वाह नारायण दास जी, आदिवासियों के लिए ही सिर्फ क्यों हर वर्ग के लिए एम्स में एक स्पेशल वार्ड खुलवा दीजिये
आम तौर पर सभी अस्पतालों चाहे वो रिम्स हो या एम्स या सामान्य चिकित्सालय हो या विशेष चिकित्सालय या जन स्वास्थ्य केन्द्र हो या कोई निजी हॉस्पिटल, उसमें मूल रुप से बच्चा वार्ड, महिला वार्ड, पुरुष वार्ड या रोगानुसार वार्डों का निर्धारण होता है, पर देवघर में भाजपा का एक ऐसा भी विधायक है, जिसे नये-नये खुले एम्स में जातियों के आधार पर अनुसूचित जन-जाति वार्ड चाहिए।
ताकि अनुसूचित जन-जाति के लोगों का इलाज ठीक ढंग से हो सकें, ये महाशय इस आशय का पत्र भी लिख चुके हैं। ये पत्र उन्होंने भारत सरकार के केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख एल मांडविया को लिखा है। 25 अगस्त को लिखे पत्र में भाजपा विधायक नारायण दास ने इस बात का जिक्र किया है कि एम्स देवघर में एक विशेष अनुसूचित जनजाति ट्रीटमेन्ट वार्ड स्थापित की जाये, जिससे की आजादी के सात-आठ दशक बाद भी पिछड़े आदिवासियों को इसका लाभ प्राप्त हो सकें।
आम तौर पर आरक्षण के आधार पर चिकित्सीय सेवा में आये डाक्टरों का दल भी बीमार लोगों में आरक्षण की बात नहीं करता, उसके सामने एक ही लक्ष्य होता है कि सामने बीमार पड़ा व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म या जाति का हो, वो जल्द से जल्द चिकित्सीय व्यवस्था से ठीक हो जाये, पर इस प्रकार की एम्स जैसी संस्थाओं में मांग अगर हर जाति और मजहब के लोग करने लगे, तो क्या एम्स अपने मूल स्वरुप में रहेगा?
कल हो सकता है कि कोई यह भी कह दें कि अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम वार्ड आदि एम्स में खोले जाये तो एम्स का क्या होगा? आश्चर्य है कि भाजपा जैसी पार्टी में भी एक से एक सोच वाले लोग पदार्पण कर चुके हैं, जिनकी मांग मानवता पर चोट करती है, और इससे देश व समाज गर्त में जाता है।
मांग तो यह होनी चाहिए थी कि एम्स में ऐसी चिकित्सीय व्यवस्था हो, जो इस अनुसूचित जनजाति बहुल इलाके में स्वास्थ्य सेवा में क्रांति का अनुभव करा दें, लेकिन यहां तो वार्ड ही बनाने की मांग नारायण दास ने कर दी, ऐसे में इस प्रकार के सोच से भाजपा को क्या फायदा मिलेगा? ये भाजपावाले ही बेहतर बता सकते हैं।