राजनीति

वनाधिकार कानून पर जब सरकार को JMM ने सदन में घेरा, सरकार स्टैंड क्लियर नहीं कर पाई, हंगामे की भेंट चढ़ा सदन

झामुमो के साथ संपूर्ण विपक्ष ने राज्य सरकार को आज वनाधिकार मुद्दे पर जबर्दस्त रुप से घेरा। झामुमो जानना चाहता था कि आखिर भारतीय वन कानून 1927 में जो संशोधन की बात आ रही हैं, और इसके लिए जो ड्राफ्ट केन्द्र ने राज्य सरकार को भेजा है, जिसे आये हुए ढाई से तीन महीने बीत गये, उस ड्राफ्ट पर राज्य सरकार का स्टैंड क्या है? पर राज्य सरकार सदन में अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर सकी, राज्य सरकार के इशारे पर उनके विधायक बार-बार मामला कोर्ट में है, इसका हवाला देते रहे।

नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन व कुणाल षाड़ंगी का कहना था कि जो सवाल सरकार से पूछा जा रहा है, वह मामला न्यायालय में हैं ही नहीं। नेता प्रतिपक्ष का कहना था कि कोई विषय कोर्ट में तभी जाता है, जब उसका कानून बन चुका होता है, फिलहाल जब कानून बना ही नहीं तो मामला न्यायालय में कैसे पहुंच गया? हेमन्त सोरेन ने बार-बार कहा कि संपूर्ण विपक्ष तो बार-बार राज्य सरकार का स्टैंड जानना चाह रहा था, चर्चा करना चाहता था कि क्या इस सरकार के रहते यहां की जनता सुरक्षित है अथवा नहीं?

नेता प्रतिपक्ष ने सवालिया लहजे में कहा कि ड्राफ्ट मुद्दे पर सरकार मुंह चुरा रही है, इसका मतलब स्पष्ट है कि यह सरकार आदिवासी-मूलवासी विरोधी है और वह इस भारतीय वन कानून 1927 में हो रहे संशोधन के माध्यम से व्यापारियों को लाभ पहुंचाना चाहती है, वनों पर जिनका अधिकार हैं, उन्हें न देकर वह निजी क्षेत्रों को सौंपना चाहती है, अब वन अधिकारियों को गोली चलाने का भी आदेश देने जा रही है, और यहां सदन में मामला न्यायालय में है, कहकर दबाया जा रहा है, जबकि यह मामला कोर्ट में है ही नहीं।

उनका कहना था कि उनकी पार्टी के नेता कुणाल षाड़ंगी इस पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाये थे, जिसे सरकार के इशारे पर नामंजूर कर दिया गया। जबकि यह मामला झारखण्ड  जैसे आदिवासी-मूलवासी इलाके और वनाच्छादित क्षेत्रों के लिए अति महत्वपूर्ण है। आज इस मुद्दे पर जमकर हंगामा भी हुआ। पूरा विपक्ष प्रश्नकाल को स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा कराना चाहता था, पर सरकार चर्चा कराने के मूड तो दूर, वह अपना स्टैंड क्लियर करने की जरुरत नहीं समझी। सदन में सत्तापक्ष की ओर से मोर्चा सीपी सिंह और राधाकृष्ण किशोर ने संभाला तो विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने हर मोर्चे पर सरकार को घेरा।

एक समय तो इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता हेमन्त सोरेन और विधानसभाध्यक्ष एक दूसरे से उलझते नजर आये, और देखते ही देखते विधानसभा का प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया, इसी बीच विधानसभाध्यक्ष ने सदन को दोपहर साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी, बाद में भी विधानसभा में वही काम हुए, जो ज्यादा जरुरी के थे, यानी सरकार ने इस मानसून सत्र में जो-जो चीजें पास कराने का मन बनाया था, उसे पास कराया और फिर सदन कल तक के लिए स्थगित हो गई।