिसका परिणाम कभी सुखद नहीं होगा। ये सभी को जान लेना चाहिए।