क्या कहते है भारतीय पंचांग और वर्षा के नक्षत्र 2021 में…
इस बार मानसून समय पर आया है। किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। दक्षिण भारत से लेकर पूर्व-पश्चिम भारत तक के किसान खुश है, उत्तर भारत के किसानों में थोड़ी सी निराशा है, अभी वहां मानसून पहुंचा नहीं हैं, पर भारतीय पंचाग और वर्षा के नक्षत्र बताते है कि इस बार भारत के किसी भी भाग के किसानों को निराश होने की जरुरत नहीं है, क्योंकि हर नक्षत्र बारिश को लेकर आये हैं।
हां यह जरुर है कि एक दो नक्षत्रों में मध्यम व सामान्य दर्जे की बारिश कही गई है। इस बार कमाल ये है कि पुनर्वसु नक्षत्र में मध्यम वृष्टि के योग हैं, जबकि उत्तरा जिसे सामान्य ग्रामीण कनवा नक्षत्र भी कहते हैं, उसमें सामान्य वृष्टि के योग बताये गये हैं, जबकि आम तौर पर माना जाता है कि उत्तरा यानि कनवा और हस्त यानी हथिया नक्षत्र भारी बारिश के लिए ही जाना जाता है।
हथिया तो इस बार भी झमझमायेगा, लेकिन कनवा इस बार थोड़ा सामान्य रहेगा, इस साल फसल भी अच्छी होगी। किसानों के चेहरे पर रौनक रहेगी, और अब देखिये ये हैं, बारिशों के नक्षत्र और उसके फलाफल…
- आर्द्रा– 22 जून को दिन 01.23 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टियोगः।
- पुनर्वसु– 6 जुलाई को दिन 02.58 से प्रारम्भ – मध्यमवृष्टि योगः।
- पुष्य– 20 जुलाई को सायं 04.24 से प्रारम्भ – मंदवार्युवृष्टि योगः।
- आश्लेषा– 3 अगस्त को सायं 04. 45 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टियोगः।
- मघा– 17 अगस्त को दिन 03.33 से प्रारम्भ – वृष्टियोगः।
- पूर्वाफाल्गुन– 31 अगस्त को दिन 12.14 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टियोगः।
- उत्तराफाल्गुन– 14 सितम्बर को प्रातः 06.24 बजे से प्रारम्भ –सामान्यवृष्टि।
- हस्त– 27 सितम्बर को रात्रि 09.47 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टिश्च।
- चित्रा– 11 अक्टूबर को दिन 10.07 से प्रारम्भ – वार्युवृष्टिश्च।