विद्रोही24 की बात हुई 100% सच्ची, मधुपुर में JMM को मिली सफलता, BJP चारो खाने चित्त, JMM विरोधी अखबार-चैनल हुए मायूस
जी हां। विद्रोही24 की बात फिर 100% सच्ची निकल गई। मधुपुर से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के हफीजुल अंसारी ने शानदार सफलता हासिल की है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह चारों खाने चित्त हो गये। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की कट्टर विरोधी अखबारों व चैनलों को भी आज निराशा हाथ लगी हैं, निराशा तो उन पोर्टलों को भी लगी, जो मधुपुर विधानसभा चुनाव के दौरान मधुपुर जाकर डेरा-डंडा डाल कुछ अपनी बेहतरी के लिए इंतजामात में लगे थे।
विद्रोही24 ने तो उसी दिन भविष्यवाणी कर दी थी, कि भारतीय जनता पार्टी की हार सुनिश्चित है। जब भारतीय जनता पार्टी के मठाधीशों ने अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास न कर एक ऐसे कैंडिडेट को आयात कर पार्टी का टिकट थमा दिया, जो कभी पार्टी का था ही नहीं, पिछली बार उसी ने भाजपा को हराने के लिए आजसू का दामन थाम लिया था, और तीसरे स्थान पर रहा था।
भाजपा के मठाधीशों को लगा कि एक तो भाजपा का अपना वोट, दूसरी ओर गंगा का अपना वोट, ये दोनों मिलकर भाजपा की जीत सुनिश्चित कर देंगे, पर उन्हें ये नहीं पता कि आखिर में ऐसा करने का दायित्व पार्टी कार्यकर्ताओं पर ही आता है, इधर पार्टी कार्यकर्ता ऐसे बिगड़े कि भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के हाथ-पांव ही फूलने लगे। एक जगह पर तो भाजपा के कार्यकर्ता, प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह का ऐसा क्लास लिए कि उसका विडियो आज भी वायरल है।
पर भाजपा के बड़े नेताओं का घमंड, जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बाबू लाल मरांडी, डा. निशिकांत दूबे शामिल थे, इतना बढ़ गया था, जैसे लगा कि अब नहीं तो तब नहीं, एकदम जीतेंगे, और उधर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम इस बार हफीजुल को जीताने के लिए नहीं, बल्कि गंगा को हराने के लिए इतना मेहनत करेंगे कि वैसा कभी किये नहीं थे, लीजिए आज रिजल्ट सामने हैं। आज ये तीनों नेता कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं हैं क्योंकि भाजपा को हराने के लिए सर्वप्रथम इन्होंने ही तो पहली समिधा चुनावी रुपी यज्ञ में डाली थी।
कुछ राजनीतिक पंडित तो यह भी बताते है कि गंगा नारायण सिंह को हराने में भाजपा के अर्जुन मुंडा, राज पालिवाल और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी, ये भी नहीं चाहते थे कि मधुपुर सीट भाजपा जीतें, क्योंकि इन्हें लगता था कि अगर भाजपा ये उपचुनाव जीत गई तो निशिकांत दूबे, बाबू लाल मरांडी और दीपक प्रकाश जैसे नेताओं का भाजपा में भाव बढ़ जायेगा, जिससे उनका नुकसान होना तय है।
इधर भाजपा के बड़े नेताओं के करतूतों को देख विद्रोही24 ने भी लिखना शुरु कर दिया कि मधुपुर में क्या होनेवाला हैं, हालांकि कई पत्रकार व समाजसेवी, विद्रोही24 के इस बात पर विश्वास नहीं कर रहे थे, विश्वास तो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेताओं को भी नहीं थी, लेकिन विद्रोही24 को पूर्ण विश्वास था कि मधुपुर में यहीं होने जा रहा है।
विद्रोही24 ने एक अप्रैल को लिखा था – “कितना भी जोर लगा लो भाजपाइयों, मधुपुर से जीतेगा तो तीर-धनुष छाप ही”। तीन अप्रैल को लिखा – “मधुपुर में तीर-धनुष के मुकाबले कोई नहीं हैं टक्कर में, सभी पड़े हैं चक्कर में।” 17 अप्रैल को लिखा – “दो मई को औपचारिकता सिर्फ बाकी, हफीजुल गंगा नारायण सिंह पर भारी, मधुपुर में झामुमो की जीत पक्की।” जिन्हें इन बातों का विश्वास नहीं, वे आज भी विद्रोही24 की साइट पर इसे देख सकते हैं, सांच को आंच क्या?
इधर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मधुपुर में कोई आक्रामकता नहीं दिखाई। उन्होंने बड़ी सहजता से अपनी बातें रखी। किसी की आलोचना नहीं, लेकिन हां ये जरुर कहा कि हाजी हुसैन अंसारी को याद कीजिये और अपना वोट झामुमो को दीजिये, जनता ने भावनाओं को समझा, सहानुभूति लहर चला और झामुमो सहानुभूति की लहर पर बैठकर आराम से अपनी चुनावी नैया पार लगा दी। बधाई मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी। मधुपुर में आप जीत गये, अब लगे हाथों कोरोना पर भी विजय पाइये, जनता की अभी पहली और अंतिम मांग यही हैं।