प्रायोजक झारखण्ड सरकार को लताड़, आयोजक प्रभात खबर से प्यार, वाह रे वामपंथी प्रदर्शनकारी
प्रायोजक झारखण्ड सरकार को लताड़ और आयोजक प्रभात खबर से प्यार, ये कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं जनाब? प्रदर्शन में भी भेदभाव, अखबार की गैरजिम्मेदाराना हरकतों को छुपाने का प्रयास, शर्म तो आपको भी आना चाहिए। आज राजभवन के समक्ष ज्यां द्रेज के प्रति अनुराग रखनेवाले वामपंथी विचारधारा के लोगों ने प्रदर्शन किया। इन वामपंथी प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कल ज्यां द्रेज के साथ, कृषि मंत्री और अन्य भाजपाइयों ने जो दुर्व्यवहार किया, वह पूर्णतः गलत है, संविधान के खिलाफ है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।
वामपंथी प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना था कि ज्यां द्रेज के साथ जिन्होंने गलत किया, उन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाय। वे यह भी कह रहे थे कि आश्चर्य इस बात की है, जहां ज्यां द्रेज के साथ दुर्व्यवहार हुआ, वहां दो-दो केन्द्रीय मंत्री, सांसदों व विधायकों का जमावड़ा था, फिर भी किसी ने ज्यां द्रेज के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर, उनका बचाव नहीं किया, उल्टे उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर चुप्पी साध रखी थी, पर इन प्रदर्शनकारियों ने एक बार भी आयोजक प्रभात खबर का नाम नहीं लिया कि उसके ही कार्यक्रम मे इतना बड़ा बवाल हुआ और उसने अपने आज के अंक में इस समाचार को स्थान क्यों नहीं दिया?
आखिर प्रभात खबर ने ऐसा क्यों किया? आखिर उसने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई? इतनी बड़ी खबर को वह क्यों और कैसे डकार गया? क्या इस समाचार को डकारने और मैनेज करने के लिए भी राज्य सरकार ने कुछ राशि उपलब्ध कराई थी? कम से कम वामपंथी प्रदर्शनकारियों को ये सवाल प्रभात खबर जैसे अखबार से पूछनी ही चाहिए थी, पर सबने इन सवालों पर चुप ही रहना आवश्यक समझा, क्योंकि यह मामला उठाने पर, प्रभात खबर को कटघरे में रखने पर, सभी को भविष्य में, अखबारों में चेहरे नहीं चमकने का भय सता रहा था, यानी प्रदर्शन में भी घालमेल।
ऐसे लोग क्रांति करेंगे, समाज में सुधार लायेंगे। झारखण्ड के गरीबों और पीड़ितों के लिए लड़ने का दावा करनेवालों इन वामपंथियों का दिल कितना कमजोर है, वह आज के प्रदर्शन से ही पता लग गया। आज के प्रदर्शन में गिनने लायक लोग थे। मेरा मानना है कि जितनी गलतियां प्रायोजक झारखण्ड सरकार की है, उतनी ही गलतियां आयोजक प्रभात खबर की है, जिसने अपना पत्रकारिता धर्म नहीं निभाया, बल्कि पूरा समाचार ही चेप गया और उससे बड़ा दुर्भाग्य इन आंदोलनकारियों का, कि इन्होंने अपने प्रदर्शन में प्रायोजक झारखण्ड सरकार को खुलकर लताड़ा और आयोजक प्रभात खबर के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। इससे साफ पता चलता है कि वामपंथी विचारधारा के प्रदर्शनकारियों और प्रभात खबर के मालिकों और संपादकों के बीच इनकी कितनी अच्छी ट्यूनिंग चल रही है, कि प्रभात खबर के कार्यक्रम में ज्यां द्रेज के अपमान के बावजूद दोनों ने एक दूसरे का सम्मान बनाये रखा। वाह रे वामपंथी, वाह रे आपका चरित्र।
वामपंथियों को तो प्रभात खबर से यह भी पूछना चाहिए था कि वह ये बताएं कि ज्यां द्रेज के दुर्व्यवहार की खबर क्यों नहीं छापी? उनके द्वारा दिये गये वक्तव्य जिस पर बवाल हुआ? उस वक्तव्य को क्यों नहीं छापा? उसकी क्या मजबूरियां थी? पर ये पूछेंगे, हमें तो नहीं लगता, क्योंकि इनके आज के प्रदर्शन में भी तख्तियां पर सरकार और भाजपा के लोग निशाने पर थे, प्रभात खबर नहीं। इसी से पता लगता है कि ये प्रदर्शन औपचारिकता मात्र थी, न तो इसमें जोश था और न ही ज्यां द्रेज के अपमान को सम्मान में परिवर्तित करने की इच्छाशक्ति।
बस, लोकतंत्र की औपचारिकता और खनापूर्ति ही ,शेष यह गया है।