इस प्रकार के आदेश से आम जनता को क्या मतलब, जनता तो परिणाम पर विश्वास करती है कि आपने सही मायनों में भूमाफियाओं/जमीन दलालों का अब तक इलाज क्या किया?
आजकल रांची के कई थानों में एक पर्चा सटा हुआ देखने को मिल रहा है, और जिन थानों में नहीं सटा है, उन थानों में युद्धस्तर पर यह पर्चा या पोस्टर साटने की तैयारी हो रही हैं। आखिर इस पर्चा या पोस्टर में लिखा क्या है? पहले उस पर ध्यान दीजिये … आदेश – भूमाफिया/जमीन दलालों का थाना परिसर में प्रवेश निषेध है। आदेशानुसार थाना प्रभारी और उसके बाद जो थाना है, उस थाने का नाम और रांची छपा हुआ है।
अब सवाल उठता है, वो इसलिए क्योंकि यह आदेश ही सवालों को जन्म दे रहा है। पहला सवाल – क्या पूर्व में रांची के विभिन्न थानों में भू-माफिया/जमीन दलाल आते रहे हैं? और उन भू-माफियाओं व जमीन दलालों का थाने के लोग सम्मानित करते रहे हैं, बैठाते रहे हैं? दूसरा सवाल – जब आप स्वयं लिख रहे हैं कि भू-माफियाओं/जमीन दलालों का प्रवेश निषेध हैं तो आप यह भी जानते है कि आपके इलाके में कौन-कौन भू-माफिया और जमीन दलाल हैं, जिसको अब आप अपने थाने में आने से मना कर रहे हैं?
तीसरा सवाल – जब आप अपने इलाके के भू-माफिया और जमीन दलालों को अच्छी तरह से जानते हैं तो आप उन पर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करते, ये आदेश का पर्चा साटकर उन्हें झूठ-मूठ का डराने का काम क्यों कर रहे हैं? क्या आपके इस आदेश से वे डर जायेंगे? या भू-माफियागिरी या जमीन दलाली का काम छोड़ देंगे?
चौथा सवाल – क्या ये सही नहीं है कि इस धंधे में बिना पुलिस के सहयोग से ये धंधा फलने-फूलने का सवाल ही नहीं उठता? क्या ये सही नहीं है कि इस धंधे में कई पुलिसकर्मी भी संलिप्त हैं, जो ऐसे लोगों की खुलकर मदद करते और उससे इस काम के लिए नजराने भी लेते हैं? तो फिर इस आदेश का क्या मतलब? आप अपने में ही शत प्रतिशत सुधार क्यों नहीं लाते?
पांचवा सवाल – क्या समाज में बैठे ऐसे भू-माफिया या जमीन दलाल अपने घर पर बोर्ड लगाकर बैठते हैं कि वे जमीन दलाल या भू-माफिया हैं। ताकि लोग उन्हें जान लें और उनसे इस कार्य के लिए सम्पर्क करें, कि ये शुद्ध रुप से सफेदपोश लोग होते हैं, जिनकी राजनीति, पुलिस और मीडिया में अच्छी पकड़ होती हैं और समय-समय पर ये भू-माफिया और जमीन दलाल इसका फायदा उठाकर गरीबों के सपनों पर बुलडोजर चला देते हैं।
छठा सवाल – क्या ये पर्चा और पोस्टर साट देने से इस समस्या का समाधान हो जायेगा? तो फिर ये भी पोस्टर साट दीजिये कि इस थाना क्षेत्र में छिनतई, चोरी, डकैती, गुंडई, बलात्कार आदि की घटना को अंजाम देना मना है, ताकि ये सारी घटनाएं ही पोस्टर पढ़कर बंद हो जाये। अरे भाई, जिसको अपराध करना है, या जन्मजात अपराधी है वो तो अपराध करेगा ही, उसको पोस्टर या पर्चा से क्या मतलब? आपको तो कानून का शासन स्थापित करना चाहिए, आपको तो ऐसा भय का माहौल बना देना चाहिए कि कोई अपराधी, अपराध करने के पहले दस बार सोचे कि अपराध करने के बाद, इसका अंजाम क्या होगा?
यहां तो कई थानों में देखा गया है कि कई थाना प्रभारी उपरि दबाव में आकर (ये दबाव बनानेवाला नेता, पुलिस अधिकारी, मीडिया में काम करनेवाला व्यक्ति भी हो सकता है) किसी भी सभ्य/सज्जन व्यक्ति के खिलाफ बिना किसी जांच के झूठे प्राथमिकी आनन-फानन में दर्ज कर लेते हैं और फिर वो सभ्य/सज्जन व्यक्ति अपनी इज्जत बचाने के लिए इधर से उधर भटकता रहता है और वो तब तक भटकता रहता है, जब तक वो मर नहीं जाता, क्योंकि अदालत में जाने के बाद उसका झूठा मुकदमा, कब सलटेगा, उसे पता ही नहीं चलता, वर्ष के वर्ष बीत जाते हैं और वो मरता है तो अपने संग एक दाग लेकर जाता है, वो दाग होता है – झूठे मुकदमें का।
अंत में, जिसने भी ये आदेश का पर्चा/पोस्टर लगाने का दिया है। पहले उस व्यक्ति को रांची की जनता की सोच के बारे में पता लगाना चाहिए, कि रांची की जनता का इसमें क्या राय है? पर यहां भी जनता की राय देने के नाम पर उन्हें ही बुलाया जायेगा या वे ही आयेंगे, जो पहले से ही उक्त थाने में आते रहे हैं, जिसका फायदा वे उठाते रहे हैं और अपना विचार देकर, विचार देने के नाम पर बुलाई गई बैठक में नाश्ते/भोजन का पैकेट पर हाथ फेरते हुए, थाना प्रभारी और वहां कार्यरत पुलिसकर्मियों की जय-जय कर निकल जायेंगे।
सच्चाई यह है कि पूरे झारखण्ड में भू-माफियाओं व जमीन दलालों की लॉटरी लग गई है। सरकार किसी की भी रही हो, पर इन पर किसी ने भी लगाम नहीं लगाया, बल्कि ठीक इसके उलट ये लोग, ऐसे लोगों को बढ़ावा देते रहे और जब आज स्थिति विकराल हो गई तो इस पर लगाम लगाने की बात हो रही हैं, लेकिन लगाम लगेगा कैसे, पर्चा या पोस्टर साटने से या ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्य को निर्वहण करने से?