हमने जमीन घोटाला पर रोक लगाई और हमें ही फंसा दिया गया मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, हमें डराइये नहीं, हम नाराज हुए तो देश का बत्ती गुल हो जायेगा – झामुमो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची स्थित प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनके लाखों कार्यकर्ताओं को पता है कि महाजनों, सामंतों, सूदखोरों, शोषण व अत्याचार के खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ी जाती है? उन्होंने कहा कि केन्द्र हमें डराने का काम न करें, क्योंकि अगर हम थोड़ा सा भी नाराज हो गये, तो देश का बत्ती गुल हो जायेगा, क्योंकि सबसे ज्यादा खनिज, राजस्व देश को झारखण्ड ही देता है।
उन्होंने कहा कि हम देश के लिए खुद को ही नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों को कुर्बान कर देते हैं, यह देखना हैं तो जाकर जादुगोड़ा में जाकर देख आइये, देश के लिए सेक्रिफाइस करनेवालों को डराइये नहीं। उन्होंने कहा कि हम आदिवासी डरनेवाले नहीं। शिबू सोरेन का बेटा डरनेवाला नहीं। जिस शिबू सोरेन ने हाथ में तीर-कमान लेकर महाजनों के चंगुल से जमीन छुड़ाया, उन्हें आप डराओगे!
सुप्रियो ने कहा कि वे बॉन्ड पेपर पर लिखकर दे देते हैं कि समय आने दीजिये, सबका पर्दाफाश करेंगे। यह लड़ाई राजनीति और कानूनी दोनों तरीके से लड़ेंगे। हम जीतेंगे, क्योंकि सत्य हमारे साथ है, क्योंकि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा झारखण्ड में कई सालों तक शासन में रही, कभी आदिवासी दिवस नहीं मनाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अवश्य बनाया, जनजातीय मंत्रालय का गठन जरुर किया, पर उनकी प्राथमिक सूची से आदिवासी हमेशा गायब रहे।
उन्होंने कहा कि इनके शासन में आदिवासी हमेशा प्रताड़ित होते रहे। आदिवासी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ। ये चाहते ही नहीं कि भारत के किसी कोने में भी आदिवासियों का राज हो। हमें भूलना नहीं चाहिए कि जब हेमन्त सत्ता में आये तो दो वर्ष कोरोना से जूझने में ही उन्हें लग गये। जब कोरोना का समय बीता तो उसके बाद हेमन्त सरकार को अस्थिर करने के लिए साजिशें रची जाने लगी। जिस मनरेगा घोटाले को हमने उजागर किया। अर्जुन मुंडा के शासनकाल में, जिसे रघुवर शासनकाल में क्लीन चिट थमा दिया गया। उसी का बहाना बनाकर केन्द्रीय एजेंसियों ने राज्य सरकार को अस्थिर करने का काम शुरु किया। विकास कार्यों को अवरुद्ध तथा आदिवासियों के सम्मान के साथ खेलने का काम प्रारम्भ कर दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा के रघुवर शासनकाल में पांच सालों तक हेमन्त सोरेन और उनके परिवार पर जमीन घोटाले का ठप्पा लगाने का काम किया गया। बताया गया कि सोरेन परिवार ने जमीन घोटाला किया है। प्लॉट नंबर, फोटो कॉपी, एसआईटी का गठन तक कर दिया गया। उस एसआईटी के जांच रिपोर्ट में भी सोरेन परिवार पाक साफ साबित हुआ, पर उस एसआईटी की रिपोर्ट जानबूझकर सार्वजनिक नहीं की गई और अब फिर आदिवासी दिवस के एक दिन पहले गाथा गढ़ दी गई।
सुप्रियो ने कहा कि सभी अखबारों में जबकि कोई अधिकारिक सूचना नहीं हैं। लेकिन तरह-तरह के प्लॉट नंबर, खाता नंबर, मुख्यमंत्री का उसमें संलिप्तता की खबरें दी जाने लगी। ये अजीब विडम्बना नहीं तो और क्या है? सच्चाई क्या है, राज्य सरकार ने जमीन घोटाले पर रोक लगाने के लिए स्वयं रुचि दिखाई। मुख्य सचिव के द्वारा संज्ञान लिया गया। उपायुक्त के द्वारा अंचल में प्राथमिकी दर्ज की गई। राज्य सरकार चाहती है कि जमीन घोटाला बंद हो, उसी को आधार बना दिया गया। मतलब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
सुप्रियो ने कहा कि दरअसल जो भी विपक्ष का क्षत्रप एनडीए या भाजपा को चुनौती देने लगता है, उसे येन केन प्रकारेन बदनाम करने, उसके खिलाफ भ्रम की स्थिति पैदा करने की, उसे सत्ता से हटाने का काम केन्द्र द्वारा शुरु कर दिया जाता है। स्वयं जिस मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सैकड़ों एकड़ जमीन आदिवासियों को वापस दिलाई, उसे ही कटघरे में खड़ा किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि भाजपाइयों को ये बातें पच नहीं रही। ये चाहते है कि आदिवासियों का नामोनिशां मिटा दिया जाये। सुप्रियो ने कहा कि 9-10 अगस्त को जब आदिवासी जगकर खड़ा हो गया, तो भाजपा भयभीत हो गई। भाजपा अपने राज्य में दंगा करा रही है और हमें परेशान कर रही हैं।