अपनी बात

झारखण्ड के मतदाताओं ने भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं, मोदी भक्त अखबारों, चैनलों, पोर्टलों, एग्जिट पोल करनेवाले एजेंसियों और ज्योतिषियों के मुंह पर मारा करारा तमाचा, विद्रोही24 की बात फिर सच्ची, पुनः झारखण्ड में हेमन्त सरकार

झारखण्ड के मतदाताओं ने भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं, प्रदेश के भाजपा नेताओं, मोदी भक्त अखबारों, चैनलों, पोर्टलों, एग्जिट पोल करनेवाले एजेंसियों और ज्योंतिषियों के मुंह पर करारा तमाचा मारा है और अपने जनादेश से एक प्रकार से इन सारे लोगों को चेतावनी दी कि या तो वे सुधर जायें, नहीं तो उन्हें सुधारने आता हैं। झारखण्ड की जनता ने जिस प्रकार से जनादेश दिया हैं। उसकी सच्ची आहट विद्रोही24 को पहले ही हो गई थी।

आप याद करिये, अगर आप विद्रोही24 के नियमित पाठक हैं तो आपको यह भी याद होगा। विद्रोही 24 ने 20 नवम्बर को ‘झारखण्ड विधानसभा के दूसरे फेज का चुनाव संपन्न, जनता ने कहा उन्हे हेमन्त पसन्द, पुनः राज्य में हेमन्त सरकार बनने की प्रबल संभावना, झामुमो गठबंधन की सीटें बढ़ेंगी, भाजपा गठबंधन ने अपना कबाड़ा खुद निकाला’ नामक शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें विद्रोही24 ने साफ लिखा था कि ‘संभावना है कि झामुमो गठबंधन 50 से 55 सीटें जीतेंगी।’ और लीजिये आज का टैली मिला लीजिये। हम सही सिद्ध हुए। विद्रोही24 सत्य साबित हुआ। विद्रोही24 की एक-एक बात सत्य साबित हुई।

आप याद करिये, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा करने के पूर्व से ही रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण जैसे प्रमुख अखबारों ने भाजपा का माउथ पीस बनना ज्यादा पसन्द कर लिया था। इन अखबारों ने झामुमो गठबंधन से संबंधित समाचारों को उस प्रकार से जगहें नहीं दी, जैसा कि वे भाजपा व उनके नेताओं से जुड़े लोगों का समाचार परोस रहे थे।

प्रभात खबर ने तो मोदी जी को जयश्रीराम कहकर दो स्पेशल पेज ही परोस दिया था। जब प्रधानमंत्री रांची में रोड शो कर रहे थे। यहीं नहीं इन अखबारों में काम करनेवाले पत्रकारों ने तो शिवराज सिंह चौहान, हिमंता बिस्वा सरमा, अमित शाह, बाबूलाल मरांडी, अमर कुमार बाउरी का भर-भर पेज का इंटरव्यू इस प्रकार से छाप रहे थे। जैसे लग रहा था कि उनके कार्यालय में भगवान आ गये हो।

यहीं हाल यूट्यूबरों-इन्फ्लूएंसरों का था। चंद पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। जहां से भी भाजपा नेताओं का कोई कार्यक्रम की सूचना मिलती, ये लोग दुम हिलाते वहां पहुंचते। कारपोरेट ब्रेकफास्ट व कारपोरेट डिनर का इन्जवाय करते व गिफ्ट लेकर चलते बनते, तथा कहते- हे अमित शाहजी,  हे हिमंता जी, हे शिवराज जी, हे बाबूलाल जी, हे चम्पाई जी, आपलोग मेरे उपर कृपा जरुर बनाये रखियेगा। आपही मेरे अन्नदाता हैं। आप ही से मेरा परिवार चल रहा है। आप नहीं तो हम नहीं।

एक कार्यक्रम में एक महिला संवाददाता ने तो भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा को यहां तक कह दिया था कि आप जब चले जाओगे, तो हम आपको बहुत मिस करेंगे। एक महिला पत्रकार को तो देवघर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को अगवानी करते देखा गया। मतलब हद हो गई। पत्रकारिता का इतना घिनौना स्वरुप आज तक विद्रोही24 को देखने को नहीं मिला था।

भाजपावाले तो यहां के पत्रकारों की हरकतों को तार चुके थे और कुछ इलेक्ट्रानिक चैनल वाले भी भाजपा नेताओं की हरकतों को तार चुके थे। एक चैनल ने तो इसका भरपूर इस्तेमाल किया। भाजपा नेताओं के आगे वे बिस्तर बनकर पसर चुके थे। भाजपा नेता और उक्त चैनल के पत्रकार जीवविज्ञान की सहजीविता के आधार पर जमकर एक दूसरे को परमानन्द की प्राप्ति करा रहे थे।

हद तो तब हो गई, जब झामुमो के सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में अपनी पार्टी की ओर से एग्जिट पोल की तस्वीर पेश की तो एक संवाददाता ने उनकी ऐसी भद्द पीटने की कोशिश की, जिसका वीडियो उक्त तथाकथित संवाददाता के फेसबुक पर आज भी मौजूद हैं। जिसका समर्थन उक्त तथाकथित पत्रकार का चिरकूट टाइप के संवाददाताओं ने भी किया। लेकिन आज के चुनाव परिणाम उन चिरकूट टाइप संवाददाताओं और उक्त तथाकथित पत्रकार के मुंह पर भी करारा तमाचा है। लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे लोगों को शर्म आयेगी, कहना मुश्किल है, क्योंकि ये आला दर्जे के बेशर्म लोग हैं।

आश्चर्य यह भी है कि एक अखबार प्रभात खबर ने 22 नवम्बर को हेमन्त सरकार को नीचा दिखाने के लिए ज्योतिषियों की भविष्यवाणी एनडीए या महागठबंधन, किसकी बनेगी सरकार के नाम से लाइफ सिटी पेज में एक विशेष पेज निकाल दिया। जिसमें रांची के तथाकथित ज्योतिषियों ने घटियास्तर की भविष्यवाणी करते हुए कहा कि हेमन्त सोरेन की सरकार नहीं बनेगी।

रांची का एक आचार्य कृष्ण कुमार मिश्र ने कहा कि सत्ता प्राप्ति के लिए एक-एक विधायक से करनी पड़ सकती हैं चिरौरी। आचार्य अजय कुमार मिश्र ने कहा कि सत्तापक्ष का लौटना मुश्किल, विपक्ष की संभावना। पंडित रामदेव पांडेय ने कहा नीचस्थ सूर्य की स्थिति के कारण सत्ता में बदलाव के संकेत। अब सवाल उठता है कि ये घटियास्तर की भविष्यवाणी करनेवाले ये तथाकथित ज्योतिषियों का समूह राज्य की जनता से इस बात के लिए माफी मांगेगा कि उसने गलत भविष्यवाणी की, इसके लिए मुझे क्षमा करें।

इनसे अच्छा भविष्यवाणी तो कृष्ण बिहारी मिश्र यानी विद्रोही24 डॉट कॉम के संपादक करते हैं, जिन्हें झारखण्ड के मतदाताओं के दिलों की धड़कन क्या कहती हैं, उसे सुनने व महसूस करने का अच्छा ज्ञान हैं। अरे ज्योतिषियों हर मामले में ज्योतिषीय ज्ञान घुसरने की जो आदत हैं आपलोगों की, उसे बंद करों और ज्योतिषीय ज्ञान को कटघरे में मत लाओ। तुम एक पार्टी या एक नेता का जन्मकुंडली खंगाल सकते हो। राज्य की सवा तीन करोड़ जनता की जन्मकुंडली खंगालकर, वे किसके पक्ष में मतदान करेंगे, इसका अंदाजा तुम नहीं लगा सकते।

इधर एग्जिट पोल करनेवाले एजेंसियों ने भी खूब जनता को चूना लगाया। ज्यादातर एग्जिट पोल यही बता रहे थे कि राज्य में भाजपा गठबंधन की सरकार आयेगी। लेकिन विद्रोही24 को पता था कि इस बार भी राज्य में हेमन्त सरकार ही आयेगी, क्योंकि हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन की सभाओं में उमड़ने-घुमड़नेवाली भीड़, उनका उत्साह विद्रोही24 को बता रहा था कि कोई नहीं हैं टक्कर में, सभी पड़े हैं चक्कर में। हेमन्त सिर्फ है जनता के दिल में, और मोदी-शाह उतर गये जनता के दिल से।

भाजपा के हार के कारण…

क. घटियास्तर का चुनाव प्रबंधन, ख. हवाई नेताओं को प्रमुखता दिया जाना, ग. चाटुकार व दूसरे दलों से आये नेताओं पर विशेष ध्यान तथा उन्हें ही टिकट देने में प्राथमिकता देना तथा समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं देना। घ. ठकुरसोहाती व चाटुकार तथा पैसों के लिए अपना जमीर बेच देनेवाले अखबारों, चैनलों, पत्रकारों, यू-ट्यूबरों व इन्फ्लूएंसरों पर दिल खोलकर पैसे लूटाना, उनके लिए कारपोरेट डिनर व कारपोरेट ब्रेकफास्ट की व्यवस्था करने पर ज्यादा ध्यान देना। च. अंगूली पर गिनेजानेवाले राह दिखानेवाले ईमानदार पत्रकारों को ठिकाने लगाना तथा उनकी बातें नहीं सुनना, उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप से हटा देना तथा उनकी बेइज्जती करने में ही ज्यादा दिमाग लगाना प्रमुख रहा।

झामुमो के जीत के कारण…

क. बेहतर चुनाव प्रबंधन, ख. जमीनी स्तर के नेताओं व प्रमुख कार्यकर्ताओ का दिल से सम्मान, ग. बाहर से आनेवाले नेताओं को उचित सम्मान, ऐसा नहीं कि जो भी आया, उसे टिकट थमा दिया गया। घ. ठकुरसोहाती व चाटुकार तथा पैसों के लिए अपना जमीर बेचनेवाले अखबारों, चैनलों, पत्रकारों, यू-ट्यूबरों व इन्फ्लूएंसरों पर पैसे नहीं लूटाना, न ही इन सब के लिए कारपोरेट डिनर व कारपोरेट ब्रेकफास्ट की व्यवस्था करने पर ध्यान देना, क्योंकि झामुमो वाले जानते हैं कि उनका मतदाता बुद्धिजीवी और महान है, वो ऐसे घटियास्तर के पत्रकारों की बात न तो सुनता हैं, और न पढ़ता है, और न ही इन लोगों पर ध्यान देता हैं।

च. उन पत्रकारों का दिल से सम्मान जो ईमानदारी से पत्रकारिता करते हैं तथा जिनके लिए सम्मान ही सबसे बड़ी चीज हैं, जिनके ईमान को कोई खरीद नहीं सकता। छ. चाहे कोई भी पत्रकार वो कितना भी बुरा या अच्छा क्यों न हो, उसके साथ कोई भी दुर्व्यवहार नहीं और न ही व्हाट्सएप्प ग्रुप से उन्हें हटाने का काम किया गया। ज. महिला सशक्तिकरण के लिए पूरे राज्य में मईंया सम्मान योजना का लागू करना। झ. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना – लोगों को लगा कि कही ऐसा नहीं कि फिर से भाजपा सरकार आये और यहां पर फिर से न्यू पेंशन स्कीम लागू करवा दें, इसलिए सरकारी कर्मचारियों ने भी जमकर झामुमो के पक्ष में मतदान किया।

झामुमो गठबंधन पर ईश्वरीय कृपा…

अंत में झामुमो को ईश्वर ने भी खुब मदद किया। सर्वप्रथम भाजपा के सभी शीर्षस्थ नेताओं व प्रदेश के नेताओं को ईश्वर ने उनकी बुद्धि हर ली। जब भी इन नेताओं को कोई बुद्धि देने की कोशिश करता। ये सब मिलकर उसी का मजाक उड़ाते। झामुमो में जितने लोग जो झामुमो के लिए सिरदर्द बने हुए थे। उन सारे सिरदर्द नेताओं को भाजपा ने अपने में मिलाकर अपने लिए नया सिरदर्द तैयार कर लिया।

पता नहीं किस बेवकूफ ने शीर्षस्थ नेताओं को यह कह दिया कि हेमन्त सोरेन के जेल जाने से झामुमो में बिखराव हो जायेगा और भाजपा के लिए राह आसान हो जायेगी। जबकि हेमन्त सोरेन का जेल जाना ही भाजपा के लिए काल बन गया। हेमन्त जेल से लौटे और पूरे देश में आदिवासियों के एक बहुत बड़े व सर्वमान्य नेता बन गये, जबकि उनके जेल जाते ही कल्पना सोरेन के रूप में एक नया नेता झामुमो को मिल गया, जो पूरे प्रदेश में भाजपा के तालाब में उगनेवाले सारे कमल के फूल को ही सुखने पर मजबूर कर दिया।

अंत में एक बार फिर भविष्यवाणी हम कर देते हैं। अगर भाजपा ने अपने पार्टी के अंदर रहनेवाले दीपक प्रकाश, कर्मवीर सिंह, आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा जैसे लोगों को इलाज नहीं किया। अपने पार्टी के अंदर पनपनेवाले जीजा-सालावाद, पति-पत्नीवाद, ससुर-बहुवाद, भाई-भतीजावाद जैसे बीमारियों का इलाज नहीं किया। सजायाफ्ता ढुलू महतो जैसे लोगों की अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाये, तो गिरह पार लें। 2029 में भी हेमन्त सोरेन ही आयेंगे। क्योंकि मैं हूं – विद्रोही24 डॉट कॉम यानी जो कहते हैं, वही होता है। वो चौपाई है न – वृथा न होंहि देवरिषि बानी।

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