अपनी बात

जब विभाग प्रचारक है तो ये कर दिया, प्रान्त प्रचारक बनेंगे तो क्या करेंगे? ये भी बता ही दीजिये…

आज सोशल साइट पर एक पोस्ट खूब वायरल हो रहा है, जिसे लोग बड़ी ही चटकारे लेकर पढ़ रहे हैं। साथ ही संघ के एक विभाग प्रचारक पर जमकर छींटाकशी भी कर रहे हैं। लोगों का ये कहना है कि जनाब अभी तो विभाग प्रचारक हैं, तो ये कमाल दिखा रहे हैं। जब प्रांत प्रचारक बनेंगे तो क्या करेंगे? दरअसल झारखण्ड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर हुई है। बताया जा रहा है कि जनहित याचिका में संघ के एक विभाग प्रचारक के रिश्तेदारों के भी नाम है।

बताया जाता है कि उक्त विभाग प्रचारक के सीयूजे के पूर्व कुलपति प्रो. नंद कुमार यादव इंदु से बहुत ही मधुर संबंध रहे हैं, जिसका फायदा उक्त विभाग प्रचारक ने उठाया। अपने रिश्तेदारों को सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखण्ड में महत्वपूर्ण पद दिलवा दिया। बदले में उसने नंद कुमार यादव इंदु को हर प्रकार से संरक्षण प्रदान करने का कभी उसने वायदा भी किया था, पर वर्तमान में उसकी मठाधीशी नहीं चली और बेचारे प्रो. नंद कुमार यादव इंदु जिनकी कभी चलती चलती थी, कुलपति पद से हटा दिये गये।

ऐसे भी जहां-जहां भाजपा का शासन चलता है, उस शासनकाल में संघ के प्रचारकों व प्रमुख अधिकारियों की बल्ले-बल्ले हो जाती हैं, हालांकि संघ खुद इन सभी राजनीतिक घटनाक्रमों से दूर रहता है, पर संघ के लिए कार्य कर रहे अधिकारी, अब पूर्व के अधिकारियों की तरह तो हैं नहीं, कि वे संतों की तरह आचरण करें। अब वे भी अपने आपको वर्तमान चल रही घटनाक्रमों से फायदा उठाते हैं, तथा भाई-भतीजों को वैसे स्थानों पर पहुंचा देते हैं, जहां उन्हें आराम से जीवन की सारी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाता हो।

सूत्र बताते हैं कि झारखण्ड में भी एक महत्वपूर्ण इलाके के विभाग प्रचारक है, जो पूर्व में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े रहे थे, कभी महाविद्यालयीन विद्यार्थी के प्रान्त प्रमुख भी रहे हैं, वर्तमान में विभाग प्रचारक है, झारखण्ड में ही सेवा दे रहे हैं, जिसका फायदा उन्होंने उठाया और अपने लोगों को सीयूजे में घुसा दिया।

अगर दिमाग पर जोड़ डाले तो आपके सामने ये सूची है, उस सूची पर नजर दौड़ाएं तो उस विभाग प्रचारक का नाम और उसका कौन रिश्तेदार कौन से पद पर विराजमान हैं, इसी सूची में उपलब्ध है। जिसे संघ व भाजपा से जुड़े ही लोग जन-जन तक गोपणीय ढंग से पहुंचा रहे हैं। कुछ तो नारे भी दे चुके हैं। नारा है – जागा, जागा राष्ट्रवाद, भाई-भतीजा जिंदाबाद।

अब सवाल उठता है कि इतना छीछालेदर होने के बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उच्चाधिकारी ऐसे विभाग प्रचारक पर एक्शन लेंगे या उन्हें खुला छोड़ देंगे कि आप इसी तरह पद का दुरुपयोग कर, अपने परिवार के लोगों को भरण-पोषण या मार्गदर्शन करते रहे। क्या विभाग प्रचारक यही सब कार्य करने के लिए होता है या उसका कार्य कुछ और है? अगर यही हाल रहा, संघ के विभाग प्रचारक या पदधारी अपने पदों के साथ न्याय नहीं करेंगे तो लिख लीजिये, इनके चलते संघ के उपर भी दाग लगेंगे।

इससे आप इनकार भी नहीं कर सकते, फिलहाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखण्ड प्रकरण ने संघ के पदाधिकारियों के उपर दाग तो लगा ही दिये हैं, अब इन छीटों से संघ के पदाधिकारी कैसे बचते हैं? फिलहाल सभी की नजर उसी पर है। मामला अब न्यायालय में भी चल गया है, संघ के विभाग प्रचारक के रिश्तेदार बचेंगे या नपेंगे। इन पर भी सब की नजर है।

जो लोग 27 सितम्बर 2018 को रघुवर शासनकाल में, रांची में संघ द्वारा आयोजित लोक मंथन कार्यक्रम के बारे में जानते हैं, वे यह भी जानते है कि इसके स्वागत समिति के अध्यक्ष तत्कालीन कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड के नंद कुमार यादव इंदू ही थे, यानी ये व्यक्ति कितनी जल्दी प्रगति की शिखर पर पहुंचा और संघ के प्रज्ञा प्रवाह तक में अपनी उपस्थिति बना ली। जिसे देख संघ के ही कई पुराने लोग आश्चर्यचकित थे।

तभी तो नंद कुमार यादव इंदु को इस बात का पूरा भरोसा हो गया था कि जब तक केन्द्र में भाजपा की सरकार है, संघ के वरीय अधिकारियों को उनके उपर वरद्हस्त हैं, संघ के अधिकारियों को वे उपकृत करते रहेंगे, उनका बाल बांका नहीं हो सकता, पर यहां तो दांव ही उलटे पड़ गये, खुद पर दाग लगवाकर बाहर निकल गये और संघ के अधिकारियों ने इनके माध्यम से अपने उपर दाग तो लगाया ही, संघ पर भी दाग लगाने की कोशिश कर दी।