कल तक एमवी राव को DGP बतानेवाला अखबार, आजकल प्रभारी DGP क्यों लिखने लगा भाई? कही दाल में काला तो नहीं
झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक एमवी राव ने 11 अप्रैल को राज्य के मीडियाकर्मियों को उनका चेहरा क्या दिखा दिया? रांची के मीडियाकर्मियों ने इसे दिल पर ले लिया और अपने अखबारों व सोशल साइटों के माध्यम से झारखण्ड के डीजीपी एमवी राव को अपने दिव्य ज्ञानों से उपदेशित करने लगे।
ये मीडियाकर्मी ईर्ष्या, द्वेष व घृणा में इतने गिर गये कि कल तक जिस एमवी राव को अपने अखबारों में डीजीपी लिखकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते थे, आज अपने ही अखबारों में एमवी राव के लिए प्रभारी डीजीपी शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। मतलब साफ है कि अब वे एमवी राव को फूंटी आंखों से भी देखना पसंद नहीं करते।
कल तक एमवी राव के लिए डीजीपी और अब प्रभारी डीजीपी लिखा जाना, स्पष्ट बताता है कि इन अखबारों ने किस प्रकार अपने आपको गिरा लिया है। हालांकि जो एमवी राव को जानते हैं, वे यह भी जानते है कि आप उन्हें कितना भी ज्ञान दे लें, या उन्हें प्रभारी डीजीपी कहकर संबोधित करें, एमवी राव को कुछ भी फर्क नहीं पड़ता, और न ही वे कभी मीडियाकर्मियों से अपने लिए सम्मान की अपेक्षा रखते हैं।
वे आज जो भी हैं, वे अपने व्यक्तित्व और कृतित्व के कारण ही इतने ऊंचे ओहदे पर गये, न कि किसी मीडियाकर्मी की कृपा से, जैसा कि मीडिया के क्षेत्र में कार्य करनेवाले कुछ लोग करते हैं, जैसे नेताओं के पास जाकर किसी अधिकारी का पैरवी करना और अपनी पत्रकारिता की आड़ में किसी भी अधिकारी का तबादला या प्रोन्नति करवा देना, तथा इसके एवज में संबंधित अधिकारी से मुंहमांगी रकम प्राप्त कर लेना। ये केवल झारखण्ड का हाल नहीं, पूरे देश का है।
फिलहाल रांची में एक अखबार और उसका रिपोर्टर लगता है कि एमवी राव के पीछे हाथ-धोकर पड़ गया हैं, आजकल सोशल साइट और अखबार में वह एमवी राव को खूब निशाना बना रहा हैं, उदाहरणस्वरुप मैंने अखबारों की कतरनें, इसी साइट पर उल्लेखित कर दी हैं, एक कतरन आज की हैं, जिसमें डीजीपी के आगे प्रभारी लिखा हुआ हैं, और दूसरी कतरन पूर्व की हैं, जिसमें सिर्फ डीजीपी लिखा हुआ है।
एक पत्रकार महानुभाव तो सोशल साइट पर हिन्दपीढ़ी को लेकर, डीजीपी को बहुत बड़ा ज्ञान दे डाले हैं, और यह ज्ञान क्यों हैं? वो मैं जानता हूं, क्योंकि मीडिया में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा हैं, जो रांची के हिन्दपीढ़ी को दूसरी निगाहों से देखता है, और इसके लिए अगर कोई जिम्मेवार हैं तो हिन्दपीढ़ी के वे बुद्धिजीवी हैं, जिन्होंने इस बदनुमे दाग को हटाने की कभी कोशिश नहीं की, नतीजा हमेशा उस बदनुमे दाग में बढ़ोत्तरी हो जा रही हैं।
मीडियाकर्मियों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि वो जो कहें, वही झारखण्ड के डीजीपी करें, जबकि झारखण्ड के डीजीपी विद्रोही24 डॉट कॉम से जब भी मिले तब उनका यही कहना रहा है कि वे वहीं करेंगे, जो राज्य हित में होगा, कानून के हित में होगा, किसी मीडिया ट्रायल पर उनका काम होने का सवाल ही नहीं उठता, ऐसे उनके बारे में कोई भी कुछ भी लिखने को स्वतंत्र हैं, परन्तु उनकी पहली प्राथमिकता कानून-व्यवस्था को बनाये रखना, कोविड 19 से प्रभावित लोगों को प्राथमिकता के आधार पर हरसंभव मदद करना, उन्हें जागरुक करना तथा संवेदनशील होकर उनकी भावनाओं को समझना हैं, न कि मीडिया ट्रायल कर जो मन करें, वो कर दें, ऐसे में तो स्थिति बिगड़ेगी।
वैसे भी जो लोग कानून को हाथ में ले रहे हैं, चाहे वह कोई भी हो, आप देख रहे होंगे कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही हैं, गिरफ्तारियां भी हो रही हैं, उन्हें उनके किये की सजा भी मिलनी तय हैं, इसलिए कोई किसी को बरगलाने का काम न करें। इस भीषण त्रासदी में उन्हें जो भी दिशा-निर्देश दिये गये हैं, वे उसका पालन कराने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उनकी पहली और अंतिम प्राथमिकता भी यही है।