अपनी बात

“सरकार के भरोसे रहकर हम अपने व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्वों से पीछे नहीं भाग सकते” मतलब साथी हाथ बढ़ाना

इस देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं, जो अपने सपने को पूरा करने और कुछ अलग करने के लिए बंधी-बंधाई नौकरी तक छोड़ देते हैं। लेकिन क्या सोचा है कि इस कोविड काल में ऐसे युवा किन परेशानियों से दो चार हो रहे हैं। आइये, हम आपको जमशेदपुर के साकची में फ़ूड स्टॉल संचालिका पूनम सिंह के हालात से रूबरु कराते हैं जो आज अपने बच्चे के स्कूल की फीस भी नहीं भर पा रही हैं।

स्नातक तक पढ़ाई कर चुकी पूनम सिंह एक प्राईवेट फर्म में नौकरी करती थीं। जहां उन्हें 15 हजार मिल जाते थे, लेकिन उन्होंने कुछ समय नौकरी कर फिर उसे छोड़ दिया। उसके बाद एक बहुत अच्छे कॉन्सेप्ट पर काम करते हुए खुद का झारखंड फ़ूड स्टॉल साकची में जमशेदपुर अक्षेस कार्यालय के नज़दीक वर्ष 2019 में लगाना शुरू किया। इसकी खासियत थी स्वादिष्ट झारखंडी व्यंजन। ये हेल्दी फूड को बढ़ावा दे रही थीं। धूसका, लेमन ग्रास टी, जीरा टी जैसे हेल्दी फूड लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे थे।

पूनम एक संस्था द्वारा वर्ष 2020 में दिल्ली में आयोजित एक फूड मेले में शिरकत कर चुकी हैं, जो खास तौर पर महिलाओं के लिए समर्पित थी। लेकिन पिछले साल जब लॉकडाउन लगा, तब से हालात खराब होने लगे। बड़ी मुश्किल से खर्च कर स्टॉल लगाया था। इस साल जब फिर से लॉकडाउन लगा, तो हालत और खराब हो गई और पूनम अब अपने बच्चे की स्कूल फीस भी नहीं भर पा रही है, जो केपीएस बर्मामाईंस में दसवीं का छात्र है। पूनम अपने बेटे के साथ लक्ष्मीनगर में रहती है।

पूनम की व्यथा को सामाजिक कार्यकर्ता संजय विश्वकर्मा ने ट्वीटर पर उठाया। इस मुद्दे को लेकर पत्रकार अन्नी अमृता ने पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी, शिक्षा सत्याग्रह के संस्थापक अंकित आनंद, टीम नम्या की निधि केडिया और पुर्णेंदु पात्रा को टैग किया और इस पर आपसी चर्चा प्रारंभ की। खुशी की बात रही कि खुद ही कुछ लोगों ने मदद की पेशकश कर दी और सलाहें भी मिलनी शुरु हो गईं।

पूनम सिंह को फीस वगैरह को लेकर 6000 रूपये की मदद की जरुरत थी। जमशेदपुर होलसेल क्लोथ मर्चेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रीतेश मित्तल ने ट्वीटर पर पत्रकार अन्नी अमृता से संपर्क कर मदद की इच्छा जताते हुए अपना संपर्क नं भी दिया। वे 2100 रूपये की मदद कर रहे हैं। इधर टीम नम्या की निधि केडिया भी 2000 रुपये की मदद की पेशकश करने के साथ ही ग्रेजुएट पूनम सिंह के लिए किसी नौकरी के लिए प्रयासरत हो गई हैं। बचे रूपयों की भी मदद हो जाने का उन्होंने आश्वासन दिया है।

इसी बीच ट्वीटर पर नवीन ने सलाह दी कि फूड स्टॉल लगाने वाले ऐसे जरूरमंदों से कोविड के मरीजों के परिजनों को फूड पहुंचाने के लिए फूड बनाने का काम लेना चाहिए। इससे इनको आमदनी हो जाएगी। गौरतलब है कि शहर में कई संस्थाएं कोविड मरीजों के परिजनों तक भोजन उपलब्ध करा रही हैं। इस संबंध में टीम नम्या की निधि काम करने में जुट गई हैं। पूनम सिंह की मदद को लेकर हो रही सामाजिक पहल से पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा की कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों से सबको मिलकर लड़ना होगा। सरकार के भरोसे रहकर हम अपने व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्वों से पीछे नहीं भाग सकते।