WELDONE CM हेमन्त, सीमित संसाधनों के बीच कोरोना की दुसरी लहर के आगे डटे रहना सामान्य बात नहीं
जी हां, मैं तो यहीं कहूंगा कि सीमित संसाधनों में भी कोरोना की दुसरी लहर में झारखण्ड की जनता ही नहीं, बल्कि दुसरे राज्य की जनता को भी लेकर हमेशा सक्रिय रहना, उसका डटकर मुकाबला करना, अपने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें करना, कैसे आम लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो, उसकी चिन्ता करना, आज के समय में कोई सामान्य बात नहीं, वह भी तब जब आपके पास अज्ञात दुश्मन के खिलाफ लड़ने के लिए संसाधन ही न हो।
याद करिये, ये वही हेमन्त सोरेन हैं, जो पिछले साल कोरोना की पहली लहर में भी आम जनता को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई थी, जिसकी चर्चा पूरे देश भर में हुई थी। हेमन्त सोरेन ने उस वक्त आंध्र प्रदेश से पहली ट्रेन मजदूरों के लिए चलवा दिये थे, जो वहां कोरोना के समय फंसे थे, जो अपने राज्य झारखण्ड आना चाहते थे, उन्होंने विमान तक की व्यवस्था कराई, जो लद्दाख आदि में फंसे थे।
इसी दौरान उन्हें पता चला कि सीमा सड़क संगठन में काम करनेवाले इन झारखण्ड के मजदूरों के साथ ज्यादतियां होती हैं, उन ज्यादतियों को दूर करने के लिए उन्होंने सेना के उच्चाधिकारियों से बातचीत की, रक्षा मंत्रालय तक बात रखी। उन झारखण्ड के मजदूरों को फायदा पहुंचा। लॉकडाउन के दौरान कोई भूख से न मरें, सभी पुलिस थानों में लंगर तक की व्यवस्था करा दी। कुछ लोग इस कोरोना में भी सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे, उन पर भी दबाव बनाया तथा उन लोगों की सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई। इस कोरोना की दुसरी लहर में भी हमें वो सारी चीजें दिखाई पड़ रही हैं, जो मानवीयता के लिए अनुकूल है।
आज की खुशी की बात तो यह है कि राज्य के सभी पत्रकारों को प्राथमिकता के तौर पर कोरोना टीकाकरण अभियान के साथ जोड़ने की मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने घोषणा की है। इस आशय हेतु उन्होंने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को निर्देश भी दिये हैं। हम इसके लिए आल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के लोगों को भी बधाई देंगे कि उन्होंने इस मकसद को पूरा करने के लिए विशेष अभियान चलाया, लगातार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को वे ट्विट भी करते रहे, जिसका यह सुखद परिणाम निकला, हालांकि कुछ मामलों को लेकर AISMJWA का आंदोलन अब भी जारी हैं।
बिहार-बंगाल एवं झारखण्ड के प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया का कहना है कि अगर पत्रकारों के टीकाकरण अभियान में उम्र सीमा को हटा दिया गया हैं, तब तो हम उनके इस कार्य का अभिनन्दन करते हैं, लेकिन उम्र सीमा की बाध्यता लगा दी हैं, तब तो ये गलत है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड के अभियान निदेशक के पत्र बता रहे है कि इसमें 45 वर्ष से अधिक आयु के पत्रकारों की बात की गई है, जबकि अन्य राज्यों में ऐसी बात नहीं है। प्रीतम सिंह भाटिया ने बिहार व ओड़िशा के मुख्यमंत्रियों को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने AISMJWA की बातों का संज्ञान लिया और पत्रकार हित में फैसले लिये।
अरगोड़ा निवासी सुमित कुमार बहुत ही खुश है, उनका कहना है कि उनके ट्विट पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कार्रवाई कर दी, मतलब यह बताता है कि उनकी आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान रहती है। सुमित बताते है कि उन्होंने अब तक चार-पांच ट्विट की है, और उन्हें खुशी है कि सारे ट्विटों पर संज्ञान लिया गया। सुमित कहते है कि हेमन्त सोरेन बाकी मुख्यमंत्रियों की तरह नहीं, जिन्हें अहम और वहम दोनों था। वे जमीन से जुड़े हैं, जमीन से जुड़े रहे और हमलोगों को क्या चाहिए?
जिस प्रकार से कोरोना की दुसरी लहर ने अन्य राज्यों को प्रभावित किया, यहां पर कुछ ऐसी ही स्थिति थी, पर अब धीरे-धीरे स्थितियों पर काबू पाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर कई शहरों में कोविड अस्पताल खोले गये, वहां बेड व ऑक्सीजन सिलिण्डरों की व्यवस्था की गई, रेमिडेसिवर इंजेक्शन की व्यवस्था कराई गई, ये अलग बात है कि इसी दौरान कई इलाकों में कोविड इफेक्टेड लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा, पर जो स्थितियां हैं, उन स्थितियों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि जब खुद को सर्वाधिक विकसित कहलाने का गौरव रखनेवाले महाराष्ट्र, गुजरात व राजधानी दिल्ली की स्थिति भयावह हैं, उससे तो हम कही बेहतर है।
राजनीतिक पंडितों की मानें, तो जिस प्रकार लॉकडाउन यहां की गई है, और धीरे-धीरे उसे सरकार बढ़ा रही हैं, उससे आम जनता भी खुश हैं क्योंकि इससे किसी को तकलीफ भी नहीं हो रही और जो कोविड पोजिटिव लोग हैं, उन्हें सहायता मिलने में दिक्कत नहीं हो रही। राजनीतिक पंडितों की मानें तो शुरुआती दौर में लोग पैनिक हो गये थे, राज्य सरकार के अधिकारियों को भी पता नहीं था, कि इस माहौल में क्या किया जाये, लेकिन बुद्धिमता व कोविड के खिलाफ लड़ने के मनोबल ने फिलहाल अच्छी स्थिति की ओर ले जाने का काम किया है।
राज्य की जनता का भी इस मामले में सरकार को सहयोग मिल रहा है। अन्य सामाजिक संगठन भी राज्य सरकार के साथ मिलकर एक बेहतर प्रयास कर रहे है, निश्चय ही झारखण्ड जल्द ही कोरोना की दुसरी लहर पर काबू पा जायेगा, बस हम सभी झारखण्डियों को अपना मनोबल ऊंचा बनाकर रखना है, क्योंकि इसी कोरोना की दुसरी लहर में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो राज्य सरकार को गफलत में रखने की कोशिश कर रहे हैं, राज्य का एक लोकल चैनल तो खुद को सीएम का खास बताकर, अपने को बचने तथा साफ-सुथड़ा दिखाने की कोशिश कर रहा हैं, लेकिन हमें नहीं लगता कि अगर जांच बढ़िया से हो गई तो वह बच पायेगा, या जो इधर सभी के सामने अपने को बहुत खास दिखाने की वो कोशिश कर रहा हैं, उसकी ये लंठई भी जल्द ही समाप्त हो जायेगी, इसके लिए हम सभी को राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ-साथ, थोड़ा ईश्वर पर भी भरोसा रखना होगा।