रांची में अब कॉलर पकड़ तथा सामान्य व्यक्ति की इज्जत उतार जूर्माने वसूल रही हैं ट्रैफिक पुलिस
जब से नये ट्रैफिक जूर्माने तय हुए हैं, पुलिस अधिकारियों की बल्ले–बल्ले हैं, नेताओं व अधिकारियों की भी बल्ले–बल्ले हैं, क्योंकि नेता व अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी गाड़ियों द्वारा किये जा रहे ट्रैफिक नियमों की अवहेलना पर जूर्माना करने की ताकत किसी को नहीं हैं, क्योंकि ये ट्रैफिक पुलिस उसी वक्त इन महान आत्माओं की गाड़ियों को सुरक्षा देकर अपने – अपने क्षेत्रों से निकालने के लिए बाध्य होते हैं, वह भी सैल्यूट देकर।
पूरे राज्य ही नहीं बल्कि देश में भी इसको लेकर बवाल हैं, कुछ लोगों ने इसे ‘गडकरी टैक्स’ तो किसी ने इसे ‘ट्रैफिक आतंकवाद’ की संज्ञा दे दी हैं, और इसे आप गडकरी टैक्स कहे या ट्रैफिक आतंकवाद, इससे अगर कोई परेशान हैं तो वह हैं मध्यमवर्ग और निम्नवर्ग, क्योंकि जो उच्चवर्ग हैं, उसको छूने की हिमाकत वर्तमान सिस्टम को नहीं है, क्योंकि इस सिस्टम की इजाद वहीं करता है।
कमाल की बात हैं, जबसे नये जूर्माने तय हुए है, अब तक किसी नेता या किसी बड़े अधिकारी की गाड़ी से जुर्माना नहीं वसूले गये हैं, इसका मतलब यह नहीं कि ये ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं, सच्चाई यह है कि सर्वाधिक ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन यहीं करते हैं, पर गाज गिरती हैं, मध्यमवर्गीय व निम्नवर्गीय परिवारों पर, जो साफ्ट कार्नर होते हैं, जो चीखता हैं, चिल्लाता हैं, फिर भी वह वोट देने के समय जयश्रीराम कहकर दांत निपोड़ वोट थमा देता हैं, तो जब वोट दिजियेगा तो झेलेगा कौन? आप ही न, झेलते रहिये और फिर झारखण्ड विधानसभा चुनाव आ रहा हैं, इतना होने के बावजूद भी वोट गिराइयेगा।
कहने को तो कहा जा रहा है कि नियम लागू करानेवाले कर्मी और अधिकारियों से दोगुना फाइन लेने का है, पर सच्चाई यह है कि अब तक कोई अधिकारी इस चपेट में नहीं आया हैं, जानकार बताते है कि इसकी संभावना भी दूर–दूर तक नजर नहीं आती। आज कहने को कहा जा सकता है कि एक ट्रैफिक कांस्टेबल राकेश कुमार को 36,000 रुपये का जूर्माना भरना पड़ा, पर वो जनता के लिए सिर्फ आइ वाश के सिवा कुछ भी नहीं।
पत्रकार अखिलेश कुमार सिंह लिखते है कि ‘झारखण्ड में सरकार ने पुलिस की गाड़ियों को इंश्योरेंस मुक्त रखा है, यानी इंश्योरेंस नहीं होने की वजह से पुलिस गाड़ी का चालान नहीं कटेगा। बदले में पुलिस ने हरमू बाइपास में वो सारे कैमरे बंद रखे हैं, जिससे VVIP गाड़ियों का चालान जेनरेट न हो सके। यानी समरथ के नहिं दोष गोसाईं…बाकी आम लोगों के साथ पुलिस का शिष्टाचार कैसा हैं, आप स्वयं देखिये’।
अखिलेश कुमार सिंह इस नये मोटर वेहिकल एक्ट को ट्रैफिक आतंकवाद की संज्ञा भी देते हैं। एक अन्य कमेन्टकर्ता को जवाब में पत्रकार अखिलेश कहते है कि ‘अजीब तरह से पूरा कानून बनाया गया है, ताज्जूब होगा 100 करोड़ तक का फाइन वसूलने का प्रावधान है। इसी कानून से केन्द्र सरकार अपना राजस्व बढ़ायेगी लगता है। ऑटोवालों से एक लाख तक फाइन लिया जा सकेगा। गडकरी जी के लिए एक लाख की अहमियत नहीं रही होगी, लेकिन ऑटोवालें कहां से लायेगें इतने पैसे। अब ट्रैफिक फाइन वसूली आम लोगों को भी कर्जदार बनायेगी।’
पत्रकार सन्नी शरद ने फेसबुक पर लिखा है कि ‘मैं ट्रैफिक का चालान दस गुना अधिक और टैक्स दुगुना देने के लिए तैयार हूं। बस सरकार जी, मुझे मेरे चालान और टैक्स का पैसा किस–किस मद में खर्च हुआ हैं ये हिसाब हर महीने देने के लिए आप भी तैयार हो जाइये।’ सन्नी शरद यह भी लिखते है कि ‘सड़क पर बाइक और कार चलानेवालों से जुर्माना वसूलकर सरकार देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में लगी है, ताकि कुछ माल जमा हो जाये, तो फिर कोई हवाई जहा वाला सारा माल लेकर देश छोड़ सके।’
BJP sarkar or modi ji nitin gadkari ji gst gas bathroom ye sab lalch de Kar janta ko ullu banata hai or ab ye traffic kanun Jo nikal hai Rashi badh chadh Kar fain laga rahe ye politics hai ye sab ko pata hai ki abhi sarkar modi ji aarthik Mandi se jhuhjh rahe hai ye sab Mandi se nikal ne ki Rasta nikala hai kiyo ki Etna Etna yashuli kare ga to yubar hi jayega