अपनी बात

जब किसी राज्य का मुख्यमंत्री सदन में विपक्षी दल के नेताओं के साथ तुम-ताम करने लगे, तो समझ लीजिये उसके हाथ से अब सत्ता जाने ही वाला है

ये हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महागठबंधन के नेता, जदयू के शीर्षस्थ नेता, जिन्हें बोलने की तमीज तक नहीं। ये बिहार विधानसभा में अपने विपक्षी मित्रों के लिए तुम-ताम शब्द का प्रयोग करते हैं। प्रधानमंत्री को तुम्हारे प्रधानमंत्री बोलते हैं, जैसे लगता है कि प्रधानमंत्री केवल भाजपा का होता हैं, इनका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं हैं, पता नहीं इनका प्रधानमंत्री कौन है? ये सदन में कहते है विपक्षियों को कि सबको भगाओ यहां से, आज का बिहार विधानसभा का ये विडियो देखिये कि इस व्यक्ति का पतन किस स्तर तक पहुंच गया है और चिन्तन करिये कि ऐसा व्यक्ति लोकतंत्र के लिए फिट हैं या अनफिट, ये मैं आप पर छोड़ता हूं…

मैं कई बार कह चुका हूं कि किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री वह सदन का नेता होता है, वो पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करता हैं, उसकी बोलचाल, रहन-सहन से दुसरे राज्यों के नेता व निवासी पकड़ लेते हैं कि उस राज्य के लोग कैसे होंगे? पर शायद नीतीश कुमार को इसकी चिन्ता नहीं, उन्हें तो 2024 का लोकसभा चुनाव, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हटाना (जो इनसे सात जन्म में भी नहीं होगा), तथा 2025 में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना हैं(दरअसल उन्हें पता है कि अब वे कुछ भी कर लें, सत्ता में आनेवाले नहीं हैं)।

नीतीश को ये कब का दिव्य ज्ञान प्राप्त हो चुका है कि बिहार में अब जब भी लड़ाई होगी तो जदयू वर्सेज भाजपा नहीं, बल्कि राजद वर्सेज भाजपा ही होगी और इनके यानी नीतीश के सिर्फ टूकर-टूकर देखने के सिवा कुछ नहीं मिलेगा, क्योंकि जो जदयू में बुद्धिमान नेता हैं, वे इनसे कब के अलग होने शुरु हो गये हैं, उदाहरण में तो फिलहाल राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ही नजर आ रहे हैं, जो अब नीतीश के प्रति वो प्रेम नहीं झलका रहे, जो कभी झलकाया करते थे, पर विवेकशून्य व लोकतंत्र में विपक्षियों से घृणा करनेवाला व्यक्ति को इसकी समझ कहां।

आज विधानसभा का दुसरा दिन था और पूरा विपक्ष नीतीश कुमार को घेरने में लगा था। दरअसल बिहार के छपरा में जहरीली शराब से 24 लोगों की मौत हो गई थी और पूरा विपक्ष नीतीश से इस मुद्दे पर इस्तीफे मांग रहा था, फिर क्या था, ये महाशय जिसके लिये जाने जाते हैं, वैसा करना शुरु कर दिया। अपना आपा खो दिया। विपक्षी नेता को तुम-ताम करना शुरु कर दिया। अनाप-शनाप जो मन में आया बक दिया।

फिर क्या था, नीतीश के अमर्यादित व्यवहार से खफा संपूर्ण विपक्ष माफी मांगने पर अड़ा रहा, पर नीतीश कहां माफी मांगनेवाले, उन्हें तो इस बात का पूरा आभास हैं कि वे साक्षात भगवान हरि के अवतार हैं, वे कभी गलत नहीं कर सकते, इसलिए वे अपने बदतमीजी वाले बयान पर अड़े रहे, इधर सदन में हंगामा होता रहा और भारी हंगामे को देखते हुए स्पीकर ने सदन को कल तक के लिए स्थगित कर दिया।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो उनका साफ कहना है कि अब बिहार के लोगों को सोचना होगा कि वे राज्य में कैसे लोगों के हाथों में सत्ता सौंपे, ऐसे व्यक्ति के हाथों, जिसे बोलने की तमीज नहीं, जो विपक्षी नेताओं को कुछ समझता नहीं, जो सदन में स्पीकर की भी इज्जत उतारने में देर नहीं करता(याद करिये जब विजय सिन्हा स्पीकर पद पर थे, तो इसी नीतीश ने कैसा व्यवहार उनके साथ किया था, आज भी वो दृश्य यू-ट्यूब पर मौजूद है)।

आज के नीतीश के इस हरकत को देखकर ज्यादातर राजनीतिक पंडितों का कहना था कि ऐसी हरकत और नीतीश ने दो-चार कर दिये, तो इनका राजनीतिक सूर्य तो अस्ताचल की ओर अग्रसर हैं ही, आनेवाले समय में इनका नाम लेनेवाला भी कोई नहीं होगा, क्योंकि वैशाखी पर राजनीति करनेवाले नेताओं का इस प्रकार का गुमान नहीं रखना चाहिए, कि वे ही सर्वाधिक बुद्धिमान है।