सुधीर त्रिपाठी को CS बनाकर, भाजपा से रुठे ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश
सुधीर त्रिपाठी झारखण्ड के नये मुख्य सचिव बनाये गये है। इसकी अधिसूचना आखिरकार रघुवर सरकार ने जारी कर दी। अधिसूचना जारी होते ही इस बात की संभावना सदा के लिए समाप्त हो गई, जिसमें कहा जा रहा था कि राजबाला वर्मा को कुछ महीनों के लिए एक्सटेंशन दिया जा सकता है। ऐसे राजबाला वर्मा ने अंतिम-अंतिम दिनों तक अपने ढंग से काम कर ही लिया और जाते-जाते कार्मिक विभाग में कार्यरत निधि खरे का विभाग बदलवा कर ही दम लिया, साथ ही कार्मिक विभाग में अपने खामसखास एसकेजी रहाटे को पहुंचाकर अपने भविष्य की योजनाओं पर मुहर लगवाने का भी प्रबंध कर लिया।
इधर यह अफवाह जोरों पर है कि मुख्यमंत्री राजबाला वर्मा को अपना सलाहकार नियुक्त कर सकते हैं, ताकि उन्हें अपने अन्य कार्यों को मूर्त्तरुप देने में कोई बाधा न आये। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व इस मुख्य सचिव पद के लिए अमित खरे, राजीव कुमार का भी नाम उछला था पर केन्द्र ने अंततः सुधीर त्रिपाठी को ही मंजूरी दी, तथा रघुवर सरकार द्वारा दी गई मंतव्य को खारिज कर दिया गया।
केन्द्र को लगता है कि राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा ब्राह्मण जाति का किये गये अपमान से जो भाजपा को नुकसान पहुंचा है, इस निर्णय से इस क्षति को पाटा जा सकता है, जबकि ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनके पद से नहीं हटा दिया जाता, उनका संकल्प पूरा नहीं होनेवाला, क्योंकि गढ़वा में सीएम रघुवर दास द्वारा ब्राह्मणों का किया गया अपमान एक अक्षम्य अपराध है, वह भी उस व्यक्ति के द्वारा जो संवैधानिक पद पर बैठा है।
कुछ लोग यह भी कहते है कि सुधीर त्रिपाठी के मुख्य सचिव पद पर आ जाने से जो लाभ रघुवर दास, विवादास्पद भाप्रसे की अधिकारी राजबाला वर्मा से ले रहे थे, वो लाभ सुधीर त्रिपाठी से नहीं ले पायेंगे, क्योंकि सुधीर त्रिपाठी गलत कार्यों को प्रश्रय नहीं देंगे और न ही कोई उनसे गलत काम करा सकता है, क्योंकि वे ऐसे परिवार से आते है, जिनके पास किसी चीज की कमी नहीं और न ही सुधीर त्रिपाठी का कभी विवादों से नाता रहा। यानी कुल मिलाकर सात महीने तक रघुवर दास को, सुधीर त्रिपाठी को झेलना मजबूरी है, साथ ही झारखण्ड की जनता सुधीर त्रिपाठी से फिलहाल राजबाला वर्मा की तुलना में बेहतरी की उम्मीद रख सकती है।