क्या असरानी भाई, इटावा में PM मोदी की प्रशंसा और रांची में मोदी की आलोचना व राहुल का गुणगान
इन दिनों फिल्मी दुनिया के लोग खुब राजनीति में प्रवेश कर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं और आम जनता को बेवकूफ भी बना रहे हैं और जनता ऐसी है कि कभी – कभी इन फिल्मी दुनिया के लोगों के बेकार की डायलॉगबाजी में आकर, अपना वोट भी खराब कर देती है, अब असरानी को देख लीजिये, ये वहीं असरानी है, जिन्होंने सुपर-डूपर हिट फिल्म “शोले” में जेलर का रोल किया था, जिनका डायलॉग “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर” और “आधे इधर, आधे उधर जाओ और बाकी मेरे पीछे आओ” ने धमाल मचा दिया था।
आजकल ये भी विभिन्न स्थानों पर जाकर राजनीतिक भाषण, अपने हिसाब से दे रहे हैं और लोगों को खुब हंसा रहे हैं। उनके हंसाने का अंदाज सचमुच निराला है, जिसके फैन अब नरेन्द्र मोदी भी है। हाल ही में इटावा में 20 अप्रैल को इन्होंने भाजपा के पक्ष में एक सभा की और लोगों को पीएम मोदी की विभिन्न योजनाओं का हवाला देकर भाजपा के लिए वोट मांगा।
उन्होंने पीएम मोदी के शौचालय निर्माण, उज्जवला योजना, इलाज के लिए पांच लाख रुपये तथा काला धन लाने की उनकी कोशिश की जमकर प्रशंसा की, साथ ही लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट भी कर दिया, और ठीक इधर रांची में 3 मई को असरानी ने जमकर भाजपा और मोदी को धो दिया। उन्होंने साफ कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार, विकास विरोधी और उद्योगपतियों की हितैषी है, इनके शासनकाल में किसानों ने आत्महत्याएं की, लोगों की भूख से मौते हुई, क्योंकि इन्हें गरीबों की चिन्ता नहीं, बल्कि अमीरों की चौकीदारी की चिन्ता है।
अब सवाल उठता है कि 20 अप्रैल को इटावा में मोदी की प्रशंसा और ठीक 3 मई को रांची में पीएम मोदी की आलोचना, क्या असरानी के ड्यूल कैरेक्टर की ओर इशारा नहीं करता, अब असरानी ही बताएं कि वो क्या वजह है कि उन्होंने 20 अप्रैल को इटावा में मोदी का गुणगान किया और 3 मई को रांची में पीएम मोदी की आलोचना कर दी, कही ऐसा तो नहीं कि 20 अप्रैल को वे भाजपा में शामिल थे और 3 मई को अचानक कांग्रेस में शामिल हो गये।
हम आपको बता दें कि असरानी इसके पूर्व भी सुबोधकांत सहाय के प्रचार के लिए रांची आ चुके हैं, वे पिछली बार 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान रांची आए थे, तथा उस वक्त होटल कैपिटोल हिल में एक प्रेस कांफ्रेस भी किया था, जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कड़ी आलोचना भी की थी, तथा राहुल गांधी को राजकुमार बताया था।