धर्म

जब तक आप स्वयं को परिवर्तित करने की कोशिश नहीं करेंगे, आध्यात्मिक पथ की ओर अग्रसर नहीं होंगे, आपका जीवन उन्नत नहीं हो सकताः स्वामी अमरानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम के श्रवणालय में आयोजित रविवारीय सत्संग में शामिल योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी अमरानन्द गिरि ने कहा कि जब तक आप स्वयं को परिवर्तित करने की कोशिश नहीं करेंगे, आध्यात्मिक पथ की ओर अग्रसर नहीं होंगे, आपका जीवन उन्नत नहीं हो सकता, आप चेतन से अवचेतन और फिर अतिचेतन की ओर अग्रसर नहीं हो सकते। उन्होंने योगदा भक्तों को कहा कि चेतन, अवचेतन और अतिचेतन दरअसल ये तीन डिग्रियां हैं, जिसे स्वयं को परिवर्तित कर पाया जा सकता है।

स्वामी अमरानन्द गिरि ने कहा कि अगर आप आध्यात्मिक पथ पर पग बढ़ाकर अतिचेतन को पाना चाहते हैं, तो योगदा भक्तों के लिए ये सब आसान हैं, उसका मूल कारण हैं कि आप गुरु परमहंस योगानन्दजी के शिष्य हैं और वे आपको देख रहे हैं, आप उनकी छत्रछाया में रहकर स्वयं को आसानी से उन्नत कर सकते हैं, जो औरों को इतना आसान नहीं हैं। बशर्तें कि आप में इच्छाशक्ति प्रबल हो।

उन्होंने कहा कि गुरु जी ने साफ कहा है कि अगर व्यक्ति में इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो वह व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति की प्राबल्यता से स्वयं को परिवर्तित कर सकता है। प्रबल इच्छाशक्ति वाले के लिए इस दुनिया में कुछ भी दुष्कर नहीं हैं। अपने अंदर छुपी बुराइयों को समाप्त कर, माया से युक्त दुनिया में रहकर भी माया से रहित होकर आप वो सब कर सकते हैं, जो एक महायोगी के लिए संभव है।

उन्होंने कहा कि गुरुजी ने जो हमें ध्यान की तकनीक सिखाएं हैं। वो ऐसी तकनीक है, जो हमें ध्यान करने में सहायता पहुंचाती है। जैसे हं-सः व ओम् तकनीक अगर आप इस तकनीक को प्रयोग कर रहे हैं, तो आपको पता चल ही रहा होगा, कि आप कितनी तेजी से स्वयं को परिवर्तित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि योगदा भक्त भी एक योगी की तरह ही हैं, क्योंकि उन्हें गुरुजी की कृपा प्राप्त हैं और वे उनकी सहायता से योग की उच्च अवधारणा की ओर अग्रसर होने को प्रयासरत हैं, इसलिये योगदा भक्तों को सामान्य व्यक्तियों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

आप स्वयं को ध्यान में लगाएं। उस प्रकाश की ओर पहुंचने की कोशिश करें। उस शांति, परमानन्द को प्राप्त करने में स्वयं को लगाएं, जिसके लिए आपको यहां भेजा गया है। इसे प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं। कठिनाई जो भी हैं, वो सब स्वतः ही समाप्त हो जायेगी, जब आप प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि मानसिक आलस्यता का त्याग करिये। दिन और रात ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयास करिये।

उन्होंने कहा कि हमेशा याद रखिये। ईश्वर को प्राप्त करना ही आपका परम लक्ष्य है।  ईश्वर ही सर्वप्रथम हैं। ईश्वर ही अंत हैं। ईश्वर हर समय के लिए हैं। अपने चेतन मन को हमेशा उन्हीं को प्राप्त करने में लगाएं। गुरुजी ने हमेशा से ये कहा है कि ध्यान के महत्व को समझिये। सामूहिक ध्यान और एकान्त ध्यान दोनों की अपनी अलग-अलग महत्ता है। अपनी इच्छाशक्ति से दोनों का सदुपयोग करिये।

उन्होंने कहा कि आप स्वयं से घृणा मत करिये, अगर स्वयं से घृणा करेंगे तो तनाव होगा, नाना प्रकार की व्याधियों का जन्म होगा। स्वयं से प्रेम करना सीखिये। ये जीवन अमूल्य है। इसको ऐसे ही जाया न होने दें। आप जब स्वयं से प्रेम करना सीखेंगे तो ईश्वर से प्रेम करना भी सीख जायेंगे। ईश्वर से वार्ता करना सीखिये। वो आप से बात करने को हमेशा इच्छुक रहते हैं। जब भी समस्याएं आये तो उनसे भागिये मत, उनसे संघर्ष करना सीखिये, उस पर विजय प्राप्त करना सीखिये, जब ईश्वर और गुरु आपके साथ हैं तो भागना कैसा? विजय तो आपकी सुनिश्चित है।

स्वामी अमरानन्द ने कहा कि संतस्वभाव जैसे लोगों की संगति दुनिया की सबसे सुंदर और सर्वश्रेष्ठ औषधि है। सत्संग सबसे सुंदर रास्ता है, जीवन को बेहतर बनाने के लिए। हमेशा शांत रहना सीखिये। स्वयं को ध्यान पर केन्द्रित करिये। उन्होंने कहा कि जब भी कोई विपत्ति आये। तो उस विपत्ति से दूर रहने का सबसे सुंदर उपाय ढूंढिये। उसका सबसे सुंदर उपाय है कि आप स्वयं को शांत कर, ध्यान करें और ईश्वर से प्रार्थना करें। आप पायेंगे कि उस प्रार्थना के दौरान आपको ईश्वर उस विपत्ति से दूर करने का मार्ग बता देंगे। लेकिन उसके लिए आपका ईश्वर पर दृढ़विश्वास होना बहुत ही जरुरी है।

उन्होंने कहा कि गुरु और ईश्वर दोनों आपकी हर परिस्थितियों को परिवर्तित करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा गुरु और ईश्वर कभी-कभी अपने शिष्यों को संकट में डालकर उसकी परीक्षा भी लेते हैं। इस दौरान जब शिष्य परीक्षा में सफल हो जाता हैं तो फिर उस शिष्य से संकट हमेशा के लिए दूर हो जाता है। इसे मत भूलिये। स्वामी अमरानन्द गिरि ने इस दौरान महावतार बाबाजी से जुड़ी एक दृष्टांत भी सुनाया। उन्होंने कहा कि गुरु और ईश्वर दोनों आपको हर समस्याओं से बचाते और सुरक्षित रखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *