क्या कहते हैं 2019 में इस बार बारिश के भारतीय नक्षत्र?
पूरे देश में पड़ रही भीषण गर्मी ने सभी को बेचैन कर रखा है। इधर मानसून में हो रही देरी ने लोगों की नींद उड़ा दी हैं, सभी आकाश की ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि कब काले-काले बादल आकाश में आए और धरती पर बरस कर सिर्फ धरती को ही नहीं, सभी के दिलों को ठंडक पहुंचाएं। जब भारत में सभ्यता का उदय हुआ, तो हमारे ऋषियों-मणीषियों ने अपने ज्ञान के आधार पर नक्षत्रों की भाषा को जानने की कोशिश की, और उन नक्षत्रों के सही आकलन के आधार पर वे बता दिया करते थे कि ये नक्षत्र कह क्या रहे हैं, आश्चर्य यह भी होता कि उनका आकलन शत प्रतिशत सहीं होता।
आज भी गांवों में किसानों अथवा जिन्हें बारिश के बारे में जानकारी लेनी होती हैं, वे पंडितों के पास पहुंचकर, उनसे पूछ ही डालते है कि इस बार बारिश के नक्षत्र क्या कह रहे हैं? अगर हम भारतीय नक्षत्रों की बात करें, तो साफ पता लगता है कि इस बार नक्षत्र दगा नहीं देने जा रहे हैं, सभी नक्षत्रों में अच्छी बारिश के संकेत देखने को मिल रहे हैं, कुछ नक्षत्रों में बारिश के साथ-साथ तेज वेग से हवाओं, आंधियों के चलने के संकेत भी दिख रहे हैं।
अगर भारतीय नक्षत्रों की बात करें, तो जिस प्रकार के बारिश के संकेत इनसे मिल रहे हैं, उससे अच्छी फसल से इनकार नहीं किया जा सकता, कुछ इलाकों में भारी बारिश से फसलों के नुकसान की उम्मीद हैं, पर उतनी नहीं जितने का लोग आकलन करेंगे। इस बार पहली बार आर्द्रा से लेकर चित्रा तक सभी बरसेंगे, और किसानों को आनन्दित करेंगे, भरपूर बारिश होने के कारण ताल-तलैयों व नदियों में पानी की मात्रा बढ़ेंगी, जल संचय के दृष्टिकोण से भी यह वर्ष बेहतर हैं, पर इसका फायदा तो तभी उठा पायेंगे, जब ये जल-संरक्षण के लिए काम करेंगे, और अब एक नजर भारतीय नक्षत्रों के आगमन समय और उनके संकेतों पर…
- आर्द्रा – 22 जून को रात्रि के59 से प्रारम्भ – वृष्टियोगः।
- पुनर्वसु – 6 जुलाई को रात्रि 33 से प्रारम्भ – वायुवृष्टि योगः।
- पुष्य – 20 जुलाई को रात्रि शे. 4.0 से प्रारम्भ – वृष्टि योगः।
- आश्लेषा – 3 अगस्त को रा.शे. 4. 20 से प्रारम्भ – वायुअतिवृष्टियोगः।
- मघा – 17 अगस्त को रात्रि 8 से प्रारम्भ – अतिवृष्टियोगः।
- पूर्वाफाल्गुन – 31 अगस्त को रात्रि 49 से प्रारम्भ – वायुवृष्टियोगः।
- उत्तराफाल्गुन – 14 सितम्बर को सायं 6 बजे से प्रारम्भ – वार्युवृष्टिश्च।
- हस्त – 28 सितम्बर को दिन 9 . 23 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टिश्च।
- चित्रा – 11 अक्टूबर को रात्रि 52 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टिश्च।