जो बेटियों से करें प्यार, वो रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति के पंडाल आने से कैसे करें इनकार, बच्चियों को जीने के अधिकार के आह्वान के बीच मन रही दुर्गा पूजा लोगों को कर रही भाव-विभोर
चूंकि जब से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा दिया है। तभी से पूरे देश में बेटियों के संरक्षण व संवर्द्धन को लेकर एक जनांदोलन खड़ा हो गया है। उस जनांदोलन का प्रभाव दुर्गा पूजा महोत्सव पर भी पड़ा है। रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति के आयोजनकर्ताओं ने इस बार बच्चियों के जीने के अधिकार को ही थीम बनाकर दुर्गा पूजा महोत्सव मना डाला है।
जिसकी चर्चा पूरे रांची में हैं, लोग दूर-दूर से यहां आकर इस पंडाल को देख भी रहे हैं और इसकी सराहना भी कर रहे हैं। यही नहीं इसके चित्र और वीडियो को बनाकर अपने-अपने सोशल साइट पर डालकर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक व टिव्टर आदि पर वायरल भी कर रहे हैं। कई लोगों को देख रहा हूं कि वे इस पूजा समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय के साथ सेल्फी लेकर स्वयं को आनन्दित भी कर रहे हैं।
ऐसा हो भी क्यों नहीं। मुनचुन राय ने कुछ काम ही ऐसा किया है। इस पंडाल को बनाने में कलाकारों ने भी अपनी बेहतरी का शानदार प्रदर्शन किया हैं। पूरे पंडाल में गर्भ में पल रहे बेटियों के विभिन्न मुद्राओं को इस पंडाल में दिखाया गया है। साथ ही लोगों को बताया गया है कि मनुष्य की एक गलती कैसे पूरे विश्व को खतरे में डाल रही हैं। बेटी की उपयोगिता उसके सामाजिक महत्व को ध्वनिविस्तारक यंत्रों से भी बताया जा रहा हैं।
इसी पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा अति सौम्य रुप में दिख रही है। धर्म के प्रतीक के रुप में सिंह की उपस्थिति अद्भुत दिख रही हैं। वही मां दुर्गा के परिवार में भगवान गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी व सरस्वती की भव्यता देखते बन रही हैं। यहां मां भगवती व उनके परिवार की प्रतिमा और जगहों से अलग दिख रही हैं। यहां मां का रुप शांति रुप में स्थापित हैं। कही से भी मां का रुप यहां अन्य रुपों में प्रदर्शित होता नहीं दिख रहा।
मां के इस रुप को देखकर आप के मुख से दुर्गा सप्तशती के पांचवे अध्याय में वर्णित यह मंत्र स्वतः निकल पड़ेंगे।
या देवी सर्वभुतेषू शांतिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
एक बात और यहां की खासियत है कि बाह्य सौंदर्य की अपेक्षा मां के दरबार का आंतरिक सौंदर्य कुछ ज्यादा ही मन व आत्मा को आह्लादित कर देती हैं। यहीं कारण है कि बाहर की अपेक्षा अंदर यानी मां के दरबार में भक्तों के मोबाइल कुछ ज्यादा ही देर तक मां के सौम्य रुप को अपने कैमरे में कैद करने के लिए ज्यादा ही लालायित देखते हैं, हालांकि अंदर में बढ़ती भीड़ को देख, ध्वनिविस्तार यंत्रों से भक्तों को बाहर आने का अनुरोध किया जाता है, पर भक्तों पर उस अनुरोध का कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखता।
अंततः अगर आप रांची से बाहर के हैं तो आप रांची रेलवे स्टेशन जरुर पहुंचिये और इसका अवलोकन करना न भूलिये, क्योंकि इसके बिना आपकी दुर्गा पूजा पंडाल के अवलोकन की यात्रा अधूरी ही मानी जायेगी, क्योंकि इस बार भी रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति ने आपके लिए कुछ अलग ही नजारा पेश कर दिया है।