RSS के हजारीबाग जिला संघ चालक का, खुद को कंधे पर बिठा अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए स्वहित में नारे लगवाते वीडियो वायरल, इस हरकत से कई स्वयंसेवक गुस्से में
मिलिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आधुनिक जिला संघ चालक से। ये हैं जनाब श्रद्धानन्द सिंह। ये हजारीबाग के जिला संघ चालक हैं। जब से हजारीबाग लोकसभा से मनीष जायसवाल ने लोकसभा की सदस्यता ग्रहण की है। इन्हें विधायक बनने का मन मचल उठा है। इनके चाहनेवाले भी इन्हें अब भावी विधायक के रुप में देख रहे हैं। इनके चाहनेवाले इन्हें अपने कंधे पर उठाकर नारे लगा रहे हैं और ये भी इतने खुश है, जैसे लगता है कि वे अब विधायक बन चुके हो, बस औपचारिकता बाकी रह गई है।
विद्रोही24 के पास एक वीडियो हैं, जिसमें यह व्यक्ति माथे पर भगवा पगड़ी पहन रखा है। उसके हाथ में हनुमान पताका है। वो अपने ढंग से इधर-उधर लहरा रहा हैं। कुछ लोग उसे कंधे पर लेकर नारे लगा रहे हैं। नारा इस प्रकार है। हमारा विधायक कैसा हो, श्रद्धा भैया जैसा हो। श्रद्धा भैया को जयश्रीराम, जयश्रीराम, जयश्रीराम। देखो, देखो कौन आया, शेर आया, शेर आया। हजारीबाग का विधायक कैसा हो, श्रद्धा भैया जैसा हो।
सूत्र बता रहे है कि यह व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण है। इसलिए भाजपा से इसको टिकट मिलना तय है। संभवतः हजारीबाग से ही यह विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। विद्रोही24 के पास एक वीडियो और है। जिसमें यह व्यक्ति 23 अगस्त को रांची में होनेवाली भाजपा की आक्रोश रैली में जाने की तैयारी कर रहा है, कुछ लोग इसकी प्रचार भी कर रहे हैं, जिसमें लोग बोल रहे है कि रैली में जा रहे लोगों के लिए बिस्किट और पानी की व्यवस्था श्रद्धानन्द सिंह की ओर से किया गया है।
अब सवाल उठता है कि क्या आरएसएस से जुड़ा जिला संघ चालक का अब यही काम रह गया है? क्या जिला संघ चालक किसी राजनीतिक कार्यक्रम में भाग ले सकता है? क्या जिला संघ चालक किसी के कंधे पर बैठकर अपनी जय-जयकार करवा सकता है? क्या जिला संघ चालक अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए इतना गिर सकता है? उत्तर होगा – कभी नहीं। लेकिन गिरावट जो पूरे समाज में हुई हैं। उस गिरावट से भला जिला संघ चालक कैसे बच सकता है?
रांची के ही एक वयोवृद्ध स्वयंसेवक कहते हैं कि उनकी सारी जिंदगी स्वयंसेवक के रुप में बीत गई। अब तो कब मौत जकड़ लें। कह नहीं सकता। लेकिन इस प्रकार का जिला संघ चालक का वीडियो मैंने आज तक नहीं देखा। यह संघ के उपर कीचड़ उछालना जैसा है। होना तो यह चाहिए था कि यह व्यक्ति पहले जिला संघ चालक के पद से खुद को मुक्त करता और तब इस प्रकार की हरकत करता तो यह अपराध क्षम्य था। लेकिन जिला संघ चालक के पद पर रह कर ऐसी हरकत अशोभनीय, अकल्पनीय व हैरान करनेवाला है।
वे कहते है कि संघ के प्रदेश मुख्यालय को पहले इसे पद से मुक्त करना चाहिए, क्योंकि जिला संघ चालक का पद कोई सामान्य नहीं होता। ऐसी हरकतों से अब एक नया फैशन निकलेगा। जो धन-धान्य से परिपूर्ण या दबंग टाइप का व्यक्ति होगा, वो अब जिला संघ चालक बनने की कोशिश करेगा और फिर वो विधायक बनने के लिए ऐसी ही टुच्चा टाइप हरकते करेगा, जिससे स्वयंसेवकों के ही सम्मान में बट्टा लगेगा।
उक्त वयोवृद्ध स्वयंसेवक यह भी कहते हैं कि उन्हें तो यह वीडियो देखकर आश्चर्य हो रहा है कि जिस संघ का काम है, समाज को दिशा देना, जिस संघ का काम है, समाज में उच्च संस्कार को पैदा करना, वहां ऐसे-ऐसे जिला संघचालक होंगे, जिनकी महत्वाकांक्षा विधायक और सांसद बनने की होगी तो वे देश या समाज का निर्माण क्या करेंगे। वे तो सांसद व विधायक बनकर वहीं करेंगे, जो आज सारे दलों के विधायक व सांसद कर रहे हैं। नतीजा देश किस स्थिति में हैं। वो तो सबको पता है।
उक्त वयोवृद्ध स्वयंसेवक कहते हैं कि अब उन्हें यह बोलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही कि अब संघ भी लोभ व प्रपंचों से अछूता नहीं रहा। अब उनके यहां भी उच्च महात्वाकांक्षी लोग बढ़ने लगे हैं। जिससे देश व समाज को अब झटका लगना तय है, क्योंकि जहां से देश व समाज निर्माण की बात, देश व समाज के लिए त्याग की बात सुनाई देती थी। वहां विधायक व सांसद बननेवालों की तादाद बढ़ेगी तो देश व समाज को नुकसान होना तय है।