जब रात है ऐसी मतवाली, फिर सुबह का आलम क्या होगा? झारखण्ड संघर्ष यात्रा vs लोकमंथन
इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह के साथ मिलकर राजधानी रांची में लोक मंथन कार्यक्रम के माध्यम से खुद को मजबूत करने में लगे हैं, और उधर झारखण्ड संघर्ष यात्रा निकालकर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने इनकी सारी राजनीतिक हवा निकाल दी है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लोकमंथन के लिए राज्य सरकार का कोषागार का द्वार तो खोला ही, साथ ही कई भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारियों/राज्य सरकार के अधिकारियों/कर्मचारियों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगा दिया।
यही नहीं पिछले दो दिनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से, रांची से प्रकाशित अखबारों/चैनलों को मुक्तकंठ से विज्ञापन का तोहफा भी दिया जा रहा हैं, ताकि रांची से प्रकाशित अखबारों/चैनलों का समूह सारे समाचारों को छोड़, लोकमंथन के समाचारों को ज्यादा महत्व दें, इस कार्यक्रम की जय-जयकार करें, इसके समाचारों के लिए विशेष पृष्ठ तक उपलब्ध करायें, जिसका प्रभाव अखबारों/चैनलों में देखने को भी मिल रहा है, रांची के सभी अखबारों व चैनलों से जुड़े लोग एक पांव पर खड़े होकर, लोक मंथन का गुणानवाद करने में लग गये हैं।
इधर भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारी-कर्मचारी लोक मंथन के कार्यक्रम को सफल बनाने में इस प्रकार से लगे है, जैसे कोई व्यक्ति अपनी बेटी की शादी में आनेवाले बारातियों के स्वागत में लगा रहता है, और इधर ठीक दूसरी ओर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड संघर्ष यात्रा का शंखनाद कर दिया है।
कमाल है, रघुवर दास का लोकमंथन कार्यक्रम का उद्घाटन भी कल होना है और हेमन्त सोरेन की झारखण्ड संघर्ष यात्रा भी कल से ही प्रारम्भ हो रही है। एक में सरकारी पैसा बहाया जा रहा हैं, उसके बावजूद आम जन की भागीदारी न के बराबर है, वहीं हेमन्त सोरेन की झारखण्ड संघर्ष यात्रा में लोगों की भागीदारी जमकर दिखाई पड़ रही हैं।
कमाल है, प्रज्ञा प्रवाह से जुड़े, सीएम रघुवर दास और भाजपा के खासमखास लोगों ने झारखण्ड की आम जनता को मूर्ख बनाने के लिए अनेकानेक प्रयास किये है, उसके बावजूद इनके कार्यक्रमों में वही लोग जूट रहे हैं, जो या तो संघ से जुड़े हैं, या भाजपा से जुड़े हैं या इन दोनों से किसी न किसी प्रकार का लाभ ले रहे हैं या लाभ लेने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं, जबकि दूसरी ओर झामुमो के झारखण्ड संघर्ष यात्रा में आम लोगों की भागीदारी साफ दिखाई दे रही है।
हेमन्त सोरेन की यह बहुप्रतीक्षित यात्रा, भाजपा और संघ के रांची में आयोजित लोकमंथन कार्यक्रम पर भारी पड़ रही है। हेमन्त सोरेन की झारखण्ड संघर्ष यात्रा कल सुबह नौ बजे, स्व. निर्मल महतो शहीद स्थल कदमा से प्रारम्भ होगी, जो धतकीडीह, साकची गोलचक्कर, बिष्टुपुर मार्केट, जुगसलाय फाटक, जाहेरगढ़ा, हड़तोपा चौक, डिगडीह, सुरधा क्रॉसिंग होते हुए घाटशिला में समाप्त होगी।
कल प्रारम्भ हो रही झारखण्ड संघर्ष यात्रा की पूर्व संध्या पर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने सुनील महतो की समाधिस्थल पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया, तथा आशीर्वाद ग्रहण किया। इसी दौरान यह भी देखा जा रहा है कि जिधर से हेमन्त सोरेन गुजर रहे हैं, उनकी अगवानी के लिए, जन-ज्वार उमड़-घुमड़ रहा है, जो बता रहा है कि भाजपा के खिलाफ लोगों में गुस्सा किस कदर बढ़ रहा है।
अगर यहीं हाल रहा तो इसमें कोई दो मत नहीं कि संघ कितना भी जोर लगा लें, कितना भी कार्यक्रम खड़ा कर लें, इस बार उसकी राजनीतिक इकाई भाजपा को झारखण्ड में वो लाभ मिलने नहीं जा रहा, जो वह सोच रही हैं, क्योंकि जनता ने यहां मन बना लिया है कि इस बार भाजपा को दूर से ही प्रणाम करना है। 23 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा से रांचीवासियों का दूरी बनाना और अब लोक मंथन से लोक का ही गायब हो जाना, यह बताने के लिए काफी है कि पैसों से किसी के दिलों पर राज नहीं किया जा सकता, उसके लिए जनता के प्रति ईमानदार होना ज्यादा जरुरी है, जो फिलहाल रघुवर शासन में तो दिखाई नहीं देता, वैसे भाजपा या संघ के लोग खुशफहमी पाल लें तो उसकी बात अलग है।