अपनी बात

विद्रोही24 की बात सही हुई, आउटसोर्सिंग का बेताज बादशाह एलबी और उसके समर्थकों ने राजनाथ सिंह की परिवर्तन रैली की उड़ाई धज्जियां, धन के बल पर धनबाद में भाजपा का बनाया तमाशा

धनबाद में झारखंड भाजपा की परिवर्तन सभा को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संबोधित कर रहे हैं। भीड़ भी जुटी है। लेकिन भीड़ में वह एकजुटता व शिष्टता नहीं दिखाई दे रही। जिसकी उम्मीद यह पार्टी राज्य में बदलाव के लिए करती है। जितने नेता, जितने उम्मीदवार – उतने ही गुटों में बंटी भीड़ में शामिल भाजपाई। एक ओर से आवाज आई – “एलबी सिंह जिंदाबाद/धनबाद का विधायक कैसा हो?- एलबी सिंह जैसा हो।” दूसरी ओर से प्रतिक्रिया आई –“रागिनी सिंह जैसा हो।” तो अब राज सिन्हा के लोग क्यों चुप रहते? सो, शुरू हो गया “राज सिन्हा जैसा हो।”

ये कौन एलबी सिंह है, जिसने मात्र कुछ महीनों में ही धनबाद में अपने धन के घमंड पर, अपने अथाह पैसों के बलबूते पर सारे भाजपाइयों को अपने सामने लाकर पंक्तिबद्ध खड़ा कर दिया है। ये भाजपा कार्यकर्ता भी वहीं कर रहे हैं, जो वो चाहता है। जबकि कुछ महीनों पहले तक तो लोग इसका नाम भी नहीं जानते थे। स्थिति ऐसी हो गई है कि स्वयं भाजपा के बड़े नेता व कार्यकर्ता, यहां तक की प्रदेश के नेता भी उसके आगे अब नतमस्तक हो चले हैं।

एल बी सिंह की ताकत इतनी हो चुकी है कि अब प्रदेश स्तर का कोई नेता भी यह नहीं कह सकता कि एलबी सिंह गलत है या उसकी कृपा उनके उपर नहीं बरसी है। एलबी सिंह ऐसे ही नहीं धनबाद सीट पर ताल ठोक रहा है। कुछ राजनीतिक पंडित तो अब साफ कहने लगे है कि प्रदेश के एक बड़े नेता द्वारा यह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए फेंका गया पासा है। जो अब रंग दिखाने लगा है।

एल बी सिंह ने भी भाजपा तथा इसके दिल्ली और रांची में बैठे नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के जमीर को पहचान लिया है तथा उसकी कीमत भी पता लगा ली है। वो जान चुका है कि जब पैसे के बल पर ढुलू महतो कमाल दिखा सकता है तो वो क्यों नहीं? वो प्रदेश व देशस्तरीय नेताओं के मन में उठनेवाले अरमानों और उन अरमानों को कैसे पूरा किया जाता हैं। उसका उसे अंदाजा है। तभी तो वो धनबाद में बैंटिंग पर बैंटिंग किये जा रहा है।

वो यह भी जानता है कि जिस धंधे में वो हैं। उस धंधे में फंसने पर अगर कोई बचा सकता है तो वो भाजपा है। इसलिए वो भाजपा के हर नेता व कार्यकर्ता को खुश करने के लिए कुछ भी कर रहा है। इसमें उसे सफलता भी मिल रही है। बेशर्मी देखिए कि ढुलू, शशिभूषण और अब एलबी जैसों को गले लगाने वाली भाजपा खुद को अभी भी दूसरे दलों से अलग मानती है।

खैर,परस्पर नारेबाजी की प्रतियोगिता से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी सहते-सहते झल्लाने को मजबूर हो गए। शांति की अपील भी की गई, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। जैसे-तैसे उन्होंने अपना भाषण पूरा किया। रही बात बाबूलाल की, तो उनका घिसा-पिटा नीरस भाषण लोगों को शुरू से ही उबाऊ लग रहा था।

मौके की नजाकत समझ उन्होंने स्वयं जल्दी में अपना भाषण बंद किया और तब राजनाथ सिंह का भाषण अलग – अलग नेताओं के गुटों के परस्पर विरोधी नारेबाजी के बीच शुरू हुआ और ऐसे ही माहौल में खत्म भी हुआ। तथाकथित भाजपा कार्यकर्ताओं की उद्दंडता को देख वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने बार-बार शांति बनाए रखने की अपील की। लेकिन उसके बाद भी शांति नहीं हुई। अंततः लाचार रक्षामंत्री को जैसे तैसे भाषण समाप्त करनी पड़ी।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि सच तो यह है कि भाजपा के संस्कार, मर्यादाएं और अनुशासन तार-तार हो चुके हैं। यह पार्टी झारखंड में ताश के पत्ते की तरह बिखर जाने को बेताब है। परिवर्तन का दंभ तो बस दंभ ही रह जायेगा। दोनों गुटों – राज और एलबी समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं की तख्तों को लहराते हुए राजनाथ सिंह की जबर्दस्त हूटिंग की।

जो विद्रोही24 के नियमित पाठक है। वे 25 सितम्बर को ‘धनबाद की कल की परिवर्तन रैली में आउटसोर्सिंग के बेताज बादशाह व भाजपा के लिए टिकट की मारामारी कर रहा एलबी सिंह का दिखेगा असर मतलब अब भाजपा के लिए आदर्श से ज्यादा धन महत्वपूर्ण’ नामक हेंडिग से प्रकाशित समाचार जरुर पढ़े होंगे। उसमें विद्रोही24 ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि आज की परिवर्तन रैली में भीड़ जरुर होगी। लेकिन ये भीड़ भाजपा की कम, एलबी सिंह के धन के बल पर लाई गई भीड़ ज्यादा होगी। वो यहां दिखा भी।

भाजपा का जिलाध्यक्ष श्रवण राय तो एलबी सिंह को मंच पर बिठाने की तैयारी कर लिया था। उसने इशारों ही इशारों में एलबी सिंह को मंच पर बुलाने का निमंत्रण भी दिया। लेकिन मंचस्थ अन्य नेताओं द्वारा अनुमति नहीं मिलने से एलबी सिंह मंच पर नहीं बैठ सका। लेकिन नीचे रहकर उसने अपने इशारों पर बुलाये गये लोगों और पैसों के बल पर धनबाद भाजपा में ऐसा गुल खिला दिया कि धनबाद के भाजपा नेताओं की बोलती ही बंद हो गई। जब तक राजनाथ सिंह का भाषण चलता रहा, एलबी सिंह के समर्थकों ने जिलाध्यक्ष श्रवण राय पर फब्तियां कसते रहे। गाली-गलौज तो सामान्य सी बात हो चली थी।

मतलब पैसा का खेल और भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं को उसके आगे इस तरह लोटपोट हो जाना ये पहली बार देश और झारखण्ड देख रहा था। राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि धनबाद में आज की परिवर्तन रैली की भीड़ भाजपा की कभी हो ही नहीं सकती, ये 90 प्रतिशत एलबी सिंह को समर्पित भीड़ थी। जो पूरे सभा को अपने इशारों पर नचाकर रख दी। कई भाजपा कार्यकर्ता तो एलबी सिंह की टी-शर्ट पहनकर उधम मचाते हुए दिखे। मंच पर भी पैसा का रोल साफ दिखा। ऐसे-ऐसे लोग दिखे जिन्हें मंच पर होना नहीं था। लेकिन मंच पर दिख रहे थे और जिन्हें मंच पर होना था, वे नीचे अपने भाग्य को कोस रहे थे।

इधर कार्यक्रम आज का समाप्त हो गया है। अब धनबाद से प्रकाशित होनेवाले अखबारों व मीडिया को एलबी सिंह ने अपने धन का वास्ता देकर कल के अखबार में सिर्फ एलबी सिंह ही दिखे। इसकी भी व्यवस्था कर ली है। कल के अखबार और मीडिया में वहीं दिखेगा, जो एलबी सिंह चाहेगा, न कि भाजपा और भाजपा के समर्पित नेता व कार्यकर्ता चाहेंगे।

पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं ने आज विद्रोही24 को बताया कि इससे बड़ा दुर्भाग्य भाजपा का कभी उन्होंने नहीं देखा। इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो प्रदेश के वे नेता हैं, जिन्होंने इस एलबी सिंह को पैसे के बल पर आगे बढ़ने का मौका दिया, नहीं तो इसकी इतनी हिम्मत कहां से आ गई। कोई न कोई तो हैं, जो इसकी उपर से मदद कर रहा है, नहीं तो और कोई यहां क्यों नहीं उछल रहा। एलबी सिंह ही क्यों उछल रहा है?

आज की रैली की स्थिति यह थी कि भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता यानी प्रदेश मंत्री का झरिया बस्ताकोला के एक निवर्तमान मंडल अध्यक्ष के साथ तू-तू में-में हो गई। स्थिति ऐसी बिगड़ी कि लड़ाई होते-होते बचा। तू-तू, में-में का प्रभाव तो अब सोशल साइट पर भी दिख रहा है।

निवर्तमान मंडल अध्यक्ष सोशल साइट पर साफ लिखा कि आज का तो टेलर था, पिक्चर अभी बाकी है, 1458 वोट लानेवाले मंत्री जी शर्म करो।  आगे यही व्यक्ति लिखता है कि झरिया विधानसभा के सबसे बड़ा मंडल, बूथ 85 प्रदेश के मंत्री, संख्या 15 या 16, उसमें भी पति-पत्नी, भाई-भाई। 

जयंत सिंह चौधरी लिखते हैं – आज के कार्यक्रम में प्रदेश मंत्री को कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से ऐसा आनंदित अनुभव कराया, जैसे रिमोट में बैटरी डाउन हो जाए – सब कंट्रोल में, मगर आवाज और एक्शन पूरी तरह बंद। आप इसी से समझिये कि झारखण्ड में भाजपा कहां खड़ी हैं? कोई भी व्यक्ति इन भाजपा कार्यकर्ताओं का सोशल साइट फेसबुक खोलकर देख सकता है। 

सवाल तो ये भी उठता है कि विद्रोही24 ने जो फोटो आज इस न्यूज में डाले हैं। भाजपा प्रदेश या जिला के ही नेता बताये कि एलबी सिंह उस जगह पर कैसे पहुंच गया, जहां भाजपा के ही बड़े-बड़े पदाधिकारी नहीं पहुंच सकते हैं। वो कौन ऐसी चीज का मालिक बन गया कि वो भाजपा में हैं भी नहीं और भाजपा के कार्यकर्ता और प्रदेश तथा जिला के अधिकारी बड़ी ही धूमधाम से उसे अपने माथे पर बिठाकर घूम भी रहे हैं। आखिर इसका जवाब कौन देगा?

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