क्या झारखण्ड इसीलिए बना था कि यहां के वीरों की प्रतिमा इस प्रकार अपमानित की जायेगी?
सवाल हमारा झारखण्डियों से हैं, उन आंदोलनकारियों के वंशजों से हैं, क्या ये झारखण्ड इसलिए बना था कि उनके पूर्वज आनेवाले समय में, वह भी तब, जबकि झारखण्ड अस्तित्व में आ जायेगा तो उनकी प्रतिमा धूल–धूसरित होंगी, उन्हें खंडित किया जायेगा, उनका अपमान किया जायेगा और अगर नहीं तो ये कौन लोग हैं, जो झारखण्ड के अमर नायकों की प्रतिमा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
केवल ये काम असामाजिक तत्वों का है, ये कहकर इसे टाला नहीं जा सकता, ऐसे लोगों को चिन्हित कर, राज्य सरकार क्यों नहीं उन पर कड़ी कार्रवाई करती, आखिर ये सब कब बंद होगा? ये सवाल यहां के झारखण्डियों को तो पूछना ही चाहिए, पर राज्य सरकार इसका सही जवाब दे देगी, उस पर हमें संदेह हैं, क्योंकि झारखण्ड से वह कितना प्यार करती हैं, वो तो साफ दिख रहा हैं।
बड़े ही शर्म की बात है, कि आज धनबाद के महुदा मोड़ के पास अमर शहीद स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया, उनके सर को धड़ से अलग कर दिया गया, अभी ज्यादा दिन भी नहीं हुआ है, याद करिये रांची में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा को खंडित किया गया, और आज तक उन अपराधियों को रांची पुलिस खोजकर नहीं निकाल सकी, दंड दिलवाना तो अलग बात है, और लीजिये अब विनोद बिहारी महतो की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया, आखिर ये सब क्या है? जरा सोचिये, ये कौन उपद्रवी लोग हैं, जो झारखण्ड को अशांत करना चाहते है, इसके लिए आप सभी को अभी से चेतना होगा।
विनोद बिहारी महतो, झारखण्ड के आंदोलनकारी ही नहीं थे, बल्कि यहां के लोगों को शिक्षित बनाने तथा सामाजिक उत्थान में उनका विशेष रोल रहा है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। दिशोम गुरु शिबू सोरेन तो अपने भाषण में विनोद बिहारी महतो को हमेशा धर्म–पिता कहा और धर्म–पिता माना भी।
धनबाद का रणधीर वर्मा स्टेडियम तो इस बात का गवाह भी है कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के गठन में विनोद बिहारी महतो का कितना योगदान था और उन्होंने किस प्रकार झारखण्ड अलग राज्य के आंदोलन को गति दी, पर ये सरकार ऐसे उपद्रवियों जिन्होंने विनोद बिहारी महतो की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया, पकड़कर, जेल के अंदर डालेगी, इसकी संभावना कम है, क्योंकि अभी तो सरकार अपना चेहरा चमकाने के लिए अखबारों-चैनलों व पोर्टलों को उपकृत करने में लगी है।