अबकी बार 400 पार के नशे में बौराए रांची से लेकर दिल्ली तक के भाजपाइयों के घमंड को जेपी पटेल ने किया चकनाचूर, तिलमिलाए भाजपाइयों को सूझ नहीं रहा कोई रास्ता, ढूंढ रहे बहाने
वो (भाजपा के तथाकथित रांची से लेकर दिल्ली तक के बड़े-बड़े दिग्गजों का समूह) बड़ी खुशियां मना रहे थे, क्योंकि उन्होंने झामुमो पार्टी ही नहीं बल्कि शिबू सोरेन परिवार में सेंधमारी कर ली थी। लेकिन इनकी सारी खुशियां एक दिन भी नहीं टिक सकी और कांग्रेस के लोगों ने जे पी पटेल को अपनी ओर मिलाकर इनकी खुशियों में ऐसी आग लगाई कि बेचारे एक चिट्ठी लेकर स्पीकर के पास पहुंच गये।
ये (भाजपावाले) वहीं लोग हैं, जो कभी जे पी पटेल को कंधे पर उठाकर विधानसभा में विरोधी दल के नेता तक का ऑफर देने का मन बना चुके थे। लेकिन अंत में सचेतक बना दिया। जे पी पटेल भाजपा मूल या संघ मूल के कभी रहे नहीं, उनके विचार आज भी झामुमो से ज्यादा मेल खाते हैं। लेकिन जब झामुमो से इन्हें अपनी पार्टी में भाजपावालों ने मिलाया था तो बड़े ताव खा रहे थे। ऐसे ताव जैसे लगता है कि इन्होंने कोई जंग जीत लिया हो। लेकिन जैसे ही जे पी पटेल ने इनकी अब औकात दिखाई, तो बेचारे नीचे से लेकर उपर तक तिलमिलाये हुए हैं।
राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक कहना है कि दूसरे दलों की हर अच्छी-बुरी खबर पर नजर रखनेवाली भाजपा को अपने ही दल के अंदर क्या खिचड़ी पक रही हैं। पता ही नहीं चला। जे पी पटेल ने भाजपा की ऐसी की तैसी कर दी और कुछ गलत भी नहीं कहा। सीधे कह दिया कि उनके पिता और उनके विचारों से मेल नहीं खाती है भाजपा। आनेवाले समय में जो -जो लोग अन्य दलों से राजनीतिक स्वार्थ व अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति नाममात्र के लिए भाजपा में गये हैं। कल वे भी भाजपा को लातमार कर दूसरे दलों में चले जाये या उनका हाथ पकड़कर जेपी पटेल का ही डायलॉग फिर से कहें तो किसी को कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।
जो लोग विद्रोही24 के नियमित पाठक हैं। वे जानते हैं कि विद्रोही24 ने पूर्व में ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी कि जैसे-जैसे लोकसभा व विधानसभा के चुनाव की नजदीकियां बढ़ेंगी। भाजपा में भूकंप आयेगा। जिन पर भाजपा को सर्वाधिक विश्वास है। जिनको वो ज्यादा महत्व देती हैं। वहीं इसके सपनों पर कुठाराघात करेंगे। जिसका सिग्नल जेपी पटेल का भाजपा से नाता तोड़ना है। अभी तो जेपी पटेल ने नाता तोड़ा है और कल वे हजारीबाग से चुनाव लड़ गये तो फिर समझ लीजिये, मनीष जायसवाल कही के नहीं रहेंगे। मोदी की एक सीट कन्फर्म रुप से गई।
राजनीतिक पंडितों का तो ये भी मानना है कि जिन पत्रकारों ने एक दिन पहले कहा था कि सीता सोरेन के भाजपा में जाने से झामुमो को झटका। आज वे ये नहीं लिख रहे कि जेपी पटेल के भाजपा ज्वाइन करने से भाजपा को झटका। जबकि सच्चाई यह है कि इस झटके ने मोदी व शाह तक की नींद उड़ा दी है। यह भाजपा के लिए झटका नहीं, बल्कि यह सीधे मोदी और शाह को झटका है। वे इस झटके से शायद ही उबर पायें।
विद्रोही24 का तो साफ मानना है कि अभी कई भाजपा में ऐसे दिग्गज हैं। जिनका मन भाजपा से भर चुका है। वे बस कांग्रेस, राजद या झामुमो से सिग्नल का इंतजार कर रहे हैं। इधर से ही सिग्नल नहीं मिल रहा हैं। अगर सिग्नल मिल जाये तो भाजपा का तम्बू ही उखड़ा जाये, वहां कोई ऐसा नेता ही नहीं दिखेगा, जो फिर महागठबंधन से लोहा ले सकें। कुल मिलाकर जेपी पटेल ने बता दिया कि भाजपा ज्यादा खुशफहमी में नहीं रहे। यहां कोई मोदी लहर नहीं है। यहां लहर सिर्फ और सिर्फ एक ही बह रही है। जिसको समझना है, वे समझते रहे। हालात तो यह है कि यहां खूंटी से उनके केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा इस बार जीत पायेंगे या नहीं, इसको लेकर भी भाजपा आश्वस्त नहीं हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह द्वारा लिये जा रहे बेसिर-पैर के फैसले ने भाजपा कार्यकर्ताओं/नेताओं की नींद ही उड़ा दी है। जिसको लेकर भाजपा कार्यकर्ता/नेता असमंजस में हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की इस असमंजसताओं को लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ने का मन बना चुके लोग ताड़ चुके हैं और किसी गफलत में नहीं रहना चाहते। वे जानते है कि झारखण्ड में अंदर ही अंदर किसकी हवा बह रही है।
शायद इसीलिए जेपी पटेल ने भाजपा से खुद को किनारा कर लिया और भाजपा में रह रहे ऐसे लोगों के हौसले भी बुलंद कर दिये, जो भाजपा में रहकर अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए लगे हुए तो हैं, पर उन्हें सफलता नहीं मिल रही। ले-देकर वे दूसरे दलों के सम्पर्क में हैं। जल्दी ही एक बड़ा भाजपा नेता भी इंडिया गठबंधन का डोर पकड़ेगा, बस थोड़ा समय का इंतजार करिये।