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सांसद संजय सेठ के न्यायालयों से जुड़े सवाल पर केंद्रीय मंत्री का जवाब, झारखंड के न्यायालयों में लंबित हैं 45 लाख से अधिक मामले

झारखंड उच्च न्यायालय में वर्ष 2022 में अब तक महिला अपराध से संबंधित कुल 5791 मामले दर्ज किए गए हैं वही राज्य के विभिन्न जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों में 53838 मामले महिलाओं के द्वारा दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसक अपराध, दहेज, दहेज को लेकर मृत्यु, महिला छेड़खानी, घरेलू हिंसा जैसी उत्पीड़न और क्रूरता के मामलों को सामान्य अपराधों से अलग दर्ज किया जाता है। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में सांसद संजय सेठ के सवाल के जवाब में दी।

सांसद श्री सेठ ने देश भर के न्यायालयों में वर्ष 2014 से लंबित पड़े मामलों को लेकर जानकारी मांगी थी। इसके साथ ही न्यायालयों को कंप्यूटरीकृत करना, ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराने जैसी कई अन्य जानकारियां सांसद ने लोकसभा में मांगी थी। इसकी जानकारी उपलब्ध कराते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 से 2022 तक झारखंड में उच्च न्यायालय में 1109740 मामले लंबित है जबकि अब तक 302028 मामलों का निपटान किया गया है। वहीं जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में 2014 से 22 तक 3435260 मामले लंबित है जबकि इन वर्षों में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में 1207182 मामलों का निपटान किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 से 2022 तक उच्चतम न्यायालय में 562499 मामले लंबित पड़े हुए हैं। लंबित मामलों का निपटान हो सके, इसके लिए सरकार कई बिंदुओं पर काम कर रही है। सबको न्याय मिले, सुगम न्याय मिले इस दिशा में सरकार पूरी तरह से गंभीर है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने जिला और अधीनस्थ न्यायालयों को परिचालन योग्य बनाने के लिए संपूर्ण देश में न्यायालय मिशन पद्धति परियोजना को क्रियान्वित किया है।

जिसके तहत ही न्यायालय सेवाएं, अधिवक्ताओं के लिए सभी कंप्यूटरीकृत न्यायालय में ही न्यायालय मोबाइल, ऐप, ईमेल सेवा, एसएमएस सेवा और पुश एंड पुल सर्विस में न्यायालय पोर्टल न्यायिक सेवा केंद्रों के माध्यम से न्यायालय सेवाएं, जैसे मामला रजिस्टर करने मामला सूची मामले की प्रस्तुति, दैनिक आदेशों और अंतिम निर्णय के ब्यौरे उपलब्ध है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्तमान समय में देश के 3240 न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है। वही 1272 कारावासों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा से समर्थ बनाया गया है। कंप्यूटरीकृत न्यायालयों की संख्या अब देश में 18735 हो गई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि न्यायालय मिशन पद्धति परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए अब तक लगभग ₹2300 करोड़ रुपए की निधि निर्गत की गई है।

सांसद के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नालसा तत्वाधान के अधीन लोक अदालत आम लोगों के लिए उपलब्ध एक महत्वपूर्ण अनुकल्प विवाद समाधान तंत्र है। जिसे सरकार बढ़ावा दे रही है। यह एक ऐसा मंच है, जहां न्यायालय में या मुकदमा पूर्व लंबित विवाद और मामले निपटाए जाते हैं। उन पर आपस में समझौता किया जाता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अधीन लोक अदालतें स्थापित की गई हैं। उन्होंने बताया कि लोक अदालतों का संचालन और न्यायपूर्ण व्यवस्था को और सुगम बनाने के लिए विगत 4 वर्षों में 2019 से 2022 तक सरकार ने 4.5 करोड रुपए से अधिक की राशि निर्गत की है।