जब लूर-लक्षण नहीं होगा, मड़वा गाड़ने के समय कोदो बोइयेगा तो भाजपा और मोदी से क्या लड़ियेगा, 2024 में यही हाल आपका रहा तो फिर से प्रधानमंत्री मोदी ही बनेंगे
आप इंडिया गठबंधन वालों भारत जोड़ो न्याय यात्रा, सीट शेयरिंग, संयोजक कौन होगा इसके लिए माथा-पच्ची करते रहिये और भाजपावाले श्रीराम अक्षत, मंदिरों की सफाई और अब दीवाल पेटिंग को लेकर गांव-गांव तक पहुंच गये। दरअसल आपलोगों को कोई लूर-लक्षण हैं ही नहीं और जिनके पास हैं भी उनसे आप सीखेंगे नहीं, अगर किसी ने आपको सीखाने की कोशिश की तो आप उसे ही सीखा देंगे। आपके यहां तो जितने नेता हैं, उतने तो किसी के पास नहीं।
लेकिन वर्तमान में भाजपा में सिर्फ एक ही मोदी हैं जिसने आपको तो नाक में दम कर ही दिया, अपनी पार्टी को पिछले दस वर्षों में भारत ही नहीं बल्कि उसकी धमक संपूर्ण विश्व में करा दी। एक समय था कि आपकी भी धमक थी, लेकिन आपने स्वयं अपनी हरकतों से अपनी धमक की श्राद्ध कर दी। कल की कांग्रेस वामदलों के साथ रह-रहकर, वामदलों से बुद्धि ले लेकर अपनी मिट्टी पलीद कर दी।
आपने गांधी के ‘हे राम’ से भी सबक नहीं सीखा
आपने तो गांधी के ‘हे राम’ से भी राम के अस्तित्व को समझने की कोशिश नहीं की और उलटे 22 जनवरी के श्रीराममंदिर के उद्घाटन के अवसर से स्वयं को अलग कर लिया। यह कांग्रेस और इंडिया गठबंधन द्वारा लिया गया मूर्खता भरा फैसला, इंडिया गठबंधन को इतना भारी पड़ेगा, कि इन्हें समझ ही नहीं आ रहा। भाजपावाले हर बार खुद ही चुनाव की पिच तैयार कर, इंडिया गठबंधनवालों को बैंटिंग करने के लिए बुला रहे हैं।
पर ये तो पहले ही भाग खड़े हो जा रहे हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम् के बार-बार समझाने के बावजूद ये समझ नहीं पा रहे, जिसका परिणाम है कि ये सिमटते जा रहे हैं। अब बताइये, पूरा देश चुनाव के मूड में हैं और ये राहुल गांधी यात्रा पर निकल गये। भाई, ये समय यात्रा करने का हैं। पता नहीं किस बेवकूफ ने ऐसी बुद्धि दे दी। अब कांग्रेस के सारे नेता-कार्यकर्ता तो राहुल गांधी की यात्रा में ध्यान लगायेंगे। जो कांग्रेस में ही हैं, पर भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं, वे अयोध्या की ओर ध्यान लगायेंगे तो कांग्रेस तो ऐसे ही साफ हो गई।
राहुल गांधी को झारखण्ड के CM हेमन्त सोरेन से सीखना चाहिए
राहुल गांधी को तो झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से सीखना चाहिए। जब 28 दिसम्बर को सीएम हाउस में प्रेस कांफ्रेस था तो एक-दो संवाददाताओं ने पूछा कि क्या वे अयोध्या राम मंदिर से बुलावा आया तो जायेंगे, हेमन्त सोरेन ने तुरंत जवाब दिया कि उनके लिए मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा-गिरजाघर सभी समान है, जहां से भी निमंत्रण आयेगा। वे जायेंगे। लीजिये, सभी को जवाब मिल गया। लेकिन राहुल, सोनिया और खरगे को कौन समझाये। राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस के वर्तमान प्रमुख नेताओं की अदूरदर्शिता, मूर्खतारुपी बयान और मड़वा के दिन कोदो बोने की विधा अपनाना उनकी और उनकी पार्टी के लिए खतरनाक सिद्ध होगा।
यही हाल रहा तो भाजपा 2029 में भी दिखेगी
ये समझ रहे है कि 2004 वाली स्थिति की पुनरावृत्ति हो जायेगी तो ये उनकी मूर्खता ही है। 2004 में भाजपा वैशाखी पर टिकी थी। आज भाजपा वैशाखी पर नहीं हैं। आज की भाजपा को भारत ही नहीं, बल्कि वर्ल्ड की बड़ी-बड़ी आर्थिक शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त है। जो नहीं चाहेंगे कि भाजपा का शासन का अंत हो। जनता में तो भाजपा ने इतनी अच्छी और मजबूत पकड़ बना ली हैं कि 2029 में भी भाजपा ही दिखेगी।
हाल ही में वाइब्रेंट गुजरात में सुप्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर दिया गया बयान भी बहुत कुछ कह देता है कि आनेवाले समय में भारत में किसका शासन फिर से आने जा रहा हैं। ऐसे भी नरेन्द्र मोदी का इतिहास रहा हैं कि वे कभी हारे नहीं, चाहे वो गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर हो या प्रधानमंत्री पद पर।
वर्तमान में जिस प्रकार से भाजपा ने 2024 की शुरुआत से ही इंडिया गठबंधन के नाक में नकेल बांधने का प्रयास शुरु किया है। उसमें लगता है कि भाजपा को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी, क्योंकि ये खुद ही स्वयं को नथवाने के लिए तैयार बैठे हैं। कमाल की बात है, एक ओर भाजपा और उसके लोग पूरे देश में एक-एक मतदाता के घर श्रीराम अक्षत के साथ पहुंच गये और कांग्रेस और उनके समर्थक लोग झक-झूमर गा रहे हैं।
खुद उनके ही दलों में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन को लेकर घमासान मचा है। उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश के लोगों को आहवान किया कि वे अपने आस-पास के मंदिरों-मठों को साफ करना शुरु कर दें। भाजपा के लोग गांव-वालों के साथ मिलकर सफाई अभियान शुरु कर दिया और लोगों के साथ भावनात्मक रुप से जुड़ गये। अब बचा क्या है? आप कही भी जाइयेगा, कुछ नहीं कर पाइयेगा। वे कही नहीं जायेंगे, बस केवल एक बार शंख फूंक देंगे, आप बिलबिला कर खत्म हो जाइयेगा, क्योंकि आपके यहां मूर्खों की फौज जो हैं।
यह देश लालू के नाम से नहीं जाना जाता, यह संतों/महापुरुषों के नाम से जाना जाता है
जरा देखिये न, कुछ दिन पहले बिहार का एक नेता शायद तेजस्वी नाम है उसका। एक जगह बोल दिया कि तबियत खराब होगी तो हॉस्पिटल जाओगे या मंदिर। लेकिन उस नेता को यह नहीं मालूम कि दवा खाने के बाद भी, हॉस्पिटल जाने के बाद भी वो मरीज ठीक ही हो जायेगा, उसकी गारंटी नहीं, जब तक रामजी का आशीर्वाद नहीं मिलेगा।
उस नेता को ये नहीं मालूम कि यह देश लालू यानी उसके पिता के नाम से नहीं जाना जाता, यह देश मीरा, सूरदास, रविदास, गुरुनानक, कबीर, तुकाराम, एकनाथ, गुरुगोविन्द सिंह, नरसी मेहता आदि जैसे अंसख्य संतों/महापुरुषों के नाम से जाना जाता है। जिनके हृदय में किसी न किसी रुप में राम विराजे ही हैं। अगर उसको नहीं पता तो उसे फिर से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने की पहल करनी चाहिए।
ऐसे भी पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। उससे भी अगर नहीं होता हैं तो उसे अपने माता-पिता से यह जरुर पूछना चाहिए कि वो छठ व्रत क्यों करते हैं? क्या छठ व्रत करने से उसके पिता की बीमारी ठीक हो गई थी या अस्पताल जाने से ठीक हुई थी। कुछ न कुछ लालू प्रसाद बतायेंगे ही। मतलब जिसको देखों, जो चाहे बक दे रहा हैं और पूरे देश को ज्ञान बांट रहा हैं और है खुद बुद्धिहीन। श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठा रहा है।
भारत में पैदा लिया और श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठा रहा हैं, जैसे लगता है कि कितना बड़ा ज्ञानी है। आ रहा हैं 2024 लोकसभा का चुनाव। सामने मोदी है। कुछ नहीं कर पाओगे। यही हाल रहा तो। इसलिए भारत की जनता को ज्ञान मत बांटो। उसे पता हैं कि उसे कब क्या करना है। शायद उसने इस बार फिर से संकल्प कर लिया है। तभी तो इंडिया गठबंधन माड़ो गाड़ने के समय कोदो बो रहा है।
आदरणीय सर बेहतरीन प्रस्तुति