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धनबाद प्रेस क्लब में सदस्यता देने के नाम पर हजारों का घोटाला, प्रेस क्लब के अधिकारियों पर कुछ पत्रकारों ने लगाये गंभीर आरोप, केस करने की दी धमकी

लीजिये घोटाला केवल पार्टी/दल या सरकारें ही नहीं करती, अब तो पत्रकार भी करने लगे हैं, प्रेस क्लब भी करने लगे हैं, उसमें शामिल अधिकारी भी करने लगे हैं, तभी तो धनबाद प्रेस क्लब के व्हाट्सएप ग्रुप में कई पत्रकारों ने सदस्यता के नाम पर उनसे वसूली गई 500-500 रुपये की राशि कहां गई? इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं, जिस पर धनबाद प्रेस क्लब के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

एक अधिकारी (धनबाद प्रेस क्लब के व्हाट्सएप ग्रुप को देखने पर तो यही पता चलता है कि वो सचिव है, नाम प्रकाश दिख रहा है) साफ कहता है कि “अभी तो आप इसे चंदा ही समझे।” यह बात वो तब कहता है, जब दिलशाद नामक पत्रकार उससे यह पूछता है कि “नए सदस्यों से पैसा सदस्यता शुल्क के एवज में लिया गया था या चन्दा? कृपया स्पष्ट करें, सचिव महोदय।” धनबाद प्रेस क्लब के सचिव प्रकाश के प्रत्युत्तर में यही दिलशाद कहता है कि “बोल कर मांगते न भैया,  रमजान में फितरा जकात का पैसा निकालते है, वो भी दे देते”।

कहने का मतलब, सदस्यता के नाम पर पैसे लिये गये और अब उन पैसों को चंदा बताने की हिमाकत धनबाद प्रेस क्लब का सचिव कर रहा है, क्या ये गलत नहीं हैं, क्या ये भ्रष्टाचार नहीं हैं। पूरे व्हाट्सएप ग्रुप पर धमाल मचा हुआ हैं, जिनका पैसा फंसा हुआ हैं, वे मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें सही जवाब नहीं मिल रहा। जो लोग पैसे की मांग उठा रहे हैं, उनके पास रसीद भी हैं, लेकिन उन्हें सदस्यता भी नहीं मिली, इसलिए वे कह रहे है कि जब हमें सदस्यता ही नहीं दी गई तो फिर पैसे लौटाने में क्या दिक्कत है?

अब जरा देखिये…यहां क्या तमाशा हो रहा हैं, और लोग कैसे धनबाद प्रेस क्लब को नंगा कर रहे हैं, नंगा करनेवाले कोई दूसरे नहीं, बल्कि पत्रकार ही हैं। पत्रकार अजय प्रसाद, प्रकाश को कोट कर लिखते हैं कि “झूठ बोलकर चंदा नहीं मांगा जाता हैं, चंदा मांगना था तो ऐसे कह दिया जाता, दे देता लोग”।

कन्हैया का कहना है कि “हमको लगता है पैसा ई लोग देंगे नहीं। ई बड़ा घोटाला लग रहा है। काहे की इतना देर में कोई पदाधिकारी ये नहीं बोल रहे हैं कि हम देंगे। मामला गंभीर है। कृपया सब लोग संज्ञान लीजिये।” बंटी नामक पत्रकार का कहना है कि “सचिव महोदय जिन-जिन से नये मेम्बरशिप के नाम पर पैसा लिया गया है। उनका पैसा वापस होना चाहिए, जब उनको मेम्बर का अधिकार ही नहीं मिला, तो पैसा रखना मेरे ख्याल से गलत बात है।”

कन्हैया, प्रकाश को कोट कर लिखता हैं कि “आपको चुनना ही दुर्भाग्यपूर्ण था,  आप तो अब उल्टा बोलने लगे, पैसा वापस कीजिये, नहीं तो केस करेंगे। पैसा जो लोग लिये थे, उन्हीं के पास है, अभी तक कमेटी में जमा नहीं किया गया।  जिनको आपलोग पैसा दिये हैं, उनसे जरुर मांगे।  जरुरत पड़े तो हमें भी साथ ले लें, क्योंकि मेरा भी पैसा फंसा हुआ है।”

इसी व्हाट्सएप ग्रुप में राममूर्ति पाठक कहते हैं कि “जो सदस्यता शुल्क जमा किये हैं और उनका नहीं बना है, कमेटी के अध्यक्ष को आवेदन सौंपे और उसमें किनको कितना पैसा दिया गया है, और सिलिप संलग्न करें।” राममूर्ति पाठक, कन्हैंया के साथ आगे वार्ता में यह भी कहते है कि “आवाज उठाते-उठाते लोग आवाज दबा देते हैं, ऐसा काम मत करना कन्हैया, जो आवाज नहीं उठाते, वो आज देखो कहां हैं?”