जब सब कुछ IPRD के अधीन है तो क्लब में इतना बड़ा-बड़ा अधिकारियों का पोस्ट लेकर हम छोटे लोगों पर शासन करने का किसी को अधिकार नहीः रांची प्रेस क्लब का एक सदस्य
रांची प्रेस क्लब में फिर धमाल मचा है। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले भी धमाल मचा था। जब रांची प्रेस क्लब का एक अधिकारी रांची प्रेस क्लब से भारत मित्र से जुड़े एक पत्रकार को क्लब से बाहर जाने को कह दिया था। जिस पर भारत मित्र की महिला पत्रकार ने सोशल साइट पर ही लिख दिया था कि रांची प्रेस क्लब किसके बाप का है जी?
और लीजिये, अब फिर धमाल मचा हुआ है, क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में जमकर डायलॉगबाजी हो रही है। इसमें रांची प्रेस क्लब के पूर्व अधिकारी से लेकर वर्तमान अधिकारी तक इनवॉल्व हैं। यह धमाल भी पूर्व की घटनाओं से जुड़ा हुआ हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि पूर्व में रांची प्रेस क्लब के एक अधिकारी ने एक पत्रकार को क्लब से बाहर का रास्ता दिखाया था। इस बार बाहर का रास्ता दिखानेवाला कोई और है।
बताया जा रहा है कि किसी रसूखदार व्यक्ति के परिवार के घर शादी थी। जिसने रांची प्रेस क्लब की बुकिंग कर रखी थी। वो रसूखदार व्यक्ति मुख्यमंत्री का खासमखास था। मुख्यमंत्री उस रसूखदार व्यक्ति के पारिवारिक सदस्य जिसकी शादी हो रही थी, उसे आशीर्वाद देने रांची प्रेस क्लब पहुंचे थे। जिसको लेकर वहां सुरक्षा व्यवस्था में लगे लोगों ने प्रेस क्लब के सदस्यों के साथ ऐसी हरकत कर दी कि बेचारे प्रेस क्लब के सदस्यों को दिल पर लग गई।
अब इसको लेकर जिसे दिल पर लगी, वो धमाल मचाये जा रहा हैं। सवाल पर सवाल उठाये जा रहा है। लेकिन जिसको इस पर जवाब देना हैं। वो अपना मुंह बंद किये हुए हैं। हालांकि एक दो लोगों ने जवाब देने की असफल कोशिश की। लेकिन उसी असफल कोशिश में रांची प्रेस क्लब के एक सदस्य ने ऐसा प्रश्न कर दिया कि जिसका जवाब रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों के पास है ही नहीं। सवाल था – जब सब कुछ IPRD के अधीन है तो क्लब में इतना बड़ा-बड़ा अधिकारियों का पोस्ट लेकर हम छोटे लोगों पर शासन करने का किसी को अधिकार नहीं।
दरअसल एक पत्रकार विक्की पासवान जो रांची प्रेस क्लब का सदस्य है, वो एक अन्य वरीय पत्रकार राजेश कृष्ण को लेकर रांची प्रेस क्लब पहुंचा था, जिस दिन रसूखदार व्यक्ति ने रांची प्रेस क्लब की बुकिंग कर रखी थी। उसका कहना था कि वो रांची प्रेस क्लब के जी-टू में जाकर बैठा था, आम तौर पर इस जी-टू की बुकिंग नहीं होती। जैसे ही वो वहां बैठा, उसे और उसके साथ गये वरीय पत्रकार को बाहर के कुछ लोग ऐसा घूरने लगे, जैसे उनलोगों ने कोई अपराध कर दिया हो। ऐसा होता देख, वे दोनों बाहर निकल गये।
यही नहीं, उनदोनों की बड़ी बेइज्जती और हो गई जब उनके स्कूटी को भी प्रेस क्लब में लगाने नहीं दिया जा रहा था। वहां तैनात पुलिस ने कहा कि वो अपना स्कूटी कही और लगाए, ऐसे में उन दोनों पत्रकारों को अपनी स्कूटी भी बाहर लगानी पड़ी। रांची प्रेस क्लब के एक पूर्व अधिकारी परवेज कुरैशी कहते हैं कि ये विडंबना है, कि अपने ही प्रेस क्लब में अपने ही सदस्य बेगाना महसूस कर रहे हैं। जबकि जी-टू पत्रकारों के लिए ही हैं। उन पत्रकारों को वहां से उठना नहीं चाहिए था, उठ क्यों गये, उन्हें वहीं बैठना चाहिए था।
एक पत्रकार चंदन वर्मा ने लिखा कि प्रेस क्लब में कोई शादी की बुकिंग हैं। शायद यह बुकिंग कोई रसूखदार व्यक्ति का है। इसलिए लगता है कि पूरा क्लब उन रसूखदारों के हवाले कर दिया गया है। कमरा जी-टू सिर्फ पत्रकारों के लिए आरक्षित है। लेकिन आज की बुकिंग के कारण जी-टू में पत्रकारों को बैठने से भी रोका जा रहा है। यहां तक की पत्रकारों को लंच के बीच उठने के लिए बोला जा रहा था। चंदन वर्मा आगे लिखते हैं कि शर्म आती है कि हर जगह पत्रकारों की दुर्गति तो हो रही हैं। अब पत्रकारों के क्लब में भी पत्रकारों की दुर्गति हो रही हैं।
इसी बीच क्लब ऑफ इन्फॉरमेशन व्हाट्सएप ग्रुप में रांची प्रेस क्लब के इस्टेब्लिशमेन्ट की ओर से विक्की पासवान को बताया जाता है कि राज्य का मुखिया आ रहा था, प्रेस क्लब भी आईपीआरडी के अधीन है। जैसे ही इस प्रकार की प्रतिक्रिया इस्टेब्लिशमेन्ट की ओर से आती है। विक्की पासवान कहते है कि पहला अपराध उनका यह है कि वे प्रेस क्लब गये। दूसरा अपराध यह कि उन्होंने अपनी गाड़ी लगाई और तीसरा अपराध है कि जी-टू रुम में गया और चौथा अपराध यह है कि अपनी पीड़ा क्लब ऑफ इन्फॉरमेशन में लिख दी।
इधर इस पूरे घटना पर अन्य विद्वानों का कहना है कि इसमें सबसे बड़ी गलती, रांची प्रेस क्लब के उस अधिकारी की है। जिसे यह पता था कि रांची प्रेस क्लब में एक रसूखदार व्यक्ति की बुकिंग हुई है और वहां मुख्यमंत्री पहुंचनेवाले हैं। तो उसे इस पूरे प्रकरण को देखते हुए वहां पहुंचने वाले नियमित/अनियमित पत्रकारों को कोई असुविधा नहीं हो, उसकी व्यवस्था करनी चाहिए थी।
लेकिन उसने ऐसा न कर, पूरे मामले को नजरदांज कर उसने सबसे बड़ा अपराध किया है। ऐसे लोगों को रांची प्रेस क्लब से तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिए और भविष्य में भी कभी वे चुनाव न लड़ें, इसके लिए ऐसे लोगों को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए, क्योंकि जो अपनी जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वहण न करें। वो ऐसे पद पर विराजमान रहें या आगे होंगे। ये रांची प्रेस क्लब के लिए ठीक नहीं हैं।
इसका मतलब है, ये अधिकारी बनकर, अपना उल्लू सीधा करने के लिए बैठे हैं, जिसके कारण रांची प्रेस क्लब के अन्य सदस्यों को अपमान झेलना पड़ रहा हैं और जिसने ये लिखा कि यह क्लब आईपीआरडी के अधीन है, तो उसे चाहिए कि पूरा क्लब जितना जल्द हो सकें, आईपीआरडी को सौंप दें, ताकि वो इस क्लब को बेहतर ढंग से चला सकें, क्योंकि अधीनस्थ व्यक्ति या अधीनस्थ संस्थाएं कभी भी किसी संस्था को बेहतर ढंग से नहीं चला सकते।
चलायेगा वहीं जो सही मायनों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयरहित हो। ये झूठ का घमंड पालना कि हम रांची प्रेस क्लब से जुड़े हैं, बड़े अधिकारी हैं और जैसे ही कोई एक सवाल पूछ बैठता हैं तो उसका सही जवाब न देकर, दाहिने-बाये जो देखने की आदते हैं। ये आदतें तो निश्चय ही मूर्खता को श्रेष्ठता का भान करानेवाला जैसा लगता है।