रांची के पिस्का मोड़ में आदिवासी संगठनों ने अवैध रूप से निर्मित चहारदिवारी को ढहा दिया, पुलिस पर लगा जमीन दलालों का समर्थन करने का आरोप
आदिवासी संगठनों और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने आज पिस्का मोड़ टंगरा टोली में हिंदुवा तिर्की व पुतुल तिर्की की खतियानी जमीन पर भूमि दलालों द्वारा अवैध रूप से निर्माण कराए गए चारदीवारी को तोड़ दिया गया। सैंकड़ो की संख्या में आदिवासी संगठन के लोग सरना झंडा और हाथ में हथौड़ा, सबल, ढेलफोरा लेकर निर्माण स्थल पर पहुंचे और आदिवासी जमीन की लूट के खिलाफ़ नारे लगाते हुए एक घंटे में ही दो एकड़ जमीन पर बने दीवार को तोड़ दिया।
इसी बीच सुखदेव नगर थाने की पुलिस के आने पर भीड़ और उग्र हो गई। पुलिस स्थिति को भांपते ही घटना स्थल से वापस लौट गई। ज़मीन मालिक पुतुल तिर्की का कहना था कि धारा 144 के लागू होने के वावजूद दलालों ने ज़मीन पर काम कराया है। पुलिस जमीन मालिकों के बजाए जमीन हड़पने वालों के पक्ष में ही खड़ी रही हैं।
दीवार तोड़ने के बाद घटना स्थल पर ही सभा की गई। जिसे आदिवासी नेता राजेश लिंडा ने संबोधित करते हुए कहा कि सीएनटी एक्ट के बावजूद आदिवासी जमीन की लूट जारी है। अब पूरे रांची में ज़मीन लूट के खिलाफ़ आन्दोलन तेज किया जायेगा। आदिवासी संघर्ष मोर्चा की नेत्री अलमा खलखो ने कहा की जान देगें पर जमीन लूटने नही देंगे। आदिवासी संघर्ष मोर्चा जमीन पहचान और झारखंडी संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ाई को मजबूत करेगी।
घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाकपा माले के राज्य कमिटी सदस्य भूवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड अलग राज्य की राजधानी बनने के बाद रांची में भूमि माफिया पुलिस और दलालों की गठजोड़ बन गईं है। जिसका काम ही है फर्जी कागजात बनाकर विवाद खड़ा करना और पैसे के बलपर जमीन लूट करना/कराना। आदिवासियों की सामाजिक भूमि अखड़ा, मसना, डाली कतारी ओर पहनाई जमीन को भी हड़पा जा रहा है।
सरकारी एजेंसियां जमीन लूट पर लगाम कसने पूरी तरह विफल है। अगर यही हालात रहा तो झारखंड पूरी तरह लूट खंड में तब्दील हो जाएगा। झारखंड की जमीन, जंगल, खनिज, परम्परा और संस्कृति पर संकट गहराने लगा है। बिरसा के रास्ते लूट के खिलाफ़ एक ओर आन्दोलन जरूरी है। जमीन बचाने के अभियान में जमीन मालिकों के अलावे शनिचरवा मुंडा, लालो तिर्की, संजीव उरांव, लीलावती देवी, सोमा मुंडा, बुधवा उरांव आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।