अपनी बात

जो कानून तोड़े, वो दिल्ली से झारखण्ड आकर उपवास करें, सरकार-प्रशासन को आंखें दिखाएं और जो PM मोदी व कानून का सम्मान करें, वो रांची से जमशेदपुर जाने को तरसे

झारखंड सरकार ने लॉक डाउन में विगत एक माह से अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर फँसे विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को उनके चुनाव क्षेत्रों में जाने तथा अपने चुनाव क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाये जा रहे कोरोना का सामना करने वाले कार्यों का निरीक्षण करने के बारे में केन्द्र सरकार से मार्गदर्शन माँगा है, क्योंकि राज्य के सारे दलों के विधायक जो लॉकडाउन के कारण रांची में फंस गये थे, वे अपने-अपने इलाकों में जाकर जनता की सेवा करना चाहते थे।

चूंकि जमशेदपुर पूर्व के निर्दलीय विधायक सरयू राय, जिन्हें एक अनुशासित व कानून का सम्मान करनेवाले नेता के रुप में जाना जाता हैं, उन्होंने इसके लिए सर्वप्रथम राज्य सरकार से अपने विधानसभा क्षेत्र में जाने के लिए अनुमति मांगा, तब जाकर पता चला कि अपने इलाके में घूमने में भी कई पेंच हैं और ये पेंच केन्द्र ने ही लगा रखे हैं।

सरयू राय ने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और भारत सरकार के कैबिनेट सचिव से मौखिक व लिखित सम्पर्क भी साधा, पर उनकी समस्याओं का हल नहीं निकला, क्योंकि राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए, उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया। सरयू राय को लगा था कि 20 अप्रैल को जब लॉकडाउन से छुट्टी मिलेगी तो उनका जमशेदपुर पूर्व जाना संभव हो सकेगा, पर अब लगता है कि वो भी संभव नहीं है।

सरयू राय का कहना है कि उन्हें राज्य के अधिकारियों ने बताया था कि केन्द्र सरकार के निर्देश के बिना उनका जमशेदपुर पूर्व जाना संभव नहीं हो सकेगा। फिलहाल केन्द्र से ऐसा कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला हैं। सरयू राय के कथनानुसार केन्द्र व राज्य के अधिकारियों ने कहा था कि इसके लिये भारत सरकार से आदेश लेना पड़ेगा। श्री राय ने कहा था कि वे लॉकडाउन में प्रधानमंत्री का आदेश भी नहीं तोड़ना चाहते है और अपने चुनाव क्षेत्र भी जाना चाहते हैं इसलिये इसका प्रबंध क़ानून में होना चाहिये।

वैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात के मुख्यमंत्री अपने यहाँ के लोगों को बाहर से अपने राज्य में बसें भेजकर ला चुके हैं, यदि उन्हें ऐसा करने की अनुमति है, तो मुझे भी चुनाव क्षेत्र में जाने पर रोक नहीं होनी चाहिये। वे क़ानून तोड़ना नहीं चाहते। सरकार को अपने निर्देशों में इसका प्रावधान करना चाहिये। श्री राय के अनुरोध पर आज आपदा प्रबंधन विभाग, झारखंड सरकार के सचिव अमिताभ कौशल ने भारत सरकार को पत्र लिखा है। पत्र की छायाप्रति नीचे दी गई है।

पत्र देखने से साफ पता चलता है कि सरकार के सचिव अमिताभ कौशल ने भारत सरकार के अधीन गृह मंत्रालय (आपदा प्रबंधन विभाग) के संयुक्त सचिव को एक पत्र संप्रेषित किया है। जिसमें सासंदों, मंत्रियों व विधायकों के अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वापस पहुंचने और कोविड 19 के तहत चल रहे राहत कार्य की समीक्षा में उपस्थित रहने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गये हैं।

अब सवाल उठता है कि जब भारत सरकार द्वारा कोई इस पर गाइडलाइन राज्य सरकार को दिया ही नहीं गया, तो फिर भाजपा के बड़े नेता जैसे- रांची के सांसद संजय सेठ, धनबाद के सांसद पीएन सिंह दिल्ली से आराम से रांची व धनबाद कैसे पहुंच गये और मान लिया कि दिल्ली सरकार ने उन्हें जाने का पास दे दिया, तो फिर झारखण्ड में प्रवेश करने का अधिकार किसके आदेश पर जारी कर दिया गया? वो कौन अधिकारी था? जिसने झारखण्ड बार्डर पर इनदोनों को रोकने की कोशिश नहीं की और जाने दिया?

रांची के डीसी ने रांची के सांसद से अपने कार्यालय में मुलाकात कैसे कर ली? ये तो वही हुआ कि जो कानून का सम्मान करें, वो घर में पड़ा रहे और कानून की धज्जियां उडाएं, वो मस्ती में घूमता रहे और फिर राज्य सरकार को ही कानून का पाठ पढाने लगे, उस कानून का जो केन्द्र सरकार ने जारी ही नहीं किया। क्या अब भाजपा के वे नेता जो आज उपवास पर बैठे थे, यह कहकर कि राज्य के बाहर फंसे लोगों को राज्य में बुलाने के लिए उन्होंने उपवास किया हैं। 

क्या वे भाजपा नेता बताएंगे कि केन्द्र ने अब तक इस संबंध में दिशा-निर्देश क्यों नहीं जारी किया? एक कानून का पालन करनेवाला विधायक सरयू राय अपने क्षेत्र में जाने के लिए क्यों संघर्ष कर रहा है? शायद ही इसका जवाब भाजपा के नेता दे पायेंगे, क्योंकि इन्हें राजनीति छोड़ दूसरा कुछ आता ही नहीं, सरयू राय को इसके लिए सलाम, क्योंकि उन्होंने बहुत ही उचित मुद्दे को जनता के बीच रख दिया।