जब न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल को देख झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस हो गये थे पुलकित
भाई सेवा-स्वागत किसे अच्छा नहीं लगता, और अगर आप किसी राज्य के राज्यपाल हो तो बात ही कुछ और है, आपकी स्वागत तो विशेष रुप से होगी ही, क्योंकि आप, आप है, बाकी की आपके सामने औकात ही क्या? साथ ही जब आपके मन में कोई इच्छा जाग गई तब तो उस इच्छा को पूर्ण करना तो लाजिमी भी हैं, क्योंकि आप राज्यपाल जो ठहरें।
अब जरा देखिये न। जब से द कश्मीर फाइल्स का भारत के विभिन्न छवि गृहों-मल्टीप्लेक्सों-पीवीआरों में लोकार्पण हुआ, आम जन मानस देखना शुरु किया, जैसे-जैसे इस फिल्म की लोकप्रियता बढ़ी, झारखण्ड के राज्यपाल को भी यह फिल्म देखने की इच्छा जाग गई। जैसे ही राजभवन में कार्य करनेवाले, उनकी सेवा में दिन-रात हुकुम बजानेवालों को इस बात की जानकारी हुई।
राज्यपाल के इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए सभी ने दिमाग लगाना शुरु किया। सभी ने सोचा कि महामहिम रमेश बैस के लिए रांची के न्यूक्लियस मॉल का पीवीआर से बढ़िया और क्या होगा, वो भी वो पीवीआर जहां स्वयं विष्णु अग्रवाल विराजते हैं। राजनीतिक पंडित बताते हैं कि जल्द उस महानुभाव से संपर्क साधा गया।
राज्यपाल एक नियत समय पर अपने दल-बल के साथ पहुंचे, क्योंकि अकेले वो तो फिल्म देख नहीं सकते। विष्णु अग्रवाल ने भी देखा कि जब राज्यपाल रमेश बैस स्वयं सदल-बल उसके पीवीआर पहुंच रहे हैं, फिल्म द कश्मीर फाइल्स को देखने के लिए, तब उसने भी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां से राज्यपाल को फिल्म देखना था, उस कुर्सी को खुब सजाया गया, सेनिटाइज्ड किया गया।
सफेद तौलिया उस पर रखी गई, क्योंकि बात राज्यपाल की थी। ड्राई-फ्रुट्स की भी व्यवस्था की गई। जब राज्यपाल रमेश बैस, विष्णु अग्रवाल की इस सेवाभक्ति को देखे, तो वे पुलकित हो गये। इतने पुलकित हुए कि उन्होंने विष्णु अग्रवाल को अपने बगल की सीट पर बिठा लिया और उसके बाद ही पूरी फिल्म का आनन्द लिया। विष्णु अग्रवाल भी राज्यपाल के इस प्रेम को देख लहालोट हो गये, क्योंकि ये समय उनके जीवन का अनोखा पल था।
इधर राजभवन के जनसम्पर्क अधिकारियों ने भी इस सुंदर दृश्य को कैद करने का मौका नहीं छोड़ा। जल्द से कैमरे में इस छवि को कैद किया और आइपीआरडी के माध्यम से जन-जन तक इस सुकृत्य को पहुंचाने के जिम्मे का निर्वहण किया। जिसकी चर्चा पूरे राज्य में इतने दिन बीत जाने के बाद भी अभी चल ही रही हैं। लोग कह रहे हैं कि सचमुच राज्यपाल हो तो रमेश बैस जैसा, जो विष्णु अग्रवाल जैसे महान शख्स की सेवा भक्ति को देख पुलकित भी हो जाते हैं।