जान लीजिये, केवल दो थानेदारों के निलंबन और 11 आरोपियों की गिरफ्तारी से मॉब लिचिंग का दाग नहीं धूलेगा
सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने जो भी कहा, वह झारखण्ड के लिए शर्मनाक है, और उन्होंने जो भी बातें कही, उसे आप गलत भी नहीं ठहरा सकते, क्योंकि आपने छवि ही पूरे देश में ऐसी बना ली है, कि सारा देश झारखण्ड को गंदी नजरों से देख रहा है, जबकि हमारे मुख्यमंत्री रघुवर दास विकास और बदलते झारखण्ड को लेकर जहां-तहां यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, कि अपना झारखण्ड अन्य राज्यों से कुछ अलग ही है, पर सच्चाई यह है कि रह-रह कर पूरे राज्य में हो रही मॉब लिचिंग की घटना और उसके शिकार बन रहे अल्पसंख्यक समुदाय में भय का वातावरण बनता जा रहा है, जिस पर न तो सरकार की नजर है और न ही स्थानीय पुलिस की।
यहां की पुलिस का तो भगवान ही मालिक है, जिस पर लोगों का भरोसा एक तरह से उठ ही गया है, आज भी कोई संभ्रांत व्यक्ति, जब उसके उपर जूल्म होता है, तो वह जूल्म सह लेना उचित समझ ले रहा हैं, पर पुलिस के पास जाकर यह बताना नहीं चाहता कि उसके उपर जूल्म हो रहे हैं। झारखण्ड पुलिस कब क्या कहेगी और क्या कर देगी? आप इस पर भरोसा भी नहीं कर सकते, कब आपको झूठे मुकदमें में फंसाकर आपका जिंदगी तबाह कर देगी?
कब भाजपा नेता के साथ मिलकर आपकी हंसती-खेलती जिंदगी में तूफान ला देगी? आप कह नहीं सकते, इसलिए आज झारखण्ड का प्रत्येक व्यक्ति पुलिस से भय खाता हैं। नतीजा एक नहीं कई हैं, मॉब लिचिंग की यहां एक नहीं, कई घटनाएं घटी है, एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री तो मॉब लिचिंग में शामिल लोगों को सम्मानित भी कर चुका है, जिसे पूरे देश ने देखा, जिसकी कड़ी आलोचना भी कभी हो चुकी है, बकोरिया कांड में पुलिस पदाधिकारियों की भूमिका तो जगजाहिर है।
पुराने पुलिस महानिदेशक तो महान ही थे, अब जो नये पुलिस महानिदेशक बने हैं, जरा देखिये कल उन्होंने क्या कहा, उनका कहना है कि सरायकेला के कदमडीह गांव निवासी तबरेज अंसारी अपने दो साथियों नुमैर अली और शेख इरफान के साथ 17 जून की रात मुरमू गांव में चोरी की, जिसके बाद ये तीनों धातकीडीह पहुंचे, वहां कमल महतो के घर में ढाई बजे चोरी का प्रयास किया, इसी दरम्यान घर वाले जग गये, तबरेज को पकड़ लिया और बाकी भाग खड़े हुए।
ग्रामीणों ने तबरेज की पिटाई की और उसे पुलिस के हवाले किया, पुलिस ने मौके वारदात चोरी के कुछ सामान भी बरामद किये थे। इन तीनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और तबरेज को इलाज के लिए सरायकेला सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया और इलाज के बाद उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया, 22 जून को तबरेज फिर बीमार पड़ा और उसे सदर अस्पताल भेजा गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
यानी एक मॉब लिचिंग की घटना को एक सामान्य घटना बताकर, इस पूरे हृदय विदारक घटना पर पर्दा डालने का प्रयास कर दिया गया, अब सवाल है कि आप इतना कन्फर्म है और प्रेस को बता रहे हैं तो फिर आपने किसके दबाव में आकर खरसावां थाना प्रभारी चंद्रमणि उरांव और सीनी ओपी प्रभारी विपिन बिहारी को निलंबित कर दिया, आपने तबरेज की पिटाई में शामिल प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल, भीमसेन मंडल, प्रेमचंद महाली, कमल महतो, सोनामो प्रधान, सत्यनारायण नायक, सोनाराम महाली, चामू नायक, मैदान नायक, महेश महली व सुमन्त महतो को क्यों गिरफ्तार कर लिया?
इधर तबरेज की पत्नी शाहिस्ता परवीन ने साफ कहा कि उसके पति बेकसूर थे, 17 जून को उसके पति ने मोबाइल के माध्यम से बताया था कि वह जमशेदपुर से गांव के दो युवकों के साथ घर लौट रहा, फिर सुबह फोन कर बताया कि धातकीडीह में कुछ लोगों ने उस पर चोरी का इल्जाम लगाकर बेरहमी से पिटाई की, शाहिस्ता कहती है कि उसके पति की हत्या कर दी गई है, उसके परिवार में उसके शौहर के अलावे कोई नहीं, ऐसे में वह अपनी जिंदगी कैसे चलायेगी?
इधर मॉब लिचिंग के खिलाफ रांची में धरना-प्रदर्शन का दौर प्रारम्भ हो गया है, कल रांची में मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन ने अलबर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया तथा तबरेज के हत्यारों को सजा दिलवाने की मांग की। 26 जून को अवामी इन्साफ मंच, आल इंडिया पसमांदा समाज (मुस्लिम) महाज, एआइपीएफ, भाकपा माले, केन्द्रीय सरना समिति, ऑल इंडिया मुस्लिम यूथ एसोसिएशन, पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा, जेएमएम, एनपीएम, एसआइओ, यूएमएफ के सदस्य राजभवन के समक्ष धरना देगा।
बताया जाता है कि इस धरना में नामचीन शायर इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर अंसारी भी शामिल रहेंगे। इधर नेता प्रतिप्रक्ष हेमन्त सोरेन ने भी इस घटना की कड़ी निन्दा की है। उनका कहना है कि राज्यसभा में विधि-व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है, जबकि झारखण्ड विकास मोर्चा ने कहा कि सरायकेला की घटना पूरे झारखण्ड के लिए कलंक हैं।
इधर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि राज्य में मॉब लिचिंग की एक और घटना ने पूरे झारखण्ड को एक बार फिर शर्मसार किया है। पिछले साढ़े चार सालों में झारखण्ड मॉब लिचिंग की घटनाओं का सबसे बड़ा उदाहरण बना है, जिसमें एक खास समुदाय के लोगों को टारगेट किया जा रहा है। सरायकेला-खरसावां में पिछले दिनों भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी की निर्मम हत्या कर देना, उसी की एक कड़ी हैं, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाय कम हैं।