क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम, वो इरादा – मोदी का टूटता तिलिस्म
सत्ता में आने से पहले भाजपा के नेता, भारतीय मतदाताओं को अपने वायदों से खुब लुभाते थे, इधर नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आये लगभग चार साल हो चुके है, अगले साल भारतीय मतदाताओं को पुनः लोकसभा चुनाव में अपना निर्णय सुनाना है, पर इसके इतर केन्द्र की मोदी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही, उसे लग रहा है कि विपक्ष में करिश्माई नेताओं के अभाव का लाभ उसे 2019 के चुनाव में प्राप्त होगा, पर उसे पता नहीं कि 2004 में भी यही स्थिति थी, उसके बावजूद फील गुड चिल्लानेवाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा और फिर भाजपा को सत्ता में आने में दस साल लग गये।
क्या भाजपा सरकार बतायेगी कि उसने जो वायदे किये थे, उन वायदों का उसने क्या किया? जरा वायदों की लंबी सूची देखिये….
- हर हाथ को काम, हर खेत को पानी
- कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति
- गौ हत्या पर रोक
- स्वदेशी अर्थव्यवस्था
- बांगलादेशी घुसपैठ पर रोक
- ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जा रहे पंथ परिवर्तन पर रोक
- अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण
- कश्मीर में विस्थापित हुए हिन्दुओं की सुरक्षित घर वापसी
- हर रोगी को दवा, हर बच्चे को पढ़ाई
पर सच्चाई क्या हैं? भाजपा के वरिष्ठ नेता हरेन्द्र प्रताप का कहना है कि इन वायदों में किसी पर केन्द्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया, उपरोक्त मुद्दे पर हुए प्रगति की चर्चा हो रही हैं, जवाब देने की तैयारी भी करनी होगी। वरना विश्वास का संकट खड़ा होगा। इन्हीं मुद्दों पर हरेन्द्र प्रताप के सोशल साइट पर कमेन्ट्स करते हुए, झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के राजनीतिक सलाहकार रह चुके अयोध्या नाथ मिश्र कहते है कि इन मुद्दों पर सवाल पूछना शुरु है, जबकि कुछ लोग तो साफ कहते है कि हवा-हवाई चिन्तन करनेवालों से नैया पार होने की उम्मीद नहीं।