अपनी बात

भाड़ में जाये भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति व दिल्ली स्थित पार्लियामेंट्री बोर्ड झारखण्ड में वहीं होगा जो ढुलू चाहेगा, तभी तो चंदनकियारी से कौन लड़ेगा, इसकी घोषणा ढुलू ने ताल ठोककर भरी सभा में कर दी

न खाता न बही, जो झारखण्ड में धनबाद से भाजपा का दबंग सांसद ढुलू बोले वही सही। देखते नहीं, जब पीएम नरेन्द्र मोदी झारखण्ड से चुने हुए भाजपा के जनप्रतिनिधियों को अपने कक्ष में बुलाते हैं, तो उनके बगल के पहले वाली कुर्सी पर कौन होता है? वो ढुलू महतो होता है। ये सब को जान लेना चाहिए। आज झारखण्ड से नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को सबसे प्रिय कोई हैं तो वो हैं – ढुलू और सिर्फ ढुलू यानी ढुलू महतो।

तभी तो ढुलू ने आज चंदनकियारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वो कह दिया, जिसे कहने की ताकत किसी में नहीं, क्योंकि भाजपा शायद (अब नहीं), स्वयं को अनुशासित कही जानेवाली पार्टी मानी जाती है। जरा देखिये, ढुलू ने कहा क्या? ढुलू ने कहा कि जैसे सूर्य का पूर्व में उगना सत्य है, ठीक उसी प्रकार चंदनकियारी से भाजपा के टिकट पर अमर कुमार बाउरी का चुनाव लड़ना तय है।

ज्ञातव्य है कि अमर कुमार बाउरी नेता प्रतिपक्ष है। वे चंदनकियारी से पूर्व में पहली बार झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े थे। फिर बाद में भाजपा में शामिल हुए और दूसरी बार भी चुनाव जीते। अमर कुमार बाउरी के पूर्व इस सीट पर आजसू का कब्जा था और यहां से उमाकांत रजक चुनाव जीतते आ रहे थे। चंदनकियारी सीट पर आज भी आजसू चुनाव लड़ना चाहती है और वो इस सीट पर अपना दावा भी ठोक रही है।

राजनीतिक पंडित कहते है कि ढुलू महतो का अमर कुमार बाउरी का नाम चंदनकियारी से खुले तौर पर लेना इस बात का संकेत है कि भाजपा के बड़बोले नेताओं को गठबंधन धर्म कैसे निभाया जाता हैं, इसकी जानकारी ही नहीं या ये अपने उपर के नेताओं द्वारा मिली छूट के आधार पर जमकर वो बोल रहे हैं, जिससे आनेवाले समय में गठबंधन पर इसका प्रभाव पड़ना तय है।

भाजपा के एक टॉप के नेता ने विद्रोही24 को नाम न छापने के शर्त पर बताया कि अभी कोई भी नेता, किसी भी व्यक्ति के बारे में यह कैसे ताल ठोक सकता है कि कोई व्यक्ति कहां से चुनाव लड़ेगा। कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। इसे तय तो प्रदेश चुनाव समिंति करेगी। उसके बाद दिल्ली स्थित भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा। अभी तो गठबंधन पर कोई अंतिम राय भी नहीं बनी है। अगर कोई नेता बड़बोलेपन में इस प्रकार की बात करेगा तो गठबंधन पर इसका असर पड़ना तय है।

भाजपा नेता यह भी कहते हैं कि भाजपा में तो आंतरिक सर्वें व रायशुमारी की भी बातें होती हैं। रायशुमारी में हो सकता है कि अमर कुमार बाउरी के पक्ष में वहां के कार्यकर्ताओं ने अपना पक्ष रखा हो, लेकिन आंतरिक सर्वें की रिपोर्ट क्या कहती हैं, इसकी जानकारी ढूलू जैसे लोगों को कैसे हो सकती है। ढुलू का ये बयान, साबित करता है कि भाजपा में अब अनुशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई। जिसके पास धनबल का ताकत है। वो कुछ भी कर सकता है। वो पीएम और गृह मंत्री तक को प्रभावित कर सकता है, ऐसे में प्रदेश चुनाव समिति और दिल्ली की पार्लियामेंट्री बोर्ड किस खेत की मूली है?

राजनीतिक पंडित कहते है कि एक समय था। 1985 से पूर्व कांग्रेस की यही स्थिति थी। कांग्रेस के एक नेता जो बोलते थे। वो सबको मानना पड़ जाता था। आज वहीं कांग्रेस एक-एक सीट के लिए तरस रही है और लोग उसके नाम पर वोट देने से भी हिचकते हैं। भाजपा का भी वो दिन अब लगता है कि आ चुका है, क्योंकि जिस भाजपा के पास आज सभा में लाने के लिए लोगों की भीड़ नहीं जुट रही हैं। वो भाजपा अपने बलबूते झारखण्ड में कितनी सीटें लायेंगी। शायद अब उसको भी पता हो चला है। तभी तो पीएम से लेकर निचले स्तर तक भाजपा के नेताओं का दल झारखण्ड का दौरा कर रहा है। लेकिन जनता उनकी ओर ध्यान तो दूर, उसे भाजपा की ओर देखने तक की फूर्सत नहीं हैं।