अपनी बात

कल तक सड़कों पर लोगों को उतारनेवाले अब खुद ही सड़कों पर उतर गये हैं, भजन गा रहे हैं – हमारे प्रभु अवगुण चित न धरौ और प्रभु ऐसे हैं कि मान ही नहीं रहे, वे न्याय दिलाने में ज्यादा रुचि दिखा रहे

कल तक सड़कों पर लोगों को उतारनेवाले अब खुद ही सड़कों पर उतर गये हैं, भजन गा रहे हैं, हमारे प्रभु अवगुण चित न धरौ, लेकिन प्रभु ऐसे हैं कि मान ही नहीं रहे, वे तो कह रहे हैं कि कर्मफल सिद्धांत के अनुसार आपको वो सब कुछ प्राप्त होगा, जिसके आप हकदार हैं। जरा देखिये न, आज उनको दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के जन्म दिन की यादें सता रही हैं। वे आज पृष्ठ संख्या एक, पृष्ठ संख्या चार और पृष्ठ संख्या आठ दिशोम गुरु शिबू सोरेन को समर्पित कर चुके हैं।

पांच जनवरी को यही अखबार अपने मुख्य पृष्ठ पर डंके की चोट पर लिखा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ और जनहित की पत्रकारिता के कारण प्रभात खबर को पहले भी निशाना बनाया जाता रहा है। प्रभात खबर दबाव में न पहले झुका था, न आगे झुकेगा, जनता की आवाज बना रहेगा। इसी समाचार के कॉलम चार-पांच में इस अखबार ने लिखा था कि “इतिहास बताता है कि जब-जब प्रभात खबर को परेशान किया गया है। झूठे मुकदमें में फंसाने का प्रयास किया गया है। जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है। पाठक जनता सड़कों पर प्रभात खबर के समर्थन में उतरी है। यही प्रभात खबर की सबसे बड़ी ताकत रही है।”

लेकिन सच्चाई क्या है, जनता तो सड़कों पर नहीं उतरी और न ही रांची में पत्रकारों का समूह उतरा। हां, इन्होंने पता नहीं दिल्ली में एडिटर्स गिल्ड को क्या बताया, उसका बयान जरुर आया, जो प्रभात खबर ने 6 जनवरी को छापा और रांची प्रेस क्लब के एकमात्र अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन का अपने पक्ष में बयान छपवाया। बाकी रांची प्रेस क्लब के किसी भी पदधारी ने अपना बयान देना जरुरी नहीं समझा और न रांची प्रेस क्लब ने इनके समर्थन में सड़कों पर उतरने की कोशिश ही की।

हालांकि इन्होंने अपने पक्ष में बयानवीर नेताओं तथा छुटभैये कथित पत्रकारों के बयान जरुर छापे, जो छपास की बीमारी से पीड़ित होते हैं, वैसे लोगों को इन्होंने खूब जगह दी। फिर भी जो इन्होंने सोचा था कि बवाल खड़ा हो जायेगा। वैसा दिखा नहीं। इधर सरकार भी यह सोच ली थी कि प्रभात खबर को इस बार न्याय दिला ही देना चाहिए। इसलिए सरकार के अधिकारियों का दल भी प्रभात खबर को न्याय दिलाने के लिए कमर कस लिया। उधर प्रभात खबर को पता है कि इसका क्या फलाफल निकलेगा। इसलिए उसने सब दिमाग लगाकर देख लिया तो अब वो काम करने लगे, जिसकी अंदेशा सभी को था।

प्रभात खबर ने सरकार को रिझाने के लिए आज दिशोम गुरु के जन्मदिन का सहारा लिया और अपने अखबार के तीन प्रमुख पृष्ठ उन्हें समर्पित कर दिये। हालांकि हम आपको बता दे कि दिशोम गुरु का जन्मदिन कोई आज पहली बार नहीं आया है। हर साल आता है, यह अखबार उस दिन कुछ न कुछ छापता भी है, क्योंकि बिना दिशोम गुरु के वंदन के वो भी झामुमो की सरकार रहते आप अखबार चला लें, ये संभव भी नहीं हैं।

लेकिन आज तीन-तीन पृष्ठ देना, अखबार का कवर पृष्ठ को शिबू सोरेन के चित्र से रंग देना, प्रभात खबर की मनःस्थिति को प्रदर्शित कर दे रहा है। जो बताता है कि जो नया-नया यानी अखबार के मालिक, अखबार के प्रधान संपादक और स्थानीय संपादक तथा एक अन्य के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज हुआ है। उस मुकदमें से हेमन्त सरकार त्राण दिलायें, पर विद्रोही24 को लगता है कि हेमन्त सरकार इस बार प्रभात खबर को न्याय दिलाने के लिए कमर कस चुकी हैं। वो जरुर न्याय दिलायेगी, क्योंकि इस बार राज्य की जनता भी चाहती है कि प्रभात खबर की दुखी आत्मा को न्याय मिले और इस बार न्याय कैसा होगा, वो सभी को पता है।

फिलहाल जब तक न्याय नहीं मिल जाता, तब तक के लिए प्रभात खबर के नये-नये रुप व अंदाज का मजा लीजिये। इधर जनता का कहना है कि प्रभात खबर के विद्वान संपादकों का समूह तो कहता है कि जोगेन्द्र तिवारी ने उन्हें फोन पर धमकी दी थी। लेकिन आज तक उन्होंने जनता को यह नहीं बताया कि धमकी में जोगेन्द्र तिवारी ने वस्तुतः कहां क्या? आखिर वो धमकी क्या थी?

कुछ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रभात खबर की वर्तमान स्थिति को देखकर हालांकि अब सब कुछ पता चल गया है कि सच्चाई क्या है? नहीं तो जो पैंतरे पांच जनवरी को प्रभात खबर ने लेने शुरु किये थे, वो पैतरे अगर सही में जमीन पर उतर जाते तो बात ही कुछ और होती, लेकिन सच तो सब को पता है और जो कल तक नहीं जानते थे, उन्हें भी अब पता हो गया है। इसलिये मामले को ठंडा करने के प्रयास पर फिलहाल दिमाग लगाया जा रहा है।