अगर आप बिना नंबर की गाड़ी चलाने या प्रदूषण बढ़ाने का शौक रखते हैं तो रांची में आपका स्वागत हैं
अगर आप बिना नंबर की गाड़ी चलाने का शौक रखते हैं, एकदम कंडम हो गये गाड़ी को सड़कों पर दौड़ाना चाहते हैं, चाहे उससे किसी की जान ही क्यों न चले जाये या उससे काले-काले जहरीले धुएं ही क्यों न निकलते हो, तो बस आपको कुछ करना नहीं हैं, सीधे झारखण्ड की राजधानी रांची पहुंच जाइये, आप यहां बिना नंबर की गाड़ी, कंडम गाड़ी, जहरीले धुएं फेकनेवाली गाड़ी को आराम से इधर से उधऱ दौड़ा सकते हैं, कोई आपको बोलनेवाला नहीं, न रोकनेवाला है, बल्कि उलटे आपका स्वागत करते हुए लोग मिल जायेंगे, वह भी यह कहकर कि आपने कमाल कर दिया, आप इतनी कंडम गाड़ी, वह भी बिना नंबर की, आराम से राजधानी की सड़कों पर चला रहे हैं, वह भी कई वर्षों से,तो सचमुच आप प्रशंसनीय हैं, वंदनीय हैं।
राजधानी रांची एक ऐसा शहर है, जहां ऐसे भी कानून नाम की कोई चीज नहीं, आप कुछ भी कर लें, कोई भी कानून तोड़ दें, यहां कुछ नहीं होता, क्योंकि यहां रघुवर राज है, इसके एक उदाहरण नहीं, कई उदाहरण है, आपको मालूम ही होगा, कि यहां के एक पूर्व पुलिस महानिदेशक जिन्होंने अपनी पत्नी के नाम, 51 डिसमिल गैरमजरुआ जमीन करवा ली। उपायुक्त रांची ने कार्रवाई की भी बात की, पर ये कार्रवाई अपने कछुए की गति से चल रही हैं, मतलब अगर आप थोड़ा सा भी समझ रखते है, तो समझ लीजिये, यहां कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति हैं?
खैर, अब मुद्दे पर आता हूं, रांची में जितने भी चौक-चौराहे हैं, वहां आपको बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी दिखाई पड़ेंगे, पर मजाल है कि इन्हें बिना नंबर की चलती गाड़ी पर इनकी दृष्टि पड़ जाये, या वे उसका चलान काट दें, या उसकी गाड़ी को जब्त कर लें। कहने को तो पूरे रांची में सीसीटीवी के नाम पर करोड़ों फूंक दिये गये हैं, पर इस सीसीटीवी कैमरे का क्या मतलब, जब आप इसका उपयोग ही नहीं कर रहे, अगर इसका उपयोग करते, तो कम से कम कंडम हो चुकी गाड़ी सड़कों पर नहीं दिखाई देती, जहरीले धुएं फेकनेवाली गाड़ी दिखाई नहीं पड़ती, बिना नंबर की गाड़ी दिखाई नहीं पड़ती, बिना हेलमेट की चल रही गाड़ी दिखाई नहीं पड़ती, महंगी दुपहियें वाहन पर, कान में लीड लगाये व स्टंट करने के क्रम में रांची के युवा बेमौत मरते नहीं दिखाई पड़ते।
हालांकि यहां परिवहन विभाग भी हैं, परिवहन विभाग के मंत्री भी हैं, परिवहन जिला पदाधिकारी भी हैं, यातायात पुलिस भी हैं, पर ये सभी अपना काम छोड़, पता नहीं क्या करते हैं, कि इनके रहने के बावजूद भी राजधानी रांची में कभी व्यवस्थित यातायात दिखाई नहीं पड़ी। ये मैं इसलिए लिख रहा हूं कि मैं हाल ही में रथयात्रा का आनन्द लेने के लिए अपने घर से जगन्नाथपुर की ओर निकला। जैसे ही मैं डोरंडा के राजेन्द्र चौक पहुंचा, वहां से शहीद मैदान तक हमें बिना नंबर के एक नहीं कई वाहन दिखाई पड़ गये, जो इतने पुराने थे कि वे पूरे शहर को अपने जहरीले धुएं से पाटे जा रहे थे।
आश्चर्य यह था कि रास्ते में वन भवन दिखाई पड़ा, जहां एक बोर्ड लगा था कि रांची में वायु प्रदुषण का क्या हाल हैं, और ये वाहन उस वन भवन के मुख्य गेट पर लगे उक्त बोर्ड को चिढ़ा रहे थे, कि देखों हमारे सामने तुम्हारी औकात क्या है? रास्ते में कई जगहों पर पुलिस महाशय भी थे, जो इन वाहनों का स्वागत कर रहे थे, एक पुलिस महाशय ने तो एक टेम्पू को रोका और आराम से बैठ गये और हंसते-बाते करते, शहीद मैदान-सेक्टर टू तक पहुंच गये, इनकी हंसी और बातों से लग रहा था कि दोनों में कितनी घनिष्ठता हैं, अतः आप भी इस घनिष्ठता का लाभ प्राप्त करिये, अगर आपके घर में कोई भी कंडम गाड़ी हो, उसे आज ही रांची में दौड़ाने का प्रबंध करिये, अगर बिना नंबर की गाड़ी हैं तो सोने पर सुहागा, क्योंकि कोई बोलनेवाला नहीं है, कुछ कर भी दीजियेगा तो थोड़े ही लोगों को पता चलेगा कि किस गाड़ी ने क्या कांड किया?
ऐसे भी अगर आप देह-हाथ से मजबूत हैं, या पैसे से मजबूत हैं, या सत्तारुढ़ दल से जुड़े हैं, या किसी सत्तारुढ़ दल के नेताओं से आपकी बहुत अच्छी बन रही हैं तो आप बहुत ही सफल व्यक्ति हैं, आप कुछ भी कर देंगे, आपको कोई कुछ कह नही सकता और न ही बोल सकता हैं, लेकिन गलती से अगर आप दूसरे राजनीतिक दल के व्यक्ति हो गये, तो समझ लीजिये, आपको उलटा लटकने में देर नहीं लगेगी, बस इसका ख्याल रखना जरुरी है, बाकी सब कुछ यहां ठीक हैं, आप बिना नंबर की गाड़ी चलाकर इसका प्रमाण भी प्राप्त कर सकते हैं।
एक बात और, अगर आपके पास दुपहिये वाहन हैं और आप बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना चाहते हैं तो आप याद रखिये, आप इसका आनन्द कांटा टोली, सर्जना चौक, एकरा मस्जिद, कर्बला चौक तक आराम से उठा सकते हैं, क्योंकि यह वह इलाका हैं, जहां यातायात पुलिस के हाथ-पांव हमेशा फूले रहते हैं, क्योंकि यहां किसी की नहीं चलती है, ये इलाका कुछ खास लोगों का है, जिनसे भय खाना इनकी मजबूरी होती है।