भाषाई अस्मिता एवं 1932 खतियान के विरोध में आज के झारखण्ड बंद को जनता का नहीं मिला समर्थन, सामान्य दिनों की तरह रहा झारखण्ड का जन-जीवन
भाषाई अस्मिता एवं 1932 खतियान के विरोध में आज के झारखण्ड बंद को जनता समर्थन नहीं मिला। पूरे झारखण्ड में सामान्य दिनों की तरह झारखण्ड का जन-जीवन रहा, हालांकि किसी अनिष्ट की आशंका से भयभीत स्थानीय प्रशासन ने जनता को कष्ट न हो, इसकी बेहतरीन व्यवस्था की थी, जगह-जगह बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात किये गये थे, हालांकि बंद के समर्थकों का कहना है कि आज का झारखण्ड बंद पूरी तरह सफल रहा। राज्य में बहुसंख्यक भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका आदि भाषियों के सम्मान के लिए उनका संगठन हर कुर्बानी देने को तैयार है।
आंदोलनकारियों का कहना था कि उनकी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मांग है कि उनकी मांगों पर हेमन्त सोरेन ध्यान दें। उर्दू के तर्ज पर हिन्दी भाषा को शामिल किया जाय, अन्यथा झारखण्ड के सभी 24 जिलों में महापंचायत कर प्रतिकार सभा किया जायेगा। उनका यह भी कहना था कि झारखण्ड बंद उनकी रणनीति का एक छोटा सा हिस्सा है, ये सरकार के लिए चेतावनी भी है।
आंदोलनकारियों का कहना था कि कांग्रेस, राजद, जेएमएम नेता सदन में उनका साथ दें, उनकी मांगों को उठाएं, अन्यथा सभी का वे विरोध करेंगे। उनकी मांग थी कि राज्य में स्थानीय नीति राज्य स्थापना वर्ष 15 नवंबर 2000 तय हो या एक साथ बने छत्तीसगढ़-उत्तराखंड के तर्ज पर स्थानीय नीति तय हो। उनका कहना था कि झारखंड के रोम-रोम में बिहार बसा हुआ हैं, झारखंड के चप्पे चप्पे में युगों से निवास करने वाले तीसरी चौथी पीढ़ी के बहुसंख्यक बिहारी रहते हैं, इन्हे नजरंदाज कर राज नही चलेगा।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के बैनर तले अध्यक्ष कैलाश यादव के नेतृत्व में झारखंड बंद करवाया गया। श्री यादव ने कहा की बंद पूरी तरह से सफल रहा। धुर्वा, डोरंडा, हरमू, कोकर, कांके रातु रोड, अपर बाजार, बरियातू, सहित मेन रोड की तमाम दुकानें बंद रही। उन्होंने समर्थन करने वाले सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों सामाजिक संगठनों को भी धन्यवाद दिया।