‘बच्चा हुआ नहीं और सोहर गाना शुरु’, केरल को दिये जानेवाले मदद पर UAE का खुलासा
‘बच्चा हुआ नहीं और सोहर गाना शुरु’ हमारे देश में एक से एक नेता हैं, और उनके समर्थक तथा देश के पत्रकारों का तो क्या कहना, उधर नेता बोला नहीं, इधर नेताओं के समर्थक सड़कों पर उतरे नहीं, कि पत्रकारों का दल ढोंगी साधुओं की तरह प्रवचन देना शुरु कर दिये। यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि कल ही यूएई के राजदूत अहमद अलबन्ना ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट कर दिया कि संयुक्त अरब अमीरात ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है, जिसमें मदद की रकम का भी जिक्र हो।
अब सवाल उठता है कि जब यूएई का राजदूत ही कह रहा है कि अब तक ऐसा कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ तो फिर 700 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लौटाने की बात कहां से आ गई और पत्रकारों का समूह नरेन्द्र मोदी सरकार को प्रवचन देना क्यों शुरु कर दिया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
दरअसल, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आफिस से 21 अगस्त की देर रात एक प्रेस रिलीज फेसबुक पर पोस्ट की गई, जिसमें बताया गया कि उन्होंने यूएई के क्राउन प्रिंस का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने केरल के लिए 700 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया। यहीं प्रेस रिलीज मुख्यमंत्री के टिवटर पर भी दिखा।
22 अगस्त को यूएई के प्रिंस नाह्यान की तरफ से भी टवीट हुआ, जिसमें लिखा था कि संकट की इस घड़ी में वे भारत की हर संभव मदद करने को तैयार है, लेकिन इसमें कही ये नहीं लिखा था कि यूएई बाढ़-पीड़ितों के लिए 700 करोड़ दे रहा है। अब केरल सरकार और उनके बयान को लेकर, उनके समर्थन में आये लोग, मोदी सरकार का इस मुद्दे पर विरोध कर रहे लोग और पीएम नरेन्द्र मोदी को प्रवचन दे रहे पत्रकार, अब इस मुद्दे पर क्या कहेंगे?
उदाहरण आपके सामने हैं, पूर्व में कशिश टीवी और एक दिन पहले ईटीवी भारत ज्वाइन कर चुके, प्रवीण बागी ने 23 अगस्त को अपने फेसबुक में मोदी सरकार को क्या प्रवचन दिया –‘केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए संयुक्त अरब अमीरात की 700 करोड़ की मदद की पेशकश को केन्द्र द्वारा ठुकराने का औचित्य समझ से परे है। विपत्ति के समय दुनिया के देश एक दूसरे की मदद करते हैं, यह एक मान्य परंपरा है। प्राकृतिक आपदा में भारत भी दूसरे देशों की मदद करता रहा है। इसी आधार पर यूएई समेत अन्य देशों ने भी मदद की पेशकश की है, लेकिन केन्द्र सरकार यह हवाला दे रही है कि अपने संसाधनों से ही आंतरिक आपदा से निपटने की नीति 15 वर्षों से चली आ रही है।
अगर प्राकृतिक आपदा में विदेशी मदद नहीं लेने की कोई नीति है तो भी यह घोर तोता चश्मियत है। यह तो ऐसा ही है जैसे 2008 में बिहार में कुसहा त्रासदी के समय गुजरात सरकार ने बिहार सरकार को भेजी मदद वापस लौटा दी थी।’ जनाब प्रवीण बागी ने प्रवचन देने के क्रम में यह भी नहीं देखा कि कुसहा नदी, बिहार में हैं, बाढ़ बिहार में आया था, मदद गुजरात सरकार ने की थी, और मदद बिहार सरकार ने लौटाई थी। चूंकि प्रवचन देना है, खुद को महान घोषित करना है, तो वाह-वाही में लूटने में कुछ गड़बड़ ही हो जाय, तो क्या दिक्कत हैं, अगर कुसहा त्रासदी गुजरात में ही दिखा दिया गया, तो क्या हो गया।
आगे प्रवीण बागी केन्द्र सरकार को सलाह देते है कि केन्द्र सरकार को अविलंब यूएई समेत अन्य देशों की मदद स्वीकार करनी चाहिए, और मैं प्रवीण बागी से कहूंगा कि वे जल्दी यूएई से 700 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार को दिलवाएं, ताकि उनकी बातों पर केन्द्र सरकार अमल करते हुए, शीघ्र केरल सरकार तक यूएई द्वारा दी जा रही मदद पहुंचा सके।
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