रांची से प्रकाशित श्वेत पत्र के संपादक उमाकांत महतो को मिली जान से मारने की धमकी, अरगोड़ा थाने में शिकायत दर्ज, प्रभात खबर को सबक लेना चाहिए ऐसे पत्रकारों से
श्वेत पत्र के संपादक उमाकांत महतो ने चार जनवरी को अरगोड़ा थाने में एक शिकायत दर्ज कराई है। उस शिकायत में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि वे गुरुवार की शाम रोज की तरह अपने अखबार के दफ्तर कडरु ओवर ब्रिज के नजदीक स्काई लाईन बिल्डिंग के पांचवे तल्ले स्थित कार्यालय में काम कर रहे थे। उसी दौरान सात बजकर 29 मिनट पर किसी ने मोबाइल से कॉल किया और खुद को बोकारो का रहनेवाला बताया, उसके बाद उसने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
उमाकांत महतो ने शिकायत पत्र में इस बात की जानकारी दी है कि चूंकि कुरमाली को कुड़माली करने की मांग से संबंधित लेख वे बराबर अपने अखबार में लिख रहे थे। जो कुछ लोगों को नागवार लग रहा था। इसी लेख को लेकर उन्हें मोबाइल से कॉल कर जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने अरगोड़ा थाना प्रभारी से इस संबंध में दोषियों पर उचित कानूनी कार्रवाई करते हुए जान माल की सुरक्षा की मांग की। साथ ही इसकी जानकारी एसएसपी व डीआईजी रांची को भी दी है। ज्ञातव्य है कि उमाकांत महतो केवल पत्रकार ही नहीं, बल्कि झारखण्ड आंदोलनकारी भी है, इन्हें झारखण्ड सरकार से झारखण्ड आंदोलनकारी का पेंशन भी मिलता है।
अंत में, प्रभात खबर के संपादकों को श्वेत पत्र के संपादक उमाकांत महतो से सबक सीखना चाहिए कि जहां प्रभात खबर के संपादकों ने उन्हें मिली कथित धमकी को अपने अखबार में रंग दिया, लोगों से सहानुभूति प्राप्त करने के लिए बयान मंगवाये और उसे अपने अखबार में जगह दी, वहीं उमाकांत महतो ने उन्हें मिली जान से मारने की धमकी से संबंधित समाचार को अपने अखबार में जगह तक नहीं दी और इसे केवल थाने तक ही सीमित रखा।