सीमा पर खड़ा जवान अपने वेतन से इनकम टैक्स जमा करें पर नेता नहीं करेगा, क्योंकि वह नेता है
सवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद सहित देश के तमाम दलों के प्रतिष्ठित नेताओं से, आपका जीवन, आपकी पत्नी का जीवन, आपकी बेटे-बेटियों-बहू-दामाद का जीवन, जीवन और देश के लाखों-करोड़ों के अधिकारियों-कर्मचारियों और उनके परिवारों का जीवन, जीवन नहीं। ये सवाल उठा रहे भारत के वे लाखों कर्मचारी, जिन्हें पुरानी पेंशन योजना से वंचित कर दिया गया है, जो पेंशनविहीन है और जो इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनकी भाजपा सरकार को दोषी ठहराते हैं, फिलहाल विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में ये लाखों कर्मचारी आंदोलनरत हैं, और उनका कहना हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम वे लेकर रहेंगे, क्योंकि इस पर उनका हक है।
विजय कुमार बंधु का कहना है कि ये नेता, चाहे दक्षिणपंथी हो, या समाजवादी हो, या साम्यवादी, अपनी सुविधा तथा अपनी वेतन-पेंशन बढ़ाने के लिए एक हो जाते हैं, और अपनी वेतन, पेंशन तथा अन्य सुविधाओं की प्राप्ति के लिए सदन से ही विधेयक पारित करा लेते हैं, उस समय कोई शोरगुल भी नहीं होता, पर आम जनता की बात आती हैं, तो चुप्पी साध लेते हैं। इसे बेशर्मी कहें या कुछ और।
देश की सीमाओं पर खड़े जवान को सरकार ने पेंशन गायब कर दिया और अपने लिए आज भी पेंशन-फैमिली पेंशन बरकरार रखा, अब आप ही बताएं, इसको क्या कहेंगे? आप नेता वेतन-पेंशन-फैमिली पेंशन-अन्य प्रकार के विशेष भत्ते का लाभ जिन्दगी भर उठाओ और उनके मरने के बाद उनके फैमिली के लोग भी उठाएंगे और जिन्होंने अपने जीवन के कई साल देश की सेवा में लगा दिये, उनके और उनके परिवार के लोगों के लिए पेंशन और फैमिली पेंशन पर सदा के लिए रोक, क्या ये लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय नहीं हैं?
विजय कुमार बंधु ने कहा कि चुनाव लड़ने के समय, अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हुए ये नेता खुब इतरायेंगे कि उनके पास करोड़ों-अरबों की संपत्ति हैं, और जैसे ही विधान पार्षद, विधायक, सांसद बनेंगे, वेतन और पेंशन के लिए हाय-तौबा मचायेंगे, यानी आप करोड़ों-अरबों में खेलकर भी वेतन लो-पेंशन लो और जो हजारों-लाखों के लिए, दो रोटी के लिए, अपने परिवार की बेहतरी के लिए तिल-तिल वर्षों मर रहे हैं, खट रहे हैं, उनकी पेट पर लात मार दो और उनकी पेंशन बंद कर दो, वाह रे भारत के नेता, आपको शर्म आनी चाहिए।
विजय कुमार बंधु ने कहा कि देश की सीमाओं पर खड़ा जवान, इनकम टैक्स देगा और आप करोड़ों-अरबों कमाओ, देश को चूसकर संपत्ति इकट्ठे करों, वेतन-पेंशन उठाओं पर इनकम टैक्स नहीं दोगे, क्योंकि आप नेता हो, नेता कुछ भी कर सकता है, पर देशहित के लिए अपना एक पैसा भी टैक्स के रुप में नहीं दे सकता है, क्योकि वह गरीब है, भाई ये दोहरा चरित्र क्यों? भारत के राष्ट्रपति को विशेष भत्तों का अम्बार, उन्हें अलग से कोई खर्च भी नहीं करने और वेतन अलग से पांच लाख रुपये क्यों? देश की जनता जानना चाहती है।
हमारे ही पैसे से आप अपनी तिजोरी भरे और उस तिजोरी से हमें एक आने की सुविधा न दे, इस चरित्र को क्या कहेंगे? पूरे भारत में आप लाख बुरा-भला कह लें, प. बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को, पर देश में एकमात्र वहीं नेता रहीं, जिसने न्यू पेंशन स्कीम का यह कहकर विरोध किया, कि यह लाखों-करोड़ों कर्मचारियों के साथ अन्याय है, वह पुरानी पेंशन स्कीम ही लागू रखेंगी, आज भी बंगाल में पुरानी पेंशन स्कीम चालू है। त्रिपुरा में पुरानी पेंशन स्कीम चालू है। जब बंगाल और त्रिपुरा में पुरानी पेंशन स्कीम चालू रह सकती है तो अन्य राज्यों और देश के केन्द्रीय सेवाओं में तैनात कर्मचारियों/अधिकारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ देने में सरकार को क्या जा रहा है?
विजय कुमार बंधु का कहना था कि हम पेंशनविहीन लोग अपना हक लेकर रहेंगे, अगर मोदी को सत्ता में आने के फार्मूले आते है, तो उन्हें भी अपना हक लेने का फार्मूला, उसे लागू कराने का फार्मूला अच्छी तरह आता है, इसलिए केन्द्र सरकार ज्यादा दिमाग नहीं लगाये तो अच्छा है। विजय कुमार बंधु ने कहा कि आनेवाले समय में अगर कल भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता यहां का कर्मचारी/अधिकारी दिखा दें तो इसे अतिश्योक्ति मत समझियेगा, क्योंकि पूरे देश में भाजपा और उनके नेताओं के खिलाफ माहौल बनना शुरु हो गया है, 30 अप्रैल को दिल्ली के राम लीला मैदान में आंदोलन के माध्यम से देश के लाखों कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री मोदी को अल्टीमेटम दे दिया है, सुधरिये, पुराना पेंशन स्कीम लागू करिये, नहीं तो देश के कर्मचारियो को नेताओं को सुधारना भी आता है।